आज चिकने घड़ों की बातें कर ली जाये !

 
श्रीमुकेश नेमा का यह व्यंग्य मुझे आज सुबह वाट्स एप पर मिला। मुझे बहुत अच्छा लगा। लगा कि इसे अधिकाधिक लोगों तक पहुँचना चाहिए। मुकेश भाई से पूछा - “इसे मेरे ब्लॉग पर प्रकाशित करने की अनुमति देंगे?” अविलम्ब उत्तर मिला - “इसमें पूछना क्या है? आपका यह ‘सर्वाधिकार’ हमेशा सुरक्षित है।” मुकेश भाई वर्तमान में, मध्य प्रदेश शासन के आबकारी विभाग में उपायुक्त के पद पर ग्वालियर में पदस्थ हैं। चित्र में, अपनी ‘सदैव स्मिता’ उत्तमार्द्ध श्रीमती राजेश्वरी नेमा के साथ मुकेश भाई।


अब, घड़े तो आप और हम सब हैं ही। लेकिन घड़े होने का आनन्द ही तब है जब वो चिकना हो।

चिकने होने के सैकडों लाभ हैं। आप हर किसी की पकड़ से बाहर होते हैं, चिकना होना आपको फिसल जाने में मदद करता है, कोई आपका इस्तेमाल नहीं कर सकता पर आप जिस किसी की भी जेब से मनचाहा निकाल सकते हैं, आप इत्मीनान से बिना कुछ किये, तर माल सूँतते रह सकते हैं, बिना किसी के काम आये सबका इस्तेमाल कर सकते हैं और बिना हाथ पाँव हिलाये, मौज भरी चिकनाई के मज़े लेना आपके लिये खेल सा हो जाता है। आप और ज्यादा चिकने होते चले जाते हैं।

महाकवि भवानीप्रसाद मिश्र भले ही कह गये हों कि दुख आदमी को माँजता है लेकिन यह उक्ति चिकने घड़ों पर लागू नहीं होती। यहाँ सुख आपको माँजता है तथा और अधिक चिकने होने में आपकी मदद करता है। आपके व्यक्तित्व को एक ऐसी गरिमामय आभा प्रदान करता है कि लोगों को आपके बारे में काम का आदमी होने की गलतफहमी होने लगती है।

किन्तु इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि चिकना घड़ा होना आसान है। ऐसा सोचना, गलती करना है। इस चिकनत्व को प्राप्त हो जाना बड़े-बड़े हठयोगियों के लिये भी अत्यन्त कठिन है। यह इतना ही आसान होता तो फिर हो चुके चिकने घड़ों को सेवादारों के टोटे पड़ सकते थे। इस श्रेणी में शामिल हो जाने के लिये भारी कोशिशों की दरकार होती है। 

चिकना घड़ा होने के लिये आपको अथक कोशिशेे करनी पड़ेंगी। सबसे पहले आप को इज्जत, मान-अपमान टाईप की फिज़ूल चीज की चिन्ता से अपने आपको दूर रखना होगा। किसी की मदद करना सख्त मना है। किसी की वाजिब बात मान लेना और भी बुरा हो सकता है। आपके दोनों कानों के बीच हाई-वे होना ही चाहिये ताकि ईमानदारी, सच्चाई, मेहनत, भलमनसाहत जैसै शब्द एक कान में पड़ते ही सरपट दूसरे कान से बाहर हो सकें। यह तय करके चलना होता है कि आसपास जो भी बिखरा पड़ा है वो हमारे बाप का माल है। आपकी हरकतें ऐसी होनी चाहिये कि लोग आपके बारे में यह तय करने में मजबूर हो जाये कि यार इससे कोई उम्मीद करना बेकार है। इसका कुछ नहीं किया जा सकता। आपकी बातचीत में कुछ ऐसा शनित्व होना होना चाहिये कि सुनने वाला फौरन इस नतीजे पर पहुँच जाये कि ये दुष्ट अपनी बात मनवाये बिना मानेगा नही और कुछ ले देकर इसकी बात मानकर इससे पिण्ड छुड़ा लेने में ही भलाई है।

वैसे कुछ भाग्यशाली घड़े जन्मजात भी चिकने होते हैं। ऐसा तब ही होता है जब आप सोने-चाँदी के घड़ों के खानदान से हों। मिट्टी मिली पैदाईश वाले घड़ों के लिये चिकना होना थोड़ा कठिन ही होता है। 

यदि आप जन्म से ही इस चिकनत्व को प्राप्त कर चुके हैं तो हृदय से मेरा अभिवादन स्वीकार करें। यदि नहीं हैं तो मन पक्का करके, थोड़ी कोशिशें करके, चिकनों के इस दिन दूने रात चौगुने फैलते पन्थ में अपनी जगह बना सकते हैं।

1 comment:

  1. वैसे कुछ घड़े जन्मजात चिकने होते हैं। हा हाँ हा.......

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