इतना तो मेरे बस में है


अभी-अभी, 15 अगस्त को हमने अपने चौंसठवें स्वाधीनता दिवस का उत्सव मनाया है। अपने राष्ट्र प्रेम को प्रकट करने में हम न तो कंजूसी करते हैं और न ही देर। ऐसे में प्रसंग जब स्वाधीनता दिवस का हो तो हमारा यह ‘प्रकटीकरण’ चरम पर होता है। राष्ट्र भक्ति के वादे करने और कसमें खाने के मामले में, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यदि कोई पुरुस्कार स्थापित हो तो मुझे भरोसा है कि प्रति वर्ष उस पर हम भारतीय ही कब्जा करते रहेंगे। इसके समानान्तर मुझे यह भी विश्वास है कि वादों-कसमों पर अमल करने के लिए स्थापित कोई भी पुरुस्कार हम एक बार भी हासिल नहीं कर पाएँगे। बोलने और बताने-जताने में अव्वल और कर गुजरने में फिसड्डी - यही हमारी पहचान बन गई है।

जो मुझसे असहमत हों और जिन्हें मेरी बात पर गुस्सा आ रहा हो, उन्हें एक स्वर्णिम अवसर मिल रहा है-मुझे झूठा साबित करने का।

तीन अक्टूबर से शुरु होनेवाले राष्ट्रकुल खेलों का प्रतीक ‘क्वीन्स बेटन’ (जिसे शालीन शब्दावली में ‘साम्राज्ञी का राजदण्ड’ और मुझ जैसे कुटिल लोगों की शब्दावली में ‘महारानी का डण्डा’ कहा जा सकता है) नई दिल्ली ले जाया जा रहा है। रास्ते भर इसका राजसी स्वागत किया जा रहा है। यह ‘राजसी शोभा यात्रा’ पन्द्रह सितम्बर को मध्य प्रदेश में प्रवेश करेगी। मेरा कस्बा रतलाम इसका पहला मुकाम है। हम सब जानते हैं कि ‘राष्ट्र कुल’ का गठन अंग्रेजों ने किया था और इसमें वे सारे देश शामिल हैं जो कभी अंग्रेजों के गुलाम थे। ये सारे देश आज आजाद हो चुके हैं किन्तु सब के सब, अंग्रेजों की यह मानसिक गुलामी ढो रहे हैं। राष्ट्र कुल सम्मेलनों और खेलों में काम की बातें कितनी होती हैं, इस पर भरपूर बहस की जा सकती है किन्तु इसके माध्यम से अंग्रेज अपनी श्रेष्ठता और प्रभुता साबित करने में सफल होते हैं, इसमें रंच मात्र भी सन्देह नहीं। व्यक्तिगत स्तर मैं ‘राष्ट्र कुल’ की अवधारणा को हमारी स्वतन्त्रता पर कलंक मानता हूँ। इसे स्वीकार कर हम लोग सार्वजनिक रुप से अपनी आजादी का अस्वीकार और अंग्रेजों की मानसिक गुलामी का स्वीकार ही प्रकट करते हैं।

देश का बड़ा तबका, बरसों से इस अवधारणा का विरोध करता चला आ रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के विकास का लाभ यह हुआ है कि इस विरोध की व्यापकता अब सहजता से मालूम होने लगी है। इसका विरोध करनेवाले धीरे-धीरे एकजुट होने लगे हैं। लगभग सभी राजनीतिक दलों में इस अवधारणा का विरोध करनेवाले लोग बड़ी संख्या में मौजूद हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान तो अपना विरोध और असहमति सार्वजनिक रूप से प्रकट कर ही चुके हैं।

ऐसे में, मुझे लगता है कि राष्ट्र प्रेम की अपनी कसमों-वादों पर अमल करने का यह सुनहरा मौका है। महारानी के डण्डे की इस यात्रा की उपेक्षा और बहिष्कार से आगे बढ कर इसका विरोध कर हम अपनी सचाई साबित कर सकते हैं। महारानी का यह डण्डा, 17 सितम्बर को भोपाल पहुँचेगा। वहाँ इसका विरोध करने की जोरदार तैयारियाँ चल रही हैं। यह अच्छा ही है।

चूँकि शिवराज सिंह चौहान सार्वजनिक रूप से इसके प्रति अपना विरोध प्रकट कर चुके हैं इसलिए तमाम भाजपाइयों की यह ‘राजनीतिक जिम्मेदारी’ बनती है कि वे अपने नेता के समर्थन में खुल कर सड़कों पर आएँ। कांग्रेस ने तो आजादी की लड़ाई का नेतृत्व किया था! ऐसे में तमाम कांग्रेसियों की यह 'सहज नैतिक जिम्मेदारी' बनती है कि अंग्रेजों की मानसिक गुलामी के इस प्रतीक का वैसा ही विरोध करें जैसा कि उस जमाने में अंग्रेजी सल्तनत का किया था। जो लोग न कांग्रेसी हैं और न ही भाजपाई, वे और कुछ हो न हों, ‘भारतीय’ तो हैं ही। सो, सच्चा भारतीय होने के नाते उन सबने भी, अंग्रेजों की गुलामी के इस प्रतीक का प्रतिकार करना चाहिए।

मैं तय नहीं कर पा रहा हूँ कि मैं अकेला कैसे और कहाँ, ‘महारानी के डण्डे’ का मुँह चिढ़ाऊँ। सो, तय किया है कि यदि कोई संगठन ‘महारानी के डण्डे’ का विरोध कार्यक्रम आयोजित करेगा तो उसमें प्रसन्नतापूर्वक भागीदारी करूँगा, फिर भले यह कार्यक्रम कोई भी आयोजित करे - कांग्रेस, भाजपा, समाजवादी, साम्यवादी या और कोई भी।

इतना तो मेरे बस में है ही। यह करने को उतवाला हूँ।

-----

आपकी बीमा जिज्ञासाओं/समस्याओं का समाधान उपलब्ध कराने हेतु मैं प्रस्तुत हूँ। यदि अपनी जिज्ञासा/समस्या को सार्वजनिक न करना चाहें तो मुझे bairagivishnu@gmail.com पर मेल कर दें। आप चाहेंगे तो आपकी पहचान पूर्णतः गुप्त रखी जाएगी। यदि पालिसी नम्बर देंगे तो अधिकाधिक सुनिश्चित समाधान प्रस्तुत करने में सहायता मिलेगी।

यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें । यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें । मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर - 19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001.

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी मुझे सुधारेगी और समृद्ध करेगी. अग्रिम धन्यवाद एवं आभार.