अब नरेन्द्र मोदी केवल, राज्य द्वारा प्रेरित, प्रोत्साहित ओर संरक्षित सामूहिक नस्लवादी नर संहार के लिए ही नहीं, भारतीय लोकतन्त्र की श्रेष्ठ सेवा के लिए भी याद किए जाएँगे।
मैं उन लोगों में से एक हूँ जो नियमित और निरन्तर यह माँग करते रहे हैं कि मतदाताओं को, सारे उम्मीदवारों को अस्वीकार करने के लिए मतपत्र/ईवीएम पर ‘इनमें से कोई नहीं’ का विकल्प उपलब्ध कराया जाना चाहिए और यह प्रावधान करने के बाद मतदान अनिवार्य किया जाना चाहिए।
मेरी सुनिश्चित धारणा रही है कि हमें ‘मताधिकार’ तो है किन्तु ‘चयनाधिकार’ नहीं है। मतदाताओं की इसी विवशता का दुरुपयोग करते हुए राजनीतिक दल, ‘प्रयाशी चयन’ में ईमानदारी, चरित्र, सादगी, शिक्षा, योग्यता, पात्रता जैसे गुणों को दरकिनार कर ‘जीतने की सम्भावनावाले’ व्यक्ति को अपना उम्मीदवार बनाते हैं। प्रत्याशियों के चयन के इस पैमाने पर प्रायः ही धन-बली और बाहु-बली ही खरे उतरते हैं। ऐसे लोगों को अधिसंख्य मतदाता स्वीकार करने की मनःस्थिति मे नहीं होते और इसी कारण वे मतदान नहीं करते।
यह ‘दीर्घ प्रतीक्षित प्रावधान’ देश को भ्रष्टाचार सहित अनेक समस्याओं से मुक्ति दिलाएगा और विधायी सदनों में हम ऐसे लोगों को देख सकेंगे जिन्हें वहाँ होना चाहिए।
भारत सरकार को भेजी अपनी 22 सिफारिशों में, भारत निर्वाचन आयोग ने यह प्रावधान भी शामिल किया हुआ था जिसमें से भारत सरकार ने कुल 5 सिफारिशें मानी जिनमें यह प्रावधान स्वीकार करनेवाली सिफारिश शामिल नहीं है। भारत सरकार ने जो चूक की उसे नरेन्द्र मोदी ने अपने स्तर पर, अपने प्रदेश में दुरुस्त कर भारत सरकार को रास्ता दिखाया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अन्य प्रदेश भी इस ‘मोदी-मार्ग’ पर चलने का साहस जुटाएँगे।
चूँकि इस विधेयक के विस्तृत ब्यौर सामने नहीं आए हैं इसलिए कहना पड़ रहा है कि इस प्रावधान के तहत अस्वीकार किए गए उम्मीदवारों को पुनः उम्मीदवार बनने से रोकने का प्रावधान भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। ऐसा किए बिना मोदी की यह सामयिक, ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण पहल अप्रभावी हो जाएगी।
मुझ जैसे तमाम लोगों की ओर से नरेन्द्र मोदी को बधाइयाँ और अभिनन्दन।
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प्रत्याशियों में से किसी का चयन करने और किसी का भी न करने का विकल्प तो होना चाहिए। इस पहल के लिए मोदी निश्चित रूप से प्रशंसा के योग्य हैं। वे दुस्साहसी हैं, और उस की दिशा कुछ भी हो सकती है।
ReplyDeleteनरेन्द्र मोदी ने तो बहुत से बेहतरीन काम किये हैं, उनके रास्ते पर चलना किसी ऐरे-गैरे नेता के बस की बात नहीं है…
ReplyDeleteएक बेहतरीन पहल की है मोदी जी ने। इस का स्वागत होना चाहिए।
ReplyDeleteसम्भावना कम ही है कि अन्य राजनेता, राजनीतिक दल इसे अन्य राज्यों में या पूरे देश में लागू करेंगे. फिर भी मोदी जी ने राह दिखाई है और एक बहुप्रतीक्षित राजनीतिक सुधर कि दिशा में पहल कि है. उनका धन्यवाद.
ReplyDeleteअब हम क्या कहें. मोदीजी के प्रसंशक युं ही तो नहीं है :)
ReplyDeleteसारे उम्मीदवारों को अस्वीकार करने के लिए मतपत्र/ईवीएम पर ‘इनमें से कोई नहीं’ का विकल्प उपलब्ध कराया जाना चाहिए और यह प्रावधान करने के बाद मतदान अनिवार्य किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteइस प्रकार के चुनाव सुधार बहुत ज़रूरी हैं.
मोदी जी तो मोदी जी है भाई उनसा कोई दूजा नही है पर समस्या ये है की मोदी के सही कदम को भी हमारे तथाकथित धर्मनिरपेक्ष बंधु ग़लत बता रहे है ईश्वर इन्हे सड़बुद्धि दे
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