अपना नाम न छापने का आग्रह करते हुए, मेरे एक नियमित कृपालु पाठक ने पूछा है - ‘सरकारी नौकरी में हूँ और मेरी उम्र इस समय 45 वर्ष है। मैंने अब तक कोई बीमा पॉलिसी नहीं ली है। अब लेने का विचार कर रहा हूँ किन्तु फैसला नहीं कर पा रहा हूँ कि कौन सी पॉलिसी लूँ और किस कम्पनी की लूँ। बाजार में यूलीप पॉलिसियों का चलन है और प्रायवेट कम्पनियों के एजेण्ट बार-बार सम्पर्क कर रहे हैं किन्तु इनका कोई ट्रेक रेकार्ड उपलब्ध नहीं है। निष्पक्ष सलाह दें।’
निश्चिन्त रहिए, निष्पक्ष सलाह ही दूँगा।
निजी बीमा कम्पनियों के बाजार में आने के बाद से चारों ओर यूलीप पॉलिसियों का बोलाबाला बना हुआ है। सच तो यह है कि यूलीप पॉलिसियाँ इन निजी बीमा कम्पनियों की ही देन है।
कोई भी पॉलिसी न तो शत प्रतिशत निर्दोष होती है और न ही शत प्रतिशत खराब। ऐसा होता तो बीमा कम्पनियाँ विभिन्न प्रकार की बीमा पॉलिसियाँ प्रस्तुत क्यों करतीं?
चूँकि, जैसा कि आपने कहा है, बाजार में यूलीप पॉलिसियों का बोलबाला है इसलिए संक्षेप में यूलीप पॉलिसी की अवधारणा बताने की चेष्टा कर रहा हूँ।
यूलीप पॉलिसी की बहुत बड़ी विशेषता है - बीमा सुरक्षा के साथ-साथ, स्टॉक मार्केट में निवेश की सुविधा और उससे मिलनेवाला लाभ। चूँकि यह पॉलिसी स्टॉक मार्केट से जुड़ी होती है इसलिए यह आवश्यक नहीं कि इसमें लाभ हो ही। बाजार (सेंसेक्स) की दशा के अनुसार ही इसमें लाभ और हानि की सम्भावना और आशंका समान रूप से बनी रहती है।
यूलीप पॉलिसी के लिए चुकाई गई प्रीमीयम का बड़ा भाग आपकी ओर से, आपके मनपसन्द ‘फण्ड’ में निवेशित होता है। इस निवेश पर ‘मार्केट रिस्क’ की शर्त लागू रहती है, वह भी आपकी जिम्मेदारी पर। याने लाभ हुआ तो आपका और हानि हुई तो आपकी। यूलीप पॉलिसी में, निर्धारित अवधि के बाद, कितने निवेश पर कितना रिटर्न मिलेगा - यह ग्यारण्टी कोई नहीं दे सकता। यह अलग बात है कि कई उत्साही एजेण्ट ग्यारण्टी की बात कह देते हैं। किन्तु यह याद रखिए कि इसमें रिटर्न की कोई ग्यारण्टी नहीं होती। अन्तिम भुगतान तिथि पर आपके निवेश की जो फण्ड वेल्यू होगी, वह आपको दे दी जाएगी।
यूलीप पॉलिसी में बीमा प्रीमीयम बहुत कम होती है इसलिए आपकी रकम का बड़ा हिस्सा निवेश के लिए उपलब्ध होता है। निर्धारित अवधि से पहले पॉलिसीधारक की मृत्यु की दशा में भुगतान की जानेवाली रकम के बारे में प्रत्येक कम्पनी की अपनी शर्तें हो सकती हैं। कुछ बीमा कम्पनियाँ, बीमा धन और फण्ड वेल्यू, दोनों को भुगतान करती हैं जबकि कुछ कम्पनियाँ, इन दोनों में से जो रकम अधिक हो, उसका भुगतान करती हैं। इसलिए, यूदि आप यूलीप पॉलिसी ले रहे हैं तो इस बारे में सब कुछ स्पष्ट जान लीजिएगा।
पॉलिसी लेने के बाद तरलता (लिक्विडिटी) की उपलब्धता इस पॉलिसी की एक और विशेषता है।
वर्तमान प्रावधानों के अनुसार, पॉलिसी लेने के पाँच वर्ष बाद (जिसे ‘लॉक-इन पीरीयड’ कहा जाता है) आप अपनी पॉलिसी बन्द कर, उसकी फण्ड वेल्यू प्राप्त कर सकते हैं। 30 सितम्बर 2010 तक खरीदी गई पॉलिसियों में यह अवधि तीन वर्ष थी।
कुछ बीमा कम्पनियों ने अपनी यूलीप पॉलिसियों में तीन वर्ष बाद आंशिक भुगतान की सुविधा भी उपलब्ध कराई हुई है। याने, आप पॉलिसी पूरी तरह बन्द न कर, अपनी फण्ड वेल्यू का एक भाग प्राप्त कर सकते हैं। यह आंशिक भुगतान प्राप्त कर लेने के बाद आपकी बीमा राशि (रिस्क कवरेज) में कोई कमी आएगी या नहीं, इसके बारे में भी अलग-अलग कम्पनियों के अलग-अलग प्रावधान हैं। कुछ कम्पनियाँ बीमा राशि (रिस्क कवरेज) में कमी नहीं करतीं जबकि कुछ कम्पनियाँ, रिस्क कवरेज में, निकाली गई रकम के बराबर कमी कर देती हैं। याने, आपका बीमा कम हो सकता है। इसके बारे में भी पहले ही सब कुछ साफ-साफ समझ लें।
चूँकि यूलीप पॉलिसियाँ, स्टॉक मार्केट के निवेश से जुड़ी रहती हैं इसलिए कुछ कम्पनियाँ इनमें ‘टॉप अप’ की सुविधा भी उपलब्ध कराती हैं। अर्थात्, यदि आप स्टॉक मार्केट का मिजाज भाँपने में उस्ताद हैं और बाजार की अनुकूल दशा से आर्थिक लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो, निर्धारित प्रीमीयम की रकम के अतिरिक्त रकम भी इसमें निवेश कर सकते हैं। इस रकम पर भी आपको, प्रीमीयम की रकम के समान ही आय कर में छूट मिलेगी किन्तु इस अतिरिक्त निवेश (टॉप अप) के कारण आपकी बीमा राशि (रिस्क कवरेज) मे कोई वृद्धि नहीं होगी।
किन्तु, इस पॉलिसी की, तरलता (लिक्विडिटी) की उपलब्धता की यह विशेषता ही इसकी सबसे बड़ी खराबी भी है। आपको पॉलिसी बेचते समय ही एजेण्ट भली भाँति बता देता है कि जैसे-जैसे सेंसेक्स ऊँचाई की ओर बढ़ेगा, वैसे-वैसे ही आपकी निवेशित रकम पर रिटर्न बढ़ता जाएगा। यह बात दिमाग में से कभी नहीं निकलती। दूसरी ओर, हम सब परिवार लेकर बैठे हैं और सबके चूल्हे मिट्टी के ही हैं। रुपये-पैसों की कोई न कोई आवश्यकता, प्रत्येक घर में, बारहों मास, चौबीसों घण्टों बनी ही रहती है। ऐसे में, बाजार के उछाल मारते ही, जैसे ही आपको मालूम होता है कि आपके निवेश पर आपकी उम्मीद से अधिक रिटर्न मिल रहा है, तो आप अपनी पॉलिसी बन्द करने में देर नहीं करेंगे। ऐसा करते समय आपने अच्छा-भला लाभ तो कमा लिया किन्तु ऐसा करते ही आप बीमा सुरक्षा से वंचित हो जाते हैं। चूँकि यह सुविधा आपको ‘लॉक इन पीरीयड’ पाँच वर्ष के बाद मिली है, इसलिए यह पॉलिसी बन्द कर आप जब नई पॉलिसी लेंगे तब आपकी उम्र पाँच वर्ष बढ़ चुकी होगी और जब आप नई पॉलिसी लेंगे तब आपको इस बढ़ी हुई उम्र की अधिक प्रीमीयम चुकानी पड़ेगी। इसके साथ ही साथ यह भी सम्भव है कि उम्र के आधार पर आपको कुछ विशेष चिकित्सा परीक्षण भी कराने पड़ सकते हैं। यदि उनके निष्कर्ष प्रतिकूल रहे तो बीमा कम्पनी आपको बीमा देने से इंकार भी कर सकती है। याने, ‘यूलीप’ ने आपको मुनाफा तो भरपूर दे दिया किन्तु बीमा सुरक्षा से स्थायी रूप से वंचित भी कर दिया। बार-बार यूलीप पॉलिसी लेकर, लॉक-इन पीरीयड के बाद उसे बन्द कर, मुनाफा बटोरते-बटोरते एक स्थिति यह आ सकती है कि आपकी उम्र बीमा देने की सीमा से अधिक हो जाए और तब आप मुँह माँगी प्रीमीयम देने के बाद भी बीमा हासिल न कर पाएँ। निश्चय ही यह एक काल्पनिक स्थिति है, किन्तु बीमा सन्दर्भों में ऐसी कल्पना को हकीकत में बदलने में देर नहीं लगती।
इसलिए, यदि आप निवेश और रिटर्न आधारित पॉलिसी लेना चाहते हैं तो बिना सोचे यूलीप पॉलिसी लें। किन्तु यदि आपकी चिन्ता और प्राथमिकता पारिवारिक सन्दर्भों में ‘बीमा सुरक्षा’ है तो फिर आप कोई पारम्परिक (कन्वेंशनल) पॉलिसी ही लें जिसमें, पॉलिसी के लाभ, पॉलिसी पूरी होने पर ही मिलते हैं। बीच में पॉलिसी बन्द करने पर अच्छा खासा नुकसान होता है। किन्तु यूलीप पॉलिसी में जहाँ किसी भी बात की कोई ग्यारण्टी नहीं होती वहीं पारम्परिक (कन्वेंशनल) पॉलिसी में बीमा धन के भुगतान की ग्यारण्टी होती है और प्रति वर्ष घोषित किए जानेवाले बोनस की राशि का भुगतान भी मिलता है। बोनस की यह राशि सर्वथा अनिश्चित होती है और यह पॉलिसी के अन्तिम भुगतान (अर्थात् पॉलिसी अवधि पूरी होने पर या पॉलिसी अवधि पूरी होने से पहले मृत्यु होने पर) के साथ ही मिलती है।
ऐसे में, यह आप ही तय करें कि आपको कौन सी पॉलिसी की आवश्यकता है।
जहाँ तक कम्पनी की बात है तो मुझे क्षमा करें, इस बारे में मैं निष्पक्ष नहीं रह सकूँगा। मैं भारतीय जीवन बीमा निगम का एजेण्ट हूँ इसलिए स्वाभाविक रूप से चाहूँगा कि आप भा.जी.बी.नि. की ही पॉलिसी खरीदें। यह सरकारी कम्पनी है और पूरे देश में यह एकमात्र वित्तीय संस्थान् है जिसके निवेश पर भारत सरकार की शत प्रतिशत ग्यारण्टी है।
और इससे आगे बढ़ कर मुझ कहने की अनुमति दीजिए कि आप न केवल भा.जी.बी.नि. की पॉलिसी लें अपितु यह पॉलिसी मुझसे ही लें। जैसा कि इस ब्लॉग पर मेरे व्यक्तिगत विवरण में मैंने कहा है - मैं एक पूर्णकालिक (फुल टाइमर) बीमा एजेण्ट हूँ और विक्रयोपरान्त ग्राहक सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता हूँ।
आपकी और कोई जिज्ञासा हो तो सूचित कीजिएगा। आके लिए सहायक होकर मुझे आत्मीय प्रसन्नता होगी।
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आपकी बीमा जिज्ञासाओं/समस्याओं का समाधान उपलब्ध कराने हेतु मैं प्रस्तुत हूँ। यदि अपनी जिज्ञासा/समस्या को सार्वजनिक न करना चाहें तो मुझे bairagivishnu@gmail.com पर मेल कर दें। आप चाहेंगे तो आपकी पहचान पूर्णतः गुप्त रखी जाएगी। यदि पालिसी नम्बर देंगे तो अधिकाधिक सुनिश्चित समाधान प्रस्तुत करने में सहायता मिलेगी।
यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें। यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें। मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर - 19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001.
ज्ञानवर्धक पोस्ट. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteइतना ज्ञानवर्धन कर देने का आभार।
ReplyDeleteसुंदर जानकारी के लिये आप का धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
ReplyDeleteराजभाषा हिन्दी पर – कविता में बिम्ब!
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
आपको;आपके मित्रों व समस्त परिवारीजनों को दीवाली की शुभ कामनाएं.
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