यह मेरी पोस्ट का शीर्षक नहीं है । मेरे आत्मीय और प्रिय पंकज शुक्ला ‘परिमल’ के प्रथम कविता संग्रह का शीर्षक है ।
मुझे कविता और साहित्य की समझ नहीं है किन्तु कवियों, लेखकों, साहित्यकारों से मिलना, उनसे बातें करना, उन्हें आपस में बातें करते सुनना मुझे अच्छा लगता है । खुद से बेहतर लोगों से सम्पर्क बनाना और बनाए रखने में मुझे सन्तोषदायी सुख मिलता है । पंकज से भी मुझे यह सब मिलता रहा है और मिल रहा है ।
पंकज के इस कविता संग्रह में कुल 44 कविताएँ हैं । मैं ये सारी कविताएँ अपने ब्लाग पर प्रस्तुत करना चाह रहा हूँ ।
पंकज का यह कविता संग्रह, साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, भोपाल ने प्रकाशित किया है । श्री रमेश दवे ने इसकी भूमिका लिखी है और श्री विनय उपाध्याय ने अपने आशीष प्रदान किए हैं । संग्रह का आवरण, प्रख्यात चित्रकार सचिदा नागदेव की कूची से उतरा है ।
मैं पंकज के प्रति मोहग्रस्त हूँ, निरपेक्ष बिलकुल नहीं । आपसे करबध्द निवेदन है कि कृपया पंकज की कविताओं पर अपनी टिप्पणी अवश्य दें ।
।। भविष्यवाणी ।।
ज्योतिषी ने बाँच कर कुण्डली
बताया है, वक्त बुरा है ।
ठीक नहीं है ग्रहों की चाल
अभी और गहराएगा संकट ।
फले-फूलेगा भ्रष्टाचार
अपराध बढ़ेंगे
पाखण्ड का बोलबाला होगा
चालाकी होगी सफल
झूठ आगे रहेगा सच के
अच्छाई की राह में
अभी और काँटे हैं ।
पंछी से आकाश और होगा दूर
खिलने से ज्यादा मुश्किल होगा
फूल का शाख पर टिके रहना ।
नदियों में नहीं होगा पानी
हवा में घुलेगा जहर ।
बच्चों को नहीं मिलेगा समय
कि तैरा पाएँ कागज की कश्ती
वे कहानियों की जगह
गुनेंगे सामान्य ज्ञान ।
बाहर तो बाहर
घर में भी महफूज
नहीं रहेंगी बच्चियाँ ।
बुजुर्गों का इम्तिहान
और कड़ा होगा ।
बुरे वक्त में चाहें अनुष्ठान न करवाना
दान-धर्म न हो तो
कोई बात नहीं
हो सके तो बचाना
अपने भीतर सपने
भले ही हों वे आटे में नमक जितने ।
मुश्किल घड़ी में जीना
सपनों के आसपास ।
देखना फिर नक्षत्र बदलेंगे
बदलेगी ग्रहों की चाल ।
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मुझे कविता और साहित्य की समझ नहीं है किन्तु कवियों, लेखकों, साहित्यकारों से मिलना, उनसे बातें करना, उन्हें आपस में बातें करते सुनना मुझे अच्छा लगता है । खुद से बेहतर लोगों से सम्पर्क बनाना और बनाए रखने में मुझे सन्तोषदायी सुख मिलता है । पंकज से भी मुझे यह सब मिलता रहा है और मिल रहा है ।
पंकज के इस कविता संग्रह में कुल 44 कविताएँ हैं । मैं ये सारी कविताएँ अपने ब्लाग पर प्रस्तुत करना चाह रहा हूँ ।
पंकज का यह कविता संग्रह, साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, भोपाल ने प्रकाशित किया है । श्री रमेश दवे ने इसकी भूमिका लिखी है और श्री विनय उपाध्याय ने अपने आशीष प्रदान किए हैं । संग्रह का आवरण, प्रख्यात चित्रकार सचिदा नागदेव की कूची से उतरा है ।
मैं पंकज के प्रति मोहग्रस्त हूँ, निरपेक्ष बिलकुल नहीं । आपसे करबध्द निवेदन है कि कृपया पंकज की कविताओं पर अपनी टिप्पणी अवश्य दें ।
।। भविष्यवाणी ।।
ज्योतिषी ने बाँच कर कुण्डली
बताया है, वक्त बुरा है ।
ठीक नहीं है ग्रहों की चाल
अभी और गहराएगा संकट ।
फले-फूलेगा भ्रष्टाचार
अपराध बढ़ेंगे
पाखण्ड का बोलबाला होगा
चालाकी होगी सफल
झूठ आगे रहेगा सच के
अच्छाई की राह में
अभी और काँटे हैं ।
पंछी से आकाश और होगा दूर
खिलने से ज्यादा मुश्किल होगा
फूल का शाख पर टिके रहना ।
नदियों में नहीं होगा पानी
हवा में घुलेगा जहर ।
बच्चों को नहीं मिलेगा समय
कि तैरा पाएँ कागज की कश्ती
वे कहानियों की जगह
गुनेंगे सामान्य ज्ञान ।
बाहर तो बाहर
घर में भी महफूज
नहीं रहेंगी बच्चियाँ ।
बुजुर्गों का इम्तिहान
और कड़ा होगा ।
बुरे वक्त में चाहें अनुष्ठान न करवाना
दान-धर्म न हो तो
कोई बात नहीं
हो सके तो बचाना
अपने भीतर सपने
भले ही हों वे आटे में नमक जितने ।
मुश्किल घड़ी में जीना
सपनों के आसपास ।
देखना फिर नक्षत्र बदलेंगे
बदलेगी ग्रहों की चाल ।
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पंकज की अन्य रचनाएं पढने के लिए कृपया मेरा नया ब्लाग 'मित्र-धन' http://mitradhan.blogspot.com देखें । यह नया ब्लाग मैं ने अपने मित्रों की रचनाएं प्रकाशित करने के लिए ही प्रस्तुत किया है ।
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बढ़िया लेखन!
ReplyDeleteमुश्िकल घड़ी में जीना
ReplyDeleteसपनों के आसपास ।
देखना फिर नक्षत्र बदलेंगे
बदलेगी ग्रहों की चाल ।
अच्छी पंक्तिया..
बैरागी जी आपके ब्लॉग से कविता की कुछ पंक्तियाँ इस कमेन्ट में डाली है क्षमा करेंगे।
बहुत सुंदर और यथार्थ कविता है। पंकज से मिलवाने के लिए बहुत बहुत आभार। हम सभी कविताएं पढ़ेंगे।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ! पढ़वाने के लिए धन्यवाद ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
bouth he aacha post kiyaa aapne nice work
ReplyDeletevisit my site shyari,recipes,jokes and much more visit plz
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