आम आदमी की ‘जीवन रक्षक’

अभी-अभी, 19 अगस्त 2014 को भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने ‘जीवन रक्षक’ (तालिका 827) नाम से नई बीमा योजना बाजार में प्रस्तुत की है। एलआईसी की मौजूदा बीमा योजनाओं के मुकाबले इसे ‘आम आदमी की बीमा पॉलिसी’ कहा जा सकता है।

इस पॉलिसी की प्रमुख बातें इस प्रकार है -

- अपनी आयु के 08 वर्ष पूर्ण कर चुके व्यक्तियों से लेकर 55 वर्ष तक की आयु के व्यक्ति यह पॉलिसी ले सकते हैं।
(यहाँ 55 वर्ष का अर्थ है, जिसकी आयु आज 55 वर्ष, 05 महीने और 29 दिन है।)

- इस पॉलिसी में पूर्व दिनांकन (बेक डेटिंग) की सुविधा भी उपलब्ध है। अर्थात् इस पॉलिसी को खरीदें भले ही आज किन्तु इसका प्रारम्भ दिनांक 01-04-2014 से भी लिया जा सकता है। इसका लाभ यह है कि जो आदमी आज 55 वर्ष 06 महीने से अधिक आयु का हो चुका है (ऐसा आदमी एलआईसी के हिसाब से 56 वर्ष का हो कर यह पॉलिसी लेने की पात्रता खो चुका है), वह भी उस पिछली तारीख से यह बीमा ले सकता है जिस तारीख को वह 55 वर्ष 05 माह 29 दिन की सीमा में आ जाता हो।

- पूर्व दिनांकन की सुविधा लेने पर प्रीमीयम की रकम पर 9.5 प्रतिशत की साधारण दर से ब्याज देय होगा।

 - पॉलिसी की अवधि न्यूनतम 10 वर्ष और अधिकतम 20 वर्ष होगी। 

इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पॉलिसी के अन्तर्गत एक व्यक्ति को अधिकतम 2,00,000/- रुपयों का ही बीमा मिल सकेगा। इस भ्रम मे बिलकुल न रहें कि दो-दो लाख की, एक से अधिक पॉलिसियाँ ली जा सकेंगी। अधिकतम बीमा धन की यह सीमा ‘प्रति जीवन’ है, ‘प्रति पॉलिसी’ नहीं। हमें बताया गया है कि इस आशय की सूचना, आपको जारी की जानेवाली रसीद पर भी अंकित होगी और पॉलिसी पर भी। यदि आपने जाने-अनजाने (किसी एजेण्ट की चूक से भी) इस योजना के तहत दो लाख रुपयों से अधिक का बीमा ले लिया तो भुगतान (यह भुगतान पॉलिसी पूरी होने पर मिलनेवाला हो या मृत्यु होने पर मिलनेवाला) केवल दो लाख रुपयों का (और पात्रता होने पर लॉयल्टी एडीशन) ही मिलेगा।

- प्रीमीयम का भुगतान पूरी पॉलिसी अवधि तक करना होगा। अर्थात्, जितने वर्षों के लिए पॉलिसी ली है, उतने वर्षाें तक प्रीमीयम चुकानी पड़ेगी।

- पॉलिसी की पूर्णावधि आयु 70 वर्ष है। अर्थात् आयु के 70 वर्ष तक के लिए ही यह पॉलिसी मिल सकेगी। अर्थात्, 55 वर्ष के व्यक्ति को अधिकतक 15 वर्ष की अवधि के लिए यह पॉलिसी मिल सकेगी।

- प्रीमीयम का भुगतान वार्षिक, अर्द्ध वार्षिक, तिमाही, वेतन से/ईसीएस से मासिक रूप से किया जा सकेगा।

- न्यूनतम बीमा धन 75,000/- रुपये तथा अधिकतक बीमा धन 2,00,000/- रुपये है। बीमा-धन, 5000/- रुपयों के गुणक में होगा। अर्थात् 75,000/- के बाद 80 हजार, 85 हजार आदि आदि।

- 50 पैसे प्रति हजार बीमा धन की दर से ‘दुर्घटना हित लाभ’ उपलब्ध है।

- तीन वर्षों की प्रीमीयम चुकाने के बाद इस पॉलिसी पर लोन लिया जा सकेगा, सरेण्डर भी किया जा सकेगा।

- इस पॉलिसी में वार्षिक बोनस का प्रावधान नहीं है। किन्तु पूर्णावधि पर ‘निष्ठा आधिक्य’ (लॉयल्टी एडीशन) का भुगतान किया जाएगा।

- पाँच वर्ष पूरे हो जाने के बाद (अर्थात् पाँच वर्षों की प्रीमीयम जमा करने के बाद) ही पॉलिसी को ‘निष्ठा आधिक्य’ की पात्रता प्राप्त होगी। 

- प्रीमीयम की रकम पर सेवा कर तथा सर चार्ज अलग से देय होगा। पहले वर्ष इनकी दर 3.09 प्रतिशत होगी। बाद के वर्षों में यह दर 1.545 प्रतिशत होगी।

- प्रीमीयम की रकम पर आय कर की धारा 80-सी के अन्तर्गत कर-छूट मिलेगी।

- सेवा कर तथा सर चार्ज की रकम पर आय-कर-छूट नहीं मिलेगी।

- पॉलिसी से मिलनेवाली रकम, आय कर अधिनियम की धारा 10 (10)-डी के अन्तर्गत कर-मुक्त होगी।

प्राप्तियाँ

पॉलिसी से मिलनेवाला भुगतान निम्नानुसार होगा -

- पूर्णावधि (अर्थात् पॉलिसी पूरी होने) पर बीमा धन तथा लायल्टी एडीशन की रकम मिलेगी।

- पॉलिसी अवधि पूरी होने से पहले मृत्यु की दशा में बीमा धन तथा लॉयल्टी एडीशन की रकम का भुगतान, नामित व्यक्ति (नामिनी) को किया जाएगा।

- दुर्घटना मृत्यु की दशा में बीमा धन की दोगुनी रकम तथा लॉयल्टी एडीशन की रकम का भुगतान, नामित व्यक्ति (नामिनी) को किया जाएगा। 

- किन्तु लॉयल्टी एडीशन की रकम का भुगतान तभी किया जा सकेगा जबकि पॉलिसी पाँच वर्ष चल चुकी होगी। क्योंकि जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है, पॉलिसी को लॉयल्टी एडीशन की पात्रता, पॉलिसी के पाँच वर्ष पूरे करने के बाद ही प्राप्त होगी।

- अर्थात्, यदि किसी पॉलिसीधारक की मृत्यु, पॉलिसी के पाँच वर्ष पूरे होने से पहले होती है तो उसके नामिनी को केवल बीमा धन की रकम का भुगतान होगा और यदि मृत्यु दुर्घटना से हुई होगी तो यह भुगतान, बीमा धन की दोगुनी रकम के बराबर होगा।
विशेषता
- चूँकि इस पॉलिसी में वार्षिक बोनस का प्रावधान नहीं है इसलिए इसकी प्रीमीयम, एलआईसी की मौजूदा अन्य पॉलिसियों की प्रीमीयम की अपेक्षा उल्लेखनीय रूप से कम है।

- न्यूनतम बीमा धन 75,000/- रुपये होने से (और, जैसा कि कहा गया है,  प्रीमीयम भी कम होने से) वे लोग भी बीमा सुरक्षा प्राप्त कर सकेंगे जो अभी एलआईसी की कोई अन्य पॉलिसी नहीं ले पा रहे हैं। एलआईसी की मौजूदा तमाम पॉलिसियों में कम से कम 1,00,000/- का बीमा लेना अनिवार्य है और चूँकि उनमें वार्षिक बोनस का प्रावधान है, इसलिए उनकी प्रीमीयम अपेक्षया तनिक अधिक आती है। इन दो कारणों से ही इसे ‘आम आदमी की बीमा पॉलिसी’ कहा जा सकता है।

उदाहरण 

30 वर्ष की आयु वाले एक व्यक्ति ने 2,00,000/- रुपये बीमा धन की ‘जीवन रक्षक’ पालिसी ली।

- उसकी वार्षिक प्रीमीयम पहले वर्ष रुपये 7,058/- तथा अगले 19 वर्षों के लिए रुपये 6,952/- प्रति वर्ष होगी। इन दोनों ही रकमों में, सेवा कर तथा सर चार्ज की रकम शामिल है।

- पॉलिसी पूरी होने पर, मेरे हिसाब से मिलनेवाला सम्भावित भुगतान 2,50,000/- रुपये (2,00,000/- रुपये मूल बीमा धन तथा 50,000/- रुपये लॉयल्टी एडीशन) होगा।

- उपरोक्त रकम में बीमा धन 2,00,000/- का भुगतान सुनिश्चित है जबकि 50,000/- रुपयों का लॉयल्टी एडीशन का भुगतान अनुमानित है।

- हिसाब करें तो पायेंगे कि इस आदमी ने 20 वार्षिक किश्तों में कुल 1,40,046/- चुकाए। अर्थात् बीमा धन से 60 हजार रुपये कम (अर्थात् बीमा धन की 70 प्रतिशत रकम) दिए जबकि प्राप्तियाँ, जमा की गई रकम से लगभग एक लाख रुपये अधिक हो रही है।

- यदि, दुर्भाग्यवश इस आदमी की मृत्यु, पॉलिसी के पाँच वर्ष पूरे होने के बाद किसी भी समय होती है तो भी उसके नामिनी को लगभग इतनी ही रकम मिलेगी। और यह मृत्यु यदि दुर्घटना से हुई तो इसमे दो लाख रुपये और जुड़ जाएँगे।

- यदि यह मृत्यु, पॉलिसी के पाँच वर्ष पूरे होने से पहले हुई तो नामिनी को बीमा धन की रकम मिलेगी। दुर्घटना मृत्यु की दशा में, बीमा धन की दोगुनी रकम मिलेगी।

लॉयल्टी एडीशन की गणना

लॉयल्टी एडीशन की गणना मैंने अत्यधिक कंजूसी से की है। एलआईसी की, लॉयल्टी एडीशन के प्रावधानवाली मौजूदा पॉलिसियों में, 10 वर्ष की अवधिवाली पॉलिसियों के लिए 250 रुपये प्रति हजार बीमा धन के हिसाब से (अर्थात्, एक लाख रुपये बीमा धन पर 25,000/- रुपये के हिसाब से) लॉयल्टी एडीशन का भुगतान किया गया है। 20 वर्षों की अवधि के लिए यह दर 600-700 रुपयों तक (अर्थात् एक लाख की पॉलिसी पर 70 हजार रुपये) की दर से भुगतान का प्रावधान है। चूँकि मैं तनिक ‘भयभीत’ आदमी हूँ इसलिए, ऊँची-ऊँची तथा लम्बी-चौड़ी बातें करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। लेकिन तय मानिए कि लॉयल्टी एडीशन की रकम, मेरी बताई गई, 250 रुपये प्रति हजार बीमा धन से अधिक ही होगी और अच्छी-खासी अधिक होगी। किन्तु, कानूनी नुक्तों के मद-ए-नजर, मेरी बताई दर को भी ग्यारण्टी बिलकुल न मानें। हाँ, बीमा धन की रकम की ग्यारण्टी तो बराबर है।

मेरी (बिना माँगी) सलाह है कि यदि आप कम से कम भाव में ‘जोखिम सुरक्षा’ खरीदने में विश्वास करते हैं तो आपके लिए यह निश्चय ही ‘उपयुक्त पॉलिसी’ है। खुद के लिए, अपने परिजनों के लिए तो लीजिए ही, अपने परिचितों, मित्रों को भी इसके लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करें। आपके संस्थान के और घरेलू कर्मचारियों के लिए भी यह आदर्श पॉलिसी है।

मैंने इसे ‘आम आदमी की बीमा पॉलिसी’ कहा है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ‘खास आदमी‘ इसे नहीं ले सकते। वस्तुतः यह पॉलिसी आम-ओ-खास, सबके लिए समान रूप से आदर्श पॉलिसी भी है और समान रूप से उपलब्ध भी है। 

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