मुझे आश्चर्य है कि दादा का यह गीत उनके किसी (प्रकाशित) संग्रह में नहीं है। जैसा कि मेरे साथ होता आया है, सन्-सम्वत् तो मुझे याद नहीं किन्तु किसी जमाने में यह गीत, आकाशवाणी के इन्दौर केन्द्र से, सुबह के शुरुआती कार्यक्रमों में आए दिनों बजता रहता था। केन्द्र के, उस समय के संगीत निदेशक श्री भाईलाल बारोट ने इसे संगीतबद्ध किया था और प्रिय भाई प्रकाश पारनेरकर ने इसे स्वर दिया था। यह गीत अब भी कभी-कभार इन्दौर केन्द्र से प्रसारित हो जाता है।
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मैं देश हूँ तुम्हारा
ये उम्र, ये जवानी, पाओगे कब दुबारा।
मुझे प्यार से सँवारो, मैं देश हूँ तुम्हारा।
मुझे प्यार से सँवारो, मैं देश हूँ तुम्हारा।
किससे करूँ उम्मीदें, किससे करूँ मैं आशा।
मुझको नहीं सुहाता, घर फूँक ये तमाशा।
कुछ फूँकने की जिद है
तो फूँक दो निराशा
आए नहीं तबाही
जाए न भाईचारा
मुझे प्यार से....
मेरे सिवा तुम्हारा, ईमान और क्या है?
सौभाग्य और क्या है, सम्मान और क्या है?
अपने ही दिल से पूछो
भगवान और क्या है
जब भी पुकारा मैंने
केवल तुम्हें पुकारा
मुझे प्यार से.....
धरती नहीं हूँ केवल, आकाश भर नहीं हूँ।
भूगोल या कि केवल, इतिहास भर नहीं हूँ।
पूजा, नमाज या फिर
अरदास भर नहीं हूँ
मानो न मानो बेशक
सर्वस्व हूँ तुम्हारा
मुझे प्यार सो....
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