बाँटने से खुशी बढ़ती है और दुःख कम होता है। सो, अपनी खुशी में बढ़ोतरी के लालच के वशीभूत मैं, आज अपनी खुशी आप सबके साथ बाँट रहा हूँ।
बरसों से मेरी इच्छा थी कि मैं ‘जनसत्ता’ में छपूँ। दसियों बार वहाँ अपना लिखा भेजा। एक बार भी नहीं छपा। कोई एक पखवाड़ा पहले चमत्कार हो गया। मेरी साध पूरी हो गई। मेरी पोस्ट ताजमहल और मेरा मन को जनसत्ता ने छापा, शायद ‘समान्तर’ स्तम्भ के तहत। उस दिन, पूरे दिन भर मैं पगलाया सा रहा। चाहता रहा कि सब लोग उसे देखें, चर्चा करें और मुझे फोन करें। कुछ सीमा तक मेरी यह चाहत पूरी हुई भी।
आज फिर लगभग वही स्थिति है। आज ‘दैनिक भास्कर’ ने अपने मध्यवर्ती पृष्ठ पर अपने समस्त संस्करणों में मेरा एक व्यंग्य छापा है। आज सवेरे से मित्रों के फोन आ रहे हैं। बड़ौदा, रायपुर, कोटा, भोपाल, उज्जैन, इन्दौर से अनेक मित्रों ने बधाई दी है। आज मेरा फोन सवेरे से घनघना रहा है। एक मित्र ने दैनिक भास्कर के इण्टरनेट संस्करण पर पढ़कर चैन्नई से फोन किया। आज फिर मैं पगलाया हुआ हूँ। उस बच्चे की तरह खुश हूँ जिसे वह मनचाहा खिलौना मिल गया है जिसकी माँग वह लम्बे समय से कर रहा था।
मैंने अपने आप को कभी भी साहित्यकार और लेखक नहीं माना। इस क्षण भी नहीं मानता। हाँ, साहित्य और साहित्यकार/लेखक प्रेमी अवश्य मानता हूँ। लिखनेवालों के आसपास बने रहने, उनके पास बैठने में मुझे बड़ा सुख मिलता है। अपने से बेहतर लोगों के साथ उठने-बैठने का कोई मौका नहीं छोड़ता। किन्तु आज मुझे कुछ मित्रों ने लेखक की तरह मान कर बधाई दी। और तो और मेरी सहधर्मिणी ने भी मुझमें लेखक देख कर मुझे बधाई दी।
यह खुशी मुझसे सचमुच समेटी नहीं जा रही। मैं बहत खुश हूँ। किन्तु प्रसन्नता के आवेग में ‘बेभान’ नहीं हूँ। मैं भली भाँति अनुभव कर रहा हूँ कि ब्लॉग और अपनी टिप्पणियों की कृपावर्षा कर मेरा हौसला बढ़ानेवाले कृपालु ब्लॉगर मित्रों के कारण ही मैं यह खुशी हासिल कर पा रहा हूँ।
सो, मैं आप सबको नमन करता हूँ। आप सबके कारण मुझे खुशी का वह प्रसंग मिल पाया जिसके लिए मैं बरसों से प्रयत्नरत रहा। मेरी यह खुशी आप सबको अर्पित है।
ब्लॉग जगत में मुझे लाने वाले मेरे गुरु श्री रवि रतलामी को अपनी यह खुशी मैं सबसे पहले अर्पित करता हूँ।
धन्यवाद ब्लॉग-जगत्। धन्यवाद मित्रों।
यही कृपा-भाव बनाए रखिएगा।
----
आपकी बीमा जिज्ञासाओं/समस्याओं का समाधान उपलब्ध कराने हेतु मैं प्रस्तुत हूँ। यदि अपनी जिज्ञासा/समस्या को सार्वजनिक न करना चाहें तो मुझे bairagivishnu@gmail.com पर मेल कर दें। आप चाहेंगे तो आपकी पहचान पूर्णतः गुप्त रखी जाएगी। यदि पालिसी नम्बर देंगे तो अधिकाधिक सुनिश्चित समाधान प्रस्तुत करने में सहायता मिलेगी।
यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें । यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें । मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर - 19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001.
badhaai ho vishnuji !
ReplyDeleteye toh shuruaat hai........
abhi toh aapke bahut se aalekh prakaashit honge...
shubh kaamnaayen !
आपको बहुत बहुत बधाई. सुबह सुबह भास्कर पर आपका व्यंग्य पढ़ कर आपके मनःस्थिति की कल्पना तो मैं, ख़ैर कर ही रहा था!
ReplyDeleteऔर, धन्यवाद. आपका बड़प्पन है, जो मेरे समेत दूसरों को आप अकारण श्रेय देते हैं, नहीं तो आपके भीतर की प्रतिभा और किस्सागोई का ख़ास, विशिष्ट अंदाज आपको अन्य लेखकों से अलग करता है.
बहुत बहुत बधाई। आपके पाठक सदा से जानते थे कि आपमें बहुत अच्छा लिखने की क्षमता है। कामना करती हूँ कि बार बार ऐसे खुशी के अवसर आएँ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
ऐसा न समझे आप ही पगालाएं है, जब पहली पोस्ट लिखी थी हम भी ऐसे ही पगलाए थे :)
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई. गुजराती अनुवाद छपा होगा तो हम भी पढ़ेंगे.
यह लिंक भी दे दें:
ReplyDeletehttp://digitalimages.bhaskar.com/dainikrajasthan//EpaperImages%5C15122009%5Csab-large.jpg
पढ़ा था सुबह सुबह और आनन्द लिया था. आपको बहुत बधाई.
ReplyDeleteबहुत - बहुत बधाई के साथ शुभकामनायें ।
ReplyDeleteआप को बहुत बहुत बधाई ।
ReplyDeleteओह आपको बहुत बहुत बधाई हो ।
ReplyDeleteअरे! आपके ब्लॉग की चर्चा केवल जनसत्ता में ही नहीं हुई है
ReplyDeleteदेखिएगा यह लिंक
बी एस पाबला
बधाई एवं शुभकामना।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत बहुत बधाइयाँ!
ReplyDeleteआप लिखते रहिए, आगे बढ़ते रहेंगे।
बहुत बहुत बढ़ाई सर जी.. संजय जी के लिंक कि बदौलत आपका वह लेख पढ़ने जा रहा हूं.. :)
ReplyDeleteबैरागी जी,इस खुशी के मौके पर हमारी ओर से भी बधाई स्वीकारें......
ReplyDeleteये तो आपकी विनम्रता और बडप्पन है जो आप अपनी लेखन क्षमता को इसका श्रेय नहीं दे रहे....जब कि सच ये है कि हम तो शुरू से ही आपकी इस शैली के मुरीद हैं ।
बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत बधाई!!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई हो...
ReplyDeleteविष्णु जी,
ReplyDeleteपीछे जाकर ताजमहल के बारे में लिखी उस पोस्ट को पढ़ा. बहुत अच्छा संस्मरण और उसके पीछे छिपे भाव भी उतने ही सुन्दर.
आपकी इच्छा पूरी होने पर हार्दिक बधाई!
बहुत बहुत बधाई..जय हो!!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteबधाई हो ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई !
ReplyDeleteलेखनी आपकी यूँ चमकती रहे।
ReplyDeleteलेख छपते रहें, दुनिया पढती रहे।
--------
हर बाशिन्दा महफू़ज़ रहे, खुशहाल रहे।
छोटी सी गल्ती जो बडे़-बडे़ ब्लॉगर करते हैं।