‘दैनिक भास्कर’ के, प्रति शनिवार को प्रकाशित होने वाले सिनेमा परिशिष्ट ‘रसरंग’ में ‘स्वर पंचमी’ शीर्षक से यूनुस भाई का स्तम्भ प्रकाशित होता है ।
आज के अंक में ‘ लफ़जों के सौदागर’ शीर्षक वाले अपने आलेख में यूनुस भाई ने 6 गीतकारों, सर्वश्री मुन्ना धीमन, इरशाद कामिल, नीलेश मिश्र (जिन्हें अंगे्रजी ने ‘मिश्रा’ बना दिया है), सईद कादरी, स्वानन्द किरकिरे और प्रसनू जोशी पर महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी दी है ।
वह जमाना और था जब गीतकारों के नाम लोगों के जेहन में बसा करते थे । आज, बाजार ने निर्ममतापूर्वक कलमकारों को नेपथ्य में धकेल दिया है । आज ‘लिखने वाले’ पर ‘बिकने वाले’ भारी पड़ रहे हैं । ऐसे में यूनुस भाई ने ‘कलम’ और ‘शब्द’ का महत्व रेखांकित करते हुए ‘शब्द’, ‘कलम’ और ‘कलमकार’ के सम्मान की वापसी की बहुत ही सुन्दर कोशिश की है । ।
मुझे साफ-साफ लग रहा है कि आलेख का शीर्षक यूनुस भाई ने नहीं दिया होगा । यदि वे शीर्षक देते तो ‘सौदागर’ की जगह ‘शिल्पकार’ या फिर ‘चितेरे’ लिखते ।
यूनुस भाई का आलेख पढ़ कर मन को बहुत ठण्डक मिली ।
यूनुस जी को बधाई. एक ब्लॉगर से एक प्रमुख राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक के नियमित स्तंभकार के रूप में परिवर्तन निसंदेह सुखदाई है.
ReplyDeleteबिना कंप्यूटर पर आए युनूस भाई के शब्दों का अख़बार के सफ़े पर दस्तेयाब हो जाना चाय की मिठास में इज़ाफ़ा करता है...जारी रहे शब्दों का ये सफ़र ....समाते रहें युनूस भाई आप हमारे दिल में.
ReplyDelete(टीप:विष्णु काका सा.इसी सौजन्यता की दरकार है हिन्दी को ; हम एक दूसरे का लिखा पढ़ें और पढ़वाएं...आपको भी साधुवाद)
साधुवाद
ReplyDeleteसाधुवाद.
आमतौर पर नवरंग नही पढ़ता, लेकिन आज आपकी पोस्ट देखकर पढ़ा, खुशी हुई। अच्छा लगा यूनुस जी का कॉलम।
ReplyDeleteबधाई उन्हें व शुक्रिया आपका।
भाई साहब शुक्रिया । नवाजिश ।
ReplyDeleteवाह , बधाई!
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