तुम कहीं के भी कवि क्यों न हो : सरोजकुमार

हो सकता है मेरे यहाँ दिन हो
तुम्हारे यहाँ रात हो!
मेरे यहाँ वसन्त हो
तुम्हारे यहाँ पतझर!
मेरे यहाँ प्रजातन्त्र
तुम्हारे यहाँ तानाशाही!
मेरे यहाँ गरीबी
तुम्हारे यहाँ ऐश्वर्य!
मरती हों औरतें मेरे यहाँ कुएँ में गिरकर
तुम्हारे यहाँ गोलियाँ खाकर!
इससे क्या फर्क पड़ता है?
वसन्त जब भी होगा और जहाँ भी
फूल खिलेंगे
कशिश जब भी होगी और जहाँ भी
कवि पैदा होंगे!

कोई फर्क नहीं पड़ता
तुम्हारी चमड़ी के रंग
और जीने के ढंग से,
तुम्हारी आस्थाओं और ईश्वर से!
यह काफी है तुम्हें जानने के लिए
कि तुम कवि हो
और अगर हो, तो
कहीं के भी क्यों न हो,
तुम्हारी अनुभूतियों के आलम्बन
और सम्वेदनाओं के मूलधन
अनजाने नहीं हैं,
कविता का पहला प्यार पीड़ा है!

आग जहाँ भी होगी,
आग होगी,
ईंधन के हिसाब से,
आग की जात नहीं बदलती!

नदी जहाँ भी होगी,
नदी होगी,
किसी देश की नदी
पहाड़ पर नहीं चढ़ती!

तुम्हारी कविताएँ
जितनी तुम्हारी हैं, उतनी हमारी भी,
कविता की कोई
मेकमोहन रेखा नहीं होती!
कविता का समूचा जुगराफिया
एकमात्र इंसान है-
जिसकी सम्प्रभुता में
प्रभुता नहीं प्यार है!
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‘शब्द तो कुली हैं’ कविता संग्रह की इस कविता को अन्यत्र छापने/प्रसारित करने से पहले सरोज भाई से अवश्य पूछ लें।

सरोजकुमार : इन्दौर (1938) में जन्म। एम.ए., एल.एल.बी., पी-एच.डी. की पढ़ाई-लिखाई। इसी कालखण्ड में जागरण (इन्दौर) में साहित्य सम्पादक। लम्बे समय तक महाविद्यालय एवम् विश्व विद्यालय में प्राध्यापन। म. प्र. उच्च शिक्षा अनुदान आयोग (भोपाल), एन. सी. ई. आर. टी. (नई दिल्ली), भारतीय भाषा संस्थान (हैदराबाद), म. प्र. लोक सेवा आयोग (इन्दौर) से सम्बन्धित अनेक सक्रियताएँ। काव्यरचना के साथ-साथ काव्यपाठ में प्रारम्भ से रुचि। देश, विदेश (आस्ट्रेलिया एवम् अमेरीका) में अनेक नगरों में काव्यपाठ।

पहले कविता-संग्रह ‘लौटती है नदी’ में प्रारम्भिक दौर की कविताएँ संकलित। ‘नई दुनिया’ (इन्दौर) में प्रति शुक्रवार, दस वर्षों तक (आठवें दशक में) चर्चित कविता स्तम्भ ‘स्वान्तः दुखाय’। ‘सरोजकुमार की कुछ कविताएँ’ एवम् ‘नमोस्तु’ दो बड़े कविता ब्रोशर प्रकाशित। लम्बी कविता ‘शहर’ इन्दौर विश्व विद्यालय के बी. ए. (द्वितीय वर्ष) के पाठ्यक्रम में एवम् ‘जड़ें’ सीबीएसई की कक्षा आठवीं की पुस्तक ‘नवतारा’ में सम्मिलित। कविताओं के नाट्य-मंचन। रंगकर्म से गहरा जुड़ाव। ‘नई दुनिया’ में वर्षों से साहित्य सम्पादन।

अनेक सम्मानों में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ट्रस्ट का ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’ (’93), ‘अखिल भारतीय काका हाथरसी व्यंग्य सम्मान’ (’96), हिन्दी समाज, सिडनी (आस्ट्रेलिया) द्वारा अभिनन्दन (’96), ‘मधुवन’ भोपाल का ‘श्रेष्ठ कलागुरु सम्मान’ (2001), ‘दिनकर सोनवलकर स्मृति सम्मान’ (2002), जागृति जनता मंच, इन्दौर द्वारा सार्वजनिक सम्मान (2003), म. प्र. लेखक संघ, भोपाल द्वारा ‘माणिक वर्मा व्यंग्य सम्मान’ (2009), ‘पं. रामानन्द तिवारी प्रतिष्ठा सम्मान’ (2010) आदि।

पता - ‘मनोरम’, 37 पत्रकार कॉलोनी, इन्दौर - 452018. फोन - (0731) 2561919.

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