अन्तरराष्ट्रीय मंच पर हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में देखने वाले जश्न मना लें । संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को आधिकारिक भाषा का दर्जा पता नहीं कब मिलेगा लेकिन उसके लिए रास्ता खुल गया है । शुरूआत हुई है - रोटरी अन्तरराष्ट्रीय से । अन्तरराष्ट्रीय सन्दर्भों में रोटरी क्लब ने अब तक कुल 7 भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार कर रखा था । अब हिन्दी इसकी आठवीं आधिकारिक भाषा बन गई है ।
रोटरी क्लब की 'कौंसिल ऑफ लेजिस्लेशन ऑफ रोटरी इण्टरनेशनल' ने गत दिनों शिकागो (अमेरीका) में हुई अपनी बैठक में, हिन्दी को अपनी आधिकारिक भाषा बनाए जाने के प्रस्ताव को सर्वानुमति से स्वीकार कर लिया है । प्रति तीन वर्षों में होने वाली इस बैठक में, दुनिया के 206 देशों में कार्यरत 531 रोटरी मण्डलों में से 526 रोटरी मण्डलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे और सबने एक मत से इस प्रस्ताव को हरी झण्डी दी । इन 526 मण्डलों में, भारत के दक्षिण प्रान्तों वाले रोटरी मण्डल भी शरीक थे ।
हिन्दी को यह दर्जा दिलाने के लिए, भारत में कार्यरत रोटरी क्लबों ने कोई 30 वर्षों से यह अभियान चला रखा था जिसे अब जाकर कामयाबी मिल पाई । इस बार यह प्रस्ताव, मध्य प्रदेश के देवास जिले के सोनकच्छ में कार्यरत रोटरी क्लब की ओर से रोटरी मण्डल 3040 के पूर्व प्रान्तपाल श्री अजीत जैन (इन्दौर) ने जनवरी 2005 में, रोटरी अन्तरराष्ट्रीय के समक्ष प्रस्तुत किया था । रोटरी अन्तरराष्ट्रीय ने, अप्रेल 2007 में, अपनी 'कौंसिल आफ लेजिस्लेशन ऑफ रोटरी इण्टरनेशनल' की कार्यसूची में इस प्रस्ताव को क्रमांक 07-213 पर सूचीबध्द किया था ।
इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिए जाने के बाद अब रोटरी क्लब के, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले, साधारण सदस्यों वाले खुले अधिवेशनों, प्रशिक्षण सेमीनारों, निर्वाचित प्रतिनिधियों की असेम्बलियों, आधिकारिक आयोजनों आदि में वितरित किया जाने वाला समस्त साहित्य हिन्दी में भी उपलब्ध कराया जाएगा और हिन्दी अनुवादकों की व्यवस्था की जाएगी ।
रोटरी का साहित्य हिन्दी में तैयार करने तथा इस प्रस्ताव को जल्दी से जल्दी क्रियान्वित कराने की जिम्मेदारी 'रोटरी न्यूज ट्रस्ट' के माध्यम से 'रोटरी इण्डिया' को सौंपी गई है । यह ट्रस्ट इस समय चेन्नई में कार्यरत है तथा रोटरी सदस्यों के लिए 'रोटरी न्यूज' (अंग्रेजी) तथा 'रोटरी समाचार' (हिन्दी) मासिक पत्रिकाएं प्रकाशित कर रहा है । यह जिम्मेदारी निभाने के लिए 'रोटरी न्यूज ट्रस्ट', चेन्नई से अपनी गतिविधियां समेट कर दिल्ली में हिन्दी का अन्तरराष्ट्रीय सचिवालय प्रारम्भ करेगा जिसके लिए 1 लाख्ा अमेरीकी डालर (लगभग 42 लाख रूपयों) की व्यवस्था 'रोटरी इण्डिया' खुद करेगा । अभी छप रही दोनों मासिक पत्रिकाओं की सारी तैयारी भी दिल्ली में ही होगी लेकिन उनकी छपाई चेन्नई में ही होगी ।
इस सारे मामले में कुछ बातें उल्लेखनीय हैं ।
पहली बात तो यह कि रोटरी मण्डल 3040 के वर्ष 2006-2007 के लिए प्रान्तपाल बने, रतलाम निवासी श्री अशोक तांतेड ने इस प्रस्ताव को अपने कार्यकाल के प्रमुख लक्ष्यों में शामिल कर अपने पूरे कार्यकाल में इस अभियान को अपनी पूरी चिन्ता, सजगता, सतर्कता से 'फालो-अप' दिया । इसके लिए उन्होंने पूरे देश के रोटरी प्रान्तपालों से जीवन्त सम्पर्क बनाए रखा और असहमति की प्रत्येक आशंका को निर्मूल करने के लिए सबकी जिज्ञासाओं का समाधान कर, वातावरण को प्रस्ताव के पक्ष में बनाए रखा । श्री तांतेड की अभिलाषा थी कि यह प्रस्ताव उनके कार्यकाल में ही स्वीकार कर लिया जाए । श्री तांतेड को इस बात की परम प्रसन्नता और आत्मीय सन्तोष है कि ईश्वर ने उनकी यह मनोकामना पूरी की । यदि श्री तांतेड तनिक भी असावधान हो जाते या थोडे से भी चूक जाते तो मुमकिन है कि हिन्दी को अगले तीन वर्षों तक फिर प्रतीक्षा करनी पड जाती । श्री तांतेड ने इस मामले में वैसी ही चिन्ता और भागदौड बरती जैसी कि किसी जवान बेटी का पिता उसके लिए योग्य वर की तलाश में बरतता है । निस्सन्देह श्री तांतेड इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए पूरे देश से अभिनन्दन और सम्मान के अधिकारी बन गए हैं । हिन्दी के लिए तनिक भी वेदना रखने वाले प्रत्येक भारतीय से मेरा अनुरोध है कि वह श्री तांतेड को एक बार धन्यवाद अवश्य दे । श्री तांतेड का ई-मेल पता ashoktanted@yahoo.com, उनका मोबाइल नम्बर 94251 95187 (मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ से बाहर के सज्जन इस नम्बर से पहले '0' अवश्य लगाएं) तथा उनके निवास का नम्बर (07412) 239712 है ।
दूसरी बात यह कि हिन्दी को यह अन्तरराष्ट्रीय स्वीकृती नितान्त अराजनीतिक प्रयत्नों से, वह भी एक सेवा संगठन के माध्यम से मिली है । हिन्दी को संयुक्त राष्ट्रसंघ की भाषा बनाने के लिए आन्दोलनरत लोग इस तथ्य को 'दिशा सूचक' के रूप में ले सकते हैं ।
और तीसरी तथा सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि यह प्रस्ताव सर्वानुमति से स्वीक़त हुआ है । याने, दक्षिण भारत के समस्त रोटरी प्रान्ताध्यक्षों ने भी इसका समर्थन किया है । यह तथ्य इसलिए महत्वपूर्ण तथा ध्यानाकर्षक है कि हिन्दी का विरोध सबसे ज्यादा और सबसे पहले दक्षिण से ही होता है । लेकिन रोटरी अन्तरराष्ट्रीय के मंच पर दक्षिण भारत की एक भी आवाज इसके खिलाफ नहीं उठी । इस प्रकरण ने यह साबित कर दिया है कि दक्षिण भारत का जन मानस हिन्दी का विरोध नहीं करता, केवल अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए ही कुछ राजनीतिक दल यह आपराधिक दुष्कृत्य कर रहे हैं । हिन्दी का विरोध करने वाले राजनेताओं के सामने, रोटरी अन्तरराष्ट्रीय के इस प्रकरण को प्रमाण के रूप में प्रस्तुत कर उनकी बोलती बन्द की जा सकती है ।
हिन्दी को यह अन्तरराष्ट्रीय स्वीक़ृती हम सबको मुबारक हो ।
बधाइयां । अभिनन्दन ।
चलिए कहीं से तो हुई पर शुरुआत तो हुई!!
ReplyDeleteदिन-दूनी रात-चौगुनी प्रगति के रथ पर सवार रहे हिन्दी, इन्ही कामनाओं के साथ सभी को बधाई
बहुत ही अच्छी खबर लाये है बैरागी जी आप सही है कि यह एक शुरुआत है रोटरी क्लब का विश्व मे अहम स्थान है ! अशोक तांतेड जी को बधाई ! हम उन्हे मैल भी कर रहे है ! अच्छी खबर एव विश्लेषण के लिये धन्यवाद !
ReplyDeleteश्री अशोक तांतेड को 'मेल' करते समय कृपया ध्यान दें - उनके पास 'यूनी कोड' की सुविधा नहीं है । इसलिए आपको, अंग्रेजी में मेल करना पडेगा ।
ReplyDeleteअशोक तांतेड़ जी को बधाई व शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteयह समाचार हम सभी के लिये बहुत ही शुभ है। इसी तरह जहाँ कहीं भी हिन्दी को उसका अपेक्षित स्थान नहीं दिया गया है, उसे दिलाने का कदम उठाना चाहिये। हिन्दी-प्रेमियों को इस बारे में और अधिक संवेदनशीलता दिखानी चाहिये।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी खबर, बधाई!
ReplyDeleteBahut hi..main to kahunga ki Jabardast Baat hai ye. Hindi ke Saput hi Hindi ko uski Durdasha se ubar sakte hain. Man main apar harsh hua ye khabar padh kar.
ReplyDeleteAgli muhim hai hindi ko UNO main sthapit karna aur wo to ham karke hi daam lenge.
bahut bahut badhaiyan aur subhkamnaon sahit
rakesh sharma
Hindi Officer, NIO