संजय तिवारी फिर अखबारों में
रतलाम से प्रकाशित हो रहे 'साप्ताहिक उपग्रह' ने एक बार फिर श्री संजय तिवारी के ब्लाग 'विस्फोट' से सामग्री ली है ।
अपने ताजा (11 से 17 अक्टूबर 2007 वाले) अंक में 'उपग्रह' ने श्री तिवारी के 'गांधी से राहुल गांधी तक' शीर्षक लेख को छापा है और उनके ब्लाग 'विस्फोट' का उल्लेख भी किया है ।

अच्छी सूचना यह भी है कि श्री तिवारी के 'भाजपा और रामसेतु' शीर्षक लेख को, इन्दौर के अग्रणी सान्ध्य दैनिक 'प्रभातकिरण' ने भी अपने 2 अक्टूबर 2007 के अंक में, सम्पादकीय पन्ने पर छापा है ।

ब्लागियों को बधाई ।

राम सेतु : नई जानकारी

'नईदुनिया' (इन्‍दौर) के, आज ( 13 अक्‍टूबर 2007) के अंक में, पण्डित श्रीयुत ओम प्रकाश शर्मा भारद्वाज (राज मोहल्‍ला, महू) का एक प्रकाशित हुआ है जिसमें उन्‍होंने 'राम सेतु' को लेकर रोचक और महत्‍वपूर्ण जानकारी दी है । यह पत्र किसी व्‍याख्‍या की मांग नहीं करता । 'नईदुनिया' में प्रकाशित यह पत्र प्रस्‍तुत है -

'श्रीराम सेतु'

आजकल सम्‍पूर्ण भारत में श्री रामसेतु विवाद छाया हुआ है । इस विशय पर श्री मानस का शोध छात्र होने के नाते मैं कुछ तथ्‍यों की ओर देश का ध्‍यान दिलाना चाहता हूं ।


वानर सेना की सहायता व कुशलता से निर्मित इस रामसेतु के माध्‍यम से जब प्रभु श्रीराम लंका विजय पश्‍चात् विभीषण को लंका का राज्‍य देकर वापस श्रीअध्‍योध्‍याजी आ रहे थे, तब विभीषण की प्रार्थना पर इसी रारमसेतु के तीन खण्‍ड प्रभु श्रीराम ने अपने धनुष से कर इसे खण्डित कर दिया । आज वे ही खण्डित भाग दृष्टिगोचर हो रहे हैं ।


हमारी हिन्‍दू संस्‍कृति मान्‍यतानुसार किसी भी खण्डित वस्‍तु या प्रतिमा आदि का पूजन, स्‍पर्श व दर्शन नहीं किया जाता । जब प्रभु श्रीराम ने स्‍वयम् इस सेतु को खण्डित किया, तब आज उसी खण्डित वस्‍तु पर धार्मिक आस्‍थाओं को उभारना उचित नहीं । श्रीराम सेतु समुद्र में डूबा है जहां पूजा-अर्चना सम्‍भव नहीं । अत: इस धार्मिक उन्‍माद पर अंकुश लगाना होगा ।