![](http://4.bp.blogspot.com/_PMwYtaf0sF4/SHByqhnDViI/AAAAAAAAABc/yY3QJyzOWI0/s320/yunuskhan.jpg)
‘दैनिक भास्कर’ के आज के फिल्मी परिशिष्ट ‘नवरंग’ में प्रकाशित, यूनुस भाई का स्तम्भ ‘स्वर पंचमी’ अपनी पहली फुरसत में पढ़ लीजिएगा । ‘यहाँ बादल इबादत कर रहे हैं‘ शीर्षक वाला इनका आज का आलेख अत्यन्त परिश्रम से लिखा गया है जिसमें उन फिल्मी पावस गीतों की जानकारी दी गई है जो दुर्लभ भी हैं और इतने अनसुने कि उन्हें फौरन ही सुनने की हूक मन में उठने लगेगी ।
रघुवीर सहाय भी फिल्मी गीतकार हो सकते हैं - यह अनूठी जानकारी इस आलेख में दी गई है ।
दैनिक भास्कर का यह फिल्मी परिशिष्ट देश भर के इसके समस्त संस्करणों के साथ उपलब्ध कराया जाता है सो अनुमान लगाता हूं कि यह इसके इण्टरनेट संस्करण पर भी उपलब्ध होगा जिसे www.bhaskar.com पर पढ़ा जा सकता है ।
मुझे अच्छा लिखना नहीं आता सो अच्छे ब्लागरों की अच्छी बातें सब तक पहुंचाने का अच्छा काम करके खुद के लिए तसल्ली ढूंढ लेता हूं ।
यूनुस भाई ने इस आलेख के लिए कितना परिश्रम किया होगा, यह आलेख पढ़ने के बाद ही अनुभव हो पाएगा ।
यूनुस भाई पर गर्व करें - वे ब्लाग जगत को गौरवान्वित कर रहे हैं ।
आजकल हर शनिवार पेपर उठाते ही हम पहला काम यही करते हैं कि युनुस भाई का लेख नवरंग में तलाश कर पढ़ते हैं, उसके बाद फ्रंट पेज देखते हैं.
ReplyDeleteआप संगीत पर बातें कर सकते हैं, सुन-सुना सकते हैं मगर शब्दों में ऐसी जान डाल देना कि लगे कि स्वर लहरियां जीवंत हो उठी हैं और अख़बार के पृष्ठ से बाहर निकल कर बहने लगी हैं, ऐसा लिखना युनुस जी के ही बस की बात है. हर शनिवार इसका अनुभव कर रहे हैं. बात सुरैया की हो या मदन मोहन की या फिर आज बरसात के कम सुने गीतों की, सब कुछ लाजवाब अंदाज में पेश किया है उन्होंने.
यूनुस जी के इस आलेख को यहाँ पढ़ें (पीडीएफ़). संभवतः आपसे भास्कर में लॉगिन के लिए पूछा जा सकता है. पंजीकरण आसान है, और काम का.
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