राणा, राज्य-रक्षा के लिए और अकबर राज्य-विस्तार के लिए लड़े

 भाईचारे का इतिहास - दूसरी कड़ी

(डॉक्टर महरउद्दीन खाँ का यह लेख, भोपाल से प्रकाशित ‘मध्यप्रदेश लोक जतन’ के, दिनांक 1 जून 2001 के पृष्ठ 11 पर प्रकाशित हुआ था।)


भाईचारे का इतिहास - पहली कड़ी यहाँ पढ़िए


साम्प्रदायिक लोग अकबर को भी मुसलमान और राणा प्रताप को हिन्दू बना कर पेश करते हैं। अकबर ने धर्म के नाम पर खड़ी की गयी दीवारों को तोड़ा था। उसने राजपूत कुल में शादी की थी। उसने ‘दीन-ए-इलाही’ नाम से नया धर्म चलाने की भी कोशिश की थी। राणा प्रताप के नाम पर राजनीति करने वालों ने अकबर को भी नहीं बख्शा। 


अकबर

असलियत यह है कि राणा प्रताप अपने राज्य की रक्षा के लिए लड़ रहे थे और अकबर अपने राज्य के विस्तार के लिए। न राणा प्रताप का मकसद हिन्दू धर्म की रक्षा करना था, और न ही अकबर का मकसद इस्लाम की रक्षा करना था। अगर ऐसा होता तो राणा प्रताप के साथ मुसलमान न होते और अकबर के साथ हिन्दू न होते।


महाराणा प्रताप

अकबर की सेना का सेनापति राजा मान सिंह था। राणा प्रताप की सेना के आगे हकीम खान सूर अपने आठ सौ घुड़सवारों के साथ चल रहा था। इस लड़ाई को हिन्दू-मुसलमान की लड़ाई कहना इतिहास का मजाक उड़ाना है।


राजा मान सिंह 

अकबर ने हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए बहुत कुछ किया था। अकबर ने गाय के मांस पर पूरा तरह पाबन्दी लगा दी थी। यही नहीं, जो हिन्दू किसी कारण से मुसलमान बन गये थे उन्हें फिर से हिन्दू बनने की इजाजत दे दी थी।

अकबर ने नवरत्नों में राजा टोडरमल, बीरबल और तानसेन जैसी हस्तियाँ थीं। अकबर की सेना में राजा मान सिंह का पुत्र जगत सिंह, राय रैयन (विक्रमादित्य द्वितीय), राय लौन करण, रामचन्द्र बघेल, बाथ का राजा आदि प्रमुख सेनापति थे।

अकबर ने संस्कृत ग्रन्थों के अरबी और फारसी में अनुवाद की परम्परा भी शुरु कराई। अकबर ने उस समय की हिन्दी को बढ़ावा दिया था। अकबर ने बीरबल को कविराज की उपाधि दे रखी थी । राजा भगवान दास, राजा मान सिंह, अब्दुरहीम खानखाना अकबर के दरबारी हिन्दी कवि थे। दरबार के बाहर तुलसीदास,  सूरदास, नाभाजी, केशव और नन्ददास आदि कवियों ने अकबर के समय ही कविता की थी। गोपाल भट्ट नामक कवि को भी अकबर के दरबार में पूरी इज्जत मिली थी।

(सभी चित्र गूगल के सौजन्य से साभार।)

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भाईचारे का इतिहास - तीसरी कड़ी यहाँ पढ़िए

भाईचारे का इतिहास - चौथी कड़ी यहाँ पढ़िए

भाईचारे का इतिहास - पाँचवीं/अन्तिम कड़ी यहाँ पढ़िए



6 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (27-04-2022) को चर्चा मंच      "अब गर्मी पर चढ़ी जवानी"   (चर्चा अंक 4413)     पर भी होगी!
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    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    --

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    1. बहुत-बहुत धन्‍यवाद। अन्‍तर्मन से आभार।

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  2. मान सिंह की छाप जनमानस में अच्छी नहीं है.

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    1. मुमकिन है। लेकिन लेख में मेरा अपना, कुछ भी नहीं है।

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  3. वाह! सकारात्मकता लिए बेहतर प्रस्तुति।
    पढ़वाने हेतु हार्दिक आभार।
    सादर

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    1. ब्‍लरॅग पर आने के लिए और टिप्‍पणी करने के एि बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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