राखी ने कपडे उतारे

राखी याने 'आइटम गर्ल' राखी सावन्‍त, जो कपडे पहनने के नाम पर कपडे उतारती ज्‍यादा नजर आती है और इसीलिए जानी-पहचानी जाती है । उसकी अपनी 'वेल्‍यूज'क्‍या और कितनी है यह तो वही जाने लेकिन उसकी 'न्‍यूज वेल्‍यू'अच्‍छी खासी है । इतनी अच्‍छी खासी कि उसके बिना अब तो किसी भी खबरिया चैनल का काम चलता नजर नहीं आता । लेकिन इस बार मामला तनिक उल्‍टा रहा । उसने कपडे उतारे तो जरूर लेकिन खुद के नहीं । एक पखवाडे में उसने निर्वाचित नेताओं और हिन्‍दी की रोटी खाकर अंग्रेजी में गिटपिट करने वाले काले अंग्रेजों को निर्वस्‍त्र कर दिया और कहना न होगा कि अपने पूरे दम-खम से किया ।


जिन लोगों ने राखी और मुम्‍बई महा नगर परिषद (मनपा) की लोक सेवक (हमारे यहां ऐसे लोगों को, कार्पोरेटर के हिन्‍दी अनुवाद में पार्षद कहा जाता है) राजुल पटेल की 'टी वी फाइट' देखी होगी वे जरूर मेरी बात से सहमत होंगे । राजुल पटेल न केवल लोक सेवक हैं बल्कि वे शिव सेना की उम्‍मीदवार के रूप में जीती हुई लोक सेवक हैं । अब, मुम्‍बई में शिव सेना का दबदबा किससे छुपा है ? शिव सेना के/की लोक सेवक का विरोध करने के लिए या तो भरपूर राजनीतिक संरक्षण चाहिए और यदि वह नहीं है तो फिर अतिरिक्‍त तथा अद्भुत आत्‍म बल चाहिए । किसी राजनीतिक पार्टी में यह साहस नहीं कि राखी सावन्‍त से खुद को जोड ले । ऐसे में यदि राखी, राजुल पटेल से भिडी तो जाहिर है कि अपने दम-खम पर ही भिडी । इस भिडन्‍त में राखी ने एक बार नहीं, बार-बार राजुल पटेल की बोलती बन्‍द कर दी । राजुल पटेल की हालत यह हो गई कि वे राखी पर व्‍यक्तिगत हमले करने पर मजबूर हो गई । जब राखी, राजुल पटेल को उनके जन प्रतिनिधि होने की जिम्‍मेदारियां गिनवा रही थी तो राजुल पटेल राखी को 'नंगी औरत' कह कर अपना बचाव कर रही थी । राखी बार-बार पूछ रही थी कि उसके इलाके की समस्‍याएं उठाने में उसका (राखी का) नंगापन कैसे आडे आता है और राजुल पटेल के पास इस बात को कोई जवाब नहीं था ।


राजुल पटेल को ऐतराज इस बात पर था कि जब मनपा आयुक्‍त राखी के इलाके में पहुंचे तो राखी ने उनसे बात करने की हिम्‍मत कैसे कर ली । राखी कह रही थी आयुक्‍त तो राखी के मुहल्‍ले वालों के आग्रह पर वहां पहुंचे थे और उन्‍होंने अपने आने की तारीख पहले से ही सूचित कर रखी थी । इसके विपरीत राजुल पटेल यह साबित करने पर तुली हुई थी कि आयुक्‍त उनके कहने से आए थे,राखी के कहने से नहीं । जब राजुल पटेल अपनी बात पर अडी रही (अड जाने और अडे रहने के मामले में तो शिव सैनिक वैसे ही सारे देश में पहचाने जाते हैं)तो राखी ने यह 'क्रेडिट' पटेल को देते हुए जब पूछा कि उसके इलाके की समस्‍याएं कब हल होंगी तो राजुल पटेल अचकचा गई और नेताओं के स्‍थायी,चिरपरिचित जुमले उगलने लगीं । चेनल की एंकर ने जैसे-तैसे लोक सेवक 'सिंहनी'की लाज बचाई ।


इससे पहले, पहली जुलाई वाले रविवार की रात को 'कॉफी विथ करण' कार्यक्रम में राखी ने अंग्रेजी में बात करने से इंकार कर दिया और अपनी बात हिन्‍दी में की । यह कार्यक्रम स्‍टार चैनल का न केवल लोकप्रिय बल्कि अत्‍यधिक प्रति‍ष्ठित कार्यक्रम भी है और फिल्‍मी सितारे इस कार्यक्रम में बुलावे की प्रतीक्षा ऐसे करते हैं जैसे कि विधायक/संसद सदस्‍य, मन्त्रि मण्‍डल के शपथ ग्रहण समारोह में मन्‍त्री पद की शपथ लेने के लिए राज्‍यपाल के बुलावे की प्रतीक्षा करते हैं । जिन करण जौहर की फिल्‍म में भूमिका प्राप्‍त करने के लिए राखी हरचन्‍द कोशिश करती हो, उन्‍हीं करण जौहर को राखी ने पहले ही साफ-साफ कह दिया था कि वह अपनी बात हिन्‍दी में ही कहेगी । उसने कारण बताया - 'क्‍योंकि मेरी अंग्रेजी न तो मेरी समझ में आएगी और न ही देखने-सुनने वालों को । 'राखी जब यह कारण बता रही थी तब करण जौहर की शकल देखते बनती थी । उनकी हंसी और झेंप के लिए 'खिसियाहट' शब्‍द निहायत ही बौना और अपर्याप्‍त साबित होता है । राखी की यह टिप्‍पणी, हिन्‍दी फिल्‍मों की कमाई से अपनी तिजोरियां भरने वाले तमाम करण जौहरों के मुंह पर जोरदार थप्‍पड था । बी ग्रेड हिन्‍दी फिल्‍मों की सी ग्रेड आइटम गर्ल का यह तमाचा 'सुपर ए ग्रेड' श्रेणी का था ।


एक पखवाडे में राखी सावन्‍त ने जिन दो लोगों के कपडे उतार दिए वे दोनों अपने-अपने वर्ग के प्रभावी प्रतीक हैं । एक राज नेता है तो दूसरा अभी भी 'भारत'को 'इण्डिया' बनाने में जुटा हुआ मानसिक गुलाम । भारतीय लोकतन्‍त्र का दुर्भाग्‍य और भाग्‍य की विडम्‍बना यह है कि ये दोनों वर्ग आज देश को शासित तथा नियन्त्रित किए हुए हैं । इन दोनों वर्गों का विराध करने से पहले आदमी को मरने के लिए तैयार रहना पडता है । लेकिन राखी सावन्‍त जैसी एक मामूली अभिनेत्री ने यह कर दिखाया । ये दोनों मामले राखी के असाधारण आत्‍म बल के यादगार और प्रेरक नमूने हैं । राज नेता जहां माफिया की शकल ले चुके हों और अंग्रेजी तथा अंग्रेजीयत के सामने तमाम हिन्‍दीदां और बुध्दिजीवी चुप रहने को संस्‍कारित शालीनता कहने की सुविधावादी बुध्दिमत्‍ता बरत कर बच निकल जाते हों, वहां ऐसी असाधारण हिम्‍मत कोई साधारण व्‍यक्ति ही दिखा सकता है । जोखिम लेने का साहस हमारे बुध्दिजीवियों से नाता तोड चुका क्‍योंकि उनके पास खोने को शायद काफी कुछ हो गया है ।
राखी सावन्‍त विवादास्‍पद और चर्चित अभिनेत्री भले ही हो लेकिन स्‍थापित अभिनेत्री कतई नहीं है । फिल्‍मोद्योग में उसकी स्थिति ऐसी नहीं है कि उस पर कोई हमला हो तो समूचा उद्योग उसके बचाव में उतर आए । उसके मुहल्‍ले के कितने लोग उसके बचाव में आएंगे, खुद राखी भी नहीं बता सकेगी । लेकिन उसकी 'न्‍यूज वेल्‍यू' तो है ही । राखी ने अपनी इसी 'न्‍यूज वेल्‍यू' का उपयोग (आप इसे दोहन भी कह सकते हैं) किया और बखूबी किया । उसके पास जो पूंजी थी, जो प्रभाव था वह उसने दांव पर लगाने की हिम्‍मत की । नतीजे की परवाह राखी कर भी नहीं सकती थी क्‍यों कि उसका नियन्‍त्रण तो केवल प्रयत्‍नों पर था, परिणाम पर नहीं ।


हमारे बीच ऐसे असंख्‍य लोग हैं जिनके पास प्रभाव की भरपूर पूंजी है और वे चाहें तो मौजूदा समय की कई मुश्किलें दूर करने में इस प्रभाव का उपयोग कर सकते हैं । लेकिन वे सब विवेकवान और चतुर लोग हैं । वे केवल सलाह देंगे और 'चाहिए' या फिर 'किन्‍तु-परन्‍तु' की जुगाली करना शुरू कर देंगे । उनमें इतनी अकल है कि वे जोखिम लेने से बच सकें ।


कपडे उतार कर लोगों के लुच्‍चेपन को उजागर करने वाली राखी सावन्‍त ने क्‍या केवल एक नेता और अंग्रेजी के एक पैरोकार के ही कपडे उतारे ? कहीं ऐसा तो नहीं कि उसने हममें से कइयों के कपडे उतार दिए ?

9 comments:

  1. चलिए राखी ने पहली बार हमारी तारीफ़ पा ही ली!!
    वैसे मुंहफ़ट तो वह है इसमें कोई शक नही!!

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  2. जन कोई औरत अपने इर्द गिर्द का अंडा फोड़ कर खुद के बल बूते पर बाहर आती है तो उसके अन्दर एक बड़ा साहस होता है. चाहे वह मायावती हो, ममता हो, या फूलन.

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  3. सही है। वैसे राखी सावंत का प्राथ्मिकतायें बदलती रहती हैं। ऐसे ही जनहित के मुद्दों पर लड़ती-भिड़ती रहें तो अच्छा है।

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  4. मैं तो लेख पर इसलिये आया कि 60+ के विष्णु बैरागी कपड़े उतारने उतरवाने के चक्कर में कैसे हैं :)
    लेकिन लेख बढ़िया और मजेदार था. हां, मुझे न तो राखी की प्रतिबद्धता पर यकीन है न राजनेताओं की जन सेवा की भावनाओं पर. इन दोनो में से किसी का जैकारा नहीं लगा पायेंगे. बैरागी जी का जरूर लगाते हैं.

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  5. हमारे यहां आदत है कि लिफाफे को पढते है उसमें लिखे मजमून को नही. अंग्रेज़ी में कहें तो फोर्म देखा जाता है ,कंटेंट नही.

    राखी ने जो भी किया, भले ही मीडिया को बुलाकर खुद की पब्लिसिटी के लिये किया, किंतु लोग तो मोटिव पर सीधा जाते है और कहते है" सब पब्लिसिटी का धन्धा है".

    ठीक है, नाटक का उद्देश्य़ प्रचार था, किंतु उसके आगे भी तो देखो.
    में समझता हूं जो किया अच्छा किया.

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  6. अरे भाई इन देवी जी के कपडे देखने और इन पर लिखने से पहले आपने भीतर से अनुमति तो ले ली थी या नहीं? कहीँ ऐसा न हो बिन खाना खाए सोना पडे और सुबह उठाने पर आप अपने को विष्णु के बजाय सिर्फ बैरागी ही महसूस करते फिरें.

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  7. rakhi pahale se hi bahut chudas aurat hai.

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  8. rakhi dunia ki sabse pagal aurat hai....paglo ki maharani hai wo....wo kuch b kr skti hai..phir b wo desh k netao jitni bhrasht nhi hai...

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  9. रविकुमार शर्माSeptember 30, 2012 at 12:12 PM

    राखी सावंत हर मामले मे दबंग महिला है, वो जो सोच लेती है,करके दिखाती है । बहुत कॉन्फिडेंट महिला है राखी ।

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