नरेश गोयल की जमीन

कल रात मैं ने, जेट एयरवेज के चेयरमेन नरेश गोयल को, पत्रकारों से बात करते देखा । जो कुछ वे कह रहे थे वह सुन-सुन कर मुझे अपने देहातीपन पर गर्व होने लगा जो अब तक हो रहा है । नरेश गोयल ने जो भी किया और जो भी कहा, वह उनकी शालीनता और बड़प्पन वास्तव में था या नहीं लेकिन वह सब कुछ ‘भारतीयता’ था और इसके सिवाय कुछ भी नहीं था ।
लोगों को नौकरी पर रखना और निकाल देना, पश्चिम के लिए एक तकनीकी औपरचारिकता की प्रक्रिया मात्र होती है । लेकिन यह ‘पूर्व’ ही है जहाँ किसी को नौकरी पर रखा जाता है तो तत्काल ही वह नियोक्ता के परिवार में शामिल हो जाता है । नरेश गोयल जाने-अनजाने, चाहे-अचाहे यही साबित कर रहे थे । सम्भव है, वह सब कहना, वह सब करना उनकी व्यावसायिक-व्यापारिक विवशता रही हो या सरकारों का दबाव या हवाई सेना की (न की गई) कार्रवाई का आतंक । लेकिन इसमें कोई सन्देह नहीं कि अन्ततः भारतीय संस्कार और भारतीय मानसिकता ही उनकी कदम वापसी की प्रशंसनीय कार्रवाई का माध्यम बनी ।
पत्रकारों से बात करने हुए यह ‘बिजनेस टायकून‘ हताश लस्त-पस्त और अत्यधिक दयनीय दखाई पड़ रहा था । हवा में उड़ने वाले इस ‘सुपरमेन’ को खड़े रहने के लिए जमीन नहीं मिल रही थी । अपनी कदम वापसी के लिए उनके तर्क वही थे जो एक औसत मध्यवर्गीय, ईश्‍वरभीरू भारतीय के होते हैं । नरेश गोयल अपनी दिवंगत माँ की कसम खा रहे थे, कर्मचारियों को अपने बच्चे घोषित कर रहे थे और कर्मचारियों की बर्खास्तगी के समाचार अखबारों में पढ़ने के बाद न सो पाने का हवाला दे रहे थे । लेकिन सबसे बढ़कर और सबसे पहले जो उल्लेखनीय बात थी वह नरेश गोयल का, कर्मचारियों से माफी माँगना । इसके लिए सचमुच में अत्यधिक साहस चाहिए और नरेश गोयल ने यह साहस दिखाया ।निस्सन्देह नरेश गोयल का यह निर्णय मानवीय और अत्यन्त प्रशंसनीय है । लेकिन पश्‍िचमी पगडण्डियों पर छलांगे मार रही भारतीय कुबेर-सन्तानों को संकट की इस घड़ी में भारतीयता की जड़ों ने ही थामे रखा और बाजार में खड़े रह पाने की जमीन तथा ताकत दी ।
कोई ताज्जुब नहीं कि भारतीय अर्थ व्यवस्था के अमरीकी पैरोकारों ने नरेश गोयल को इस दशा में फटी आँखों देखा हो ।


कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी

सदियों रहा है दुश्‍मन, दौर-ए-जहाँ हमारा


आइए ! गर्व से कहें - हम भारतीय हैं ।

1 comment:

  1. nihasandeh naresh goyal ki sahas ki dad di jana chahiye thi tab , jab unke kahe anusar is bat ki khabar news paper se mili thi , usi roj naresh goyal ko afsos jahir karna tha

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