तन को तो मैं समझा लूँगी

श्री बालकवि बैरागी

के प्रथम काव्य संग्रह ‘दरद दीवानी’ की पहली कविता






                तन को तो मैं समझा लूँगी

                मन समझाने तुम आ जाओ

यूँ न समझो पग न उठेंगे, छलिये क्या फिर  दुहराऊँ

पग संचालित हैं नयनों से, तुमको कैसे समझाऊँ

                नैन मिला कर भी तो देखो

                ना न कहो, लो पलक उठाओ

                                    तन को तो मैं.....


मन ने मीत बना कर तुमको पाया कुछ भी सार नहीं है

तड़फाते हो, तरसाते हो, फिर भी तुमसे रार नहीं है

                जिसने तुमको मीत कहा है

                उससे कुछ तो प्रीत निभाओ

                                    तन को तो मैं.....


मेरी गली के दो शूलों से, इतने तो मत घबराओ

जग की लछमन रेखाओं से प्रियतम तुम मत  सकुचाओ

                सौ सागर मैं कूद पड़ूँगी

                तुम तो बस दो पग आ जाओ

                                    तन तो तो मैं.....


केवल मेरा मन प्यासा है, तन को तिल भर प्यास नहीं है

इस पिंजरे के पंछी को अब साँसों पर विश्वास नहीं है

                ऐसा याचक फिर न मिलेगा

                ओ दाता! यूँ मत तरसाओ

            तन को तो मैं.....


मरघट में तो आओगे ही, अच्छा है यूँ ही आ जाओ

नैन खुले हैं तब तक मुझको, लाल चुनरिया ओढ़ा जाओ

                रो रो कर जीवन बीता है

                शुभ घड़ियों में अब न रुलाओ

                                    तन को तो मै.....

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दरद दीवानी
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - निकुंज निलय, बालाघाट
प्रथम संस्करण - 1100 प्रतियाँ
मूल्य - दो रुपये
आवरण पृष्ठ - मोहन झाला, उज्जैन
मुद्रक - लोकमत प्रिंटरी, इन्दौर
प्रकाशन वर्ष - (मार्च/अप्रेल) 1963



पूर्व कथन - ‘दरद दीवानी’ की कविताएँ पढ़ने से पहले’ यहाँ पढ़िए

दूसरी कविता: ‘राधाएँ तो लाख मिलीं’ यहाँ पढ़िए



4 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना आज शनिवार १७ अप्रैल २०२१ को शाम ५ बजे साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,

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  2. भावपूर्ण ... बहुत सुंदर
    विशेषतः निम्न पंक्तियाँ -
    केवल मेरा मन प्यासा है, तन को तिल भर प्यास नहीं है

    इस पिंजरे के पंछी को अब साँसों पर विश्वास नहीं है...

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  3. भावपूर्ण रचना । समर्पण की पराकाष्ठा को दर्शाती सुंदर रचना ।

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  4. सुंदर प्रस्तुति.

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