5 लाख का बीमा लेना है। योजना और किश्त रकम बताएं

पौड़ी गढ़वाल से प्रदीपजी ने पूछा है - ‘मुझे 5 लाख का बीमा कराना हो तो छःमाही किश्त कितनी होगी और कौन सी स्कीम सबसे अच्छी होगी?’


इस प्रश्न का उत्तर अब मेरी आदत बन गया है क्योंकि बीमा एजेन्सी के मेरे अब तक के अठारह वर्षों में यह प्रश्न मुझसे सैंकड़ों बार पूछा जा चुका है।


इस प्रश्न का सीधा-सपाट उत्तर दे पाना किसी के लिए सम्भव नहीं होता।


किसे कितना बीमा लेना चाहिए अथवा किसे कितना बीमा दिया जा सकता है, इसके लिए कुछ आधारभूत सूचनाएँ आवश्यक होती हैं जिनके समुचित उत्तरों के बाद ही कोई परामर्श दिया जा सकता है।


ये सूचनाएँ इस प्रकार हैं -


-इस समय आपकी आयु क्या है?

-आपका वर्तमान व्यवसाय क्या है?

-इस समय आपकी सकल वार्षिक आय क्या है?

-आपकी आय की प्रकृति क्या है? स्थायी है अथवा अस्थायी?

-इस समय आपका और आपके परिजनों का कितना बीमा है?

-(यदि आपका और आपके परिजनों का बीमा है तो) इस समय आप प्रीमीयम के रूप में प्रति वर्ष कितनी रकम जमा करा रहे हैं?

-इस समय आपके पारिवारिक उत्तरदायित्व क्या हैं?

-नया बीमा लेने का उद्देश्य क्या है? (यथा, परिवार की आर्थिक सुरक्षा, आय कर नियोजन, भविष्य के लिए बचत, बच्चों की उच्च शिक्षा/विवाह हेतु व्यवस्था, किसी ऋण की जमानत के लिए आदि, आदि।)

-नये बीमे के लिए आप प्रति वर्ष कितनी रकम चुकाने की मानसिकता में हैं?

मुझे आपके बारे में उपरोक्त में से कोई भी जानकारी नहीं है। ऐसे में आपको सामान्य जानकारी देने का प्रयास कर रहा हूँ। यह जानकारी 30 वर्ष की अवस्था वाले व्यक्ति के लिए है।


यदि आपका अब तक कोई बीमा नहीं है और आप केवल पारिवारिक सुरक्षा के लिए बीमा लेना चाहते हैं तो मेरा सुझाव है कि आप भारतीय जीवन बीमा निगम की ‘बन्दोबस्ती योजना’ (तालिका 14) में अपना बीमा कराएँ। चूँकि आपको आयु के 75 वर्ष तक के लिए बीमा मिल सकता है इसलिए आप पालिसी की अवधि 45 वर्ष रखें। अवधि की दीर्घता से घबराएँ नहीं। इसके बारे में आगे अलग से बता रहा हूँ।


5 लाख रुपये बीमाधन की वार्षिक किश्त रुपये 12,255 तथा छःमाही किश्त रुप्ये 6,226 होगी। ये किश्तें आपको 45 वर्षों तक चुकानी होंगी।


45 वर्ष बाद, जब आप आयु के 75 वर्ष पूरे कर चुके होंगे तब आपको लगभग रुपये 28,80,000 का भुगतान पालिसी की परिपक्वता राशि के रूप में मिलेगा। इस रकम में 5 लाख रुपये मूल बीमा धन, 45 वर्ष की अवधि के बानस की रकम 10 लाख 80 हजार रुपये तथा अन्तिम अतिरिक्त बोनस की रकम 13 लाख रुपये शामिल हैं। उपरोक्त में से बीमा धन 5 लाख रुपयों का भुगतान सुनिश्चित है जबकि बोनस की गणना मैंने 48 रुपये प्रति वर्ष प्रति हजार (अर्थात् 24 हजार रुपये प्रति वर्ष) के मान से की है तथा अन्तिम अतिरिक्त बोनस की गणना वर्तमान प्रचलित दर से की है। बोनस की रकम में कमी/वृध्दि हो सकती है।


इस पूरी समयावधि (45 वर्ष) में आपके जीवन पर 5 लाख रुपयों की बीमा सुरक्षा उपलब्ध रहेगी तथा इतनी ही रकम (अर्थात् 5 लाख रुपये) की ‘दुर्घटना हित लाभ सुरक्षा’ उपलब्ध रहेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि 45 वर्षों की इस समयावधि के दौरान सामान्य मृत्यु की दशा में पालिसीधारक के नामित व्यक्ति को 5 लाख रुपयों का (+ पालिसी प्रारम्भ होने से लेकर मृत्यु दिनांक तक की अवधि के बोनस की रकम का) भुगतान किया जाएगा। दुर्घटना मृत्यु की स्थिति में मूल बीमा धन के बराबर रकम (अर्थात् 5 लाख रुपये) का भुगतान नामित व्यक्ति को अतिरिक्त रूप से किया जाएगा।

आप जो प्रीमीयम चुकाएँगे उस पर आपको आय कर अधिनियम की धारा 80 सी के अन्तर्गत छूट मिलेगी तथा पालिसी से मिलने वाली रकम, आय कर अधिनियम की धारा 10 (10) (डी) के तहत आय कर से मुक्त होगी।


अब बात, पालिसी की अवधि 45 वर्ष की। सामान्यतः लोग अल्पावधि की बीमा पालिसियाँ लेने पर जोर देते हैं। यह ग्राहक के लिए गम्भीर घाटे का सौदा होता है।

मेरा सुनिश्चित मत है कि जीवन बीमा का निवेश ‘लाभ का सौदा’ नहीं होता। लाभ की तलाश वाले लोगों को जीवन बीमा की तरफ देखना ही नहीं चाहिए। किन्तु नाम मात्र की प्रीमीयम चुका कर लाखों की सुरक्षा प्राप्त करने की बात हो तो फिर जीवन बीमा का कोई विकल्प नहीं है। जीवन बीमा वस्तुतः ‘सुरक्षा का सौदा’ होता है। अर्थात् ‘रिस्क कवरेज’ का सौदा।

प्रथमतः तो हममें से हर कोई ‘लाभ’ को ही प्राथमिकता देगा। किन्तु यदि लाभ नहीं मिल रहा है तो फिर देखा जाना चाहिए कि हमें घाटा न हो। और यदि घाटा हो रहा हो तो लाभ में हो तो चलेगा, मूल में तो घाटा नहीं ही हो। ऐसे में बात जब ‘रिस्क कवरेज’ खरीदी की हो तो, ‘दीर्घावधि की खरीदी’ अन्ततः लाभ का सौदा बन कर सामने आती है।

अल्पावधि योजना में किश्त की रकम अधिक हो जाती है जबकि बोनस की रकम कम हो जाती है। इसलिए अल्पावधि योजनाएँ ग्राहक के लिए घाटे का सौदा होती हैं।

पालिसी अवधि के इन 45 वर्षों में यदि आपको बीच में धन की आवश्यकता अनुभव हो तो आप अपनी पालिसी पर लोन ले सकते हैं। ऐसे लोन पर वर्तमान में 9 प्रतिशत की दर से साधारण ब्याज लिया जा रहा है। इस लोन की विशेषता यह है कि लोन लेने के बाद भी आपका रिस्क कवरेज कम नहीं होता। ब्याज की गणना छःमाही आधार पर की जाती है। लोन लेने की दशा में एक बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि ब्याज समय पर जमा करा दिया जाए। अन्यथा, ब्याज पर ब्याज लगना शुरु हो जाता है जिसके नकारात्मक प्रभाव पालिसी पर पड़ने की आशंका बन जाती है।

एक आशंका यह भी होती है कि आयु के उत्तरकाल में आय शून्य हो सकती है। तब पालिसी की किश्त जमा कराना असम्भव जैसा हो सकता है। ऐसी दशा में भी आप अपनी पालिसी पर प्रति वर्ष, किश्तों की रकम के बराबर लोन लेकर अपनी किश्तें आसानी से जमा करा सकते हैं और अपनी पालिसी को पूर्णावधि तक प्रभावी बनाए रखकर योजना के समस्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

आशा है, इस सामान्य प्रारम्भिक जानकारी से आपको कुछ सहायता मिली होगी।

मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप मुझे समस्त सूचनाएँ उपलब्ध करा दें। यदि आप ठीक समझें तो अपने एसटीडी कोड सहित अपना फोन नम्बर मुझे उपलब्ध करा दें। मैं अपनी ओर से आपसे सम्पर्क कर आपकी जिज्ञासा का समाधान करने का पूरा-पूरा प्रयत्न करूँगा।

मुझे आत्मीय प्रसन्नता और सुख-सन्तोष मिलेगा, यदि मैं आपके लिए तनिक भी सहायक हो सका।
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