यह फोन एलआईसी ने नहीं किया है

मेरा कस्बा रतलाम, पूरा भारत बना हुआ है। मध्य प्रदेश के कस्बों/शहरों से ही नहीं, मुम्बई, बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद, चैन्नई, अहमदाबाद आदि महानगरों से भी मेरे (मालवानिवासी) ग्राहकों/परिचितों के फोन आ रहे हैं। सबके सब, उन्हें आ रहे फोनों से परेशान हैं। कोई ताज्जुब नहीं कि आप (जो मेरे बीमा ग्राहक नहीं हैं) भी ऐसे ही फोनों से परेशान हों।

अचानक ही आपके फोन की घण्टी बजती है। एक अनजान/अपरिचित आवाज आपसे आपका नाम पूछती है। आप अपना नाम बताते हैं। उधर से सवाल आता है - “मैं एलआईसी कस्टमर केअर सेण्टर से बोल रहा/रही हूँ। आपने एलआईसी से जो पॉलिसी ले रखी है उस पर आपका पैंसठ हजार का (यह आँकड़ा कुछ भी हो सकता है) बोनस आपको भुगतान होने के लिए पेण्डिंग पड़ा है। आपको पता है?” आप मना करते हैं क्यों कि आपको सचमुच में पता नहीं। उसके बाद सामनेवाला शुरु हो जाता है - “आपकी फाइल मेरे सामने पड़ी है लेकिन कृपया अपना पॉलिसी नम्बर बताएँ ताकि कन्फर्म हो सके कि मैं सही आदमी से बात कर रहा/रही हूँ।” बस! यहीं से गड़बड़ होने की आशंका शुरु होती है। सामनेवाला/वाली लम्बी-चौड़ी बात करता/करती है और अन्ततः आपसे कहा जाता है - “अपना यह बोनस प्राप्त करने के लिए आपको सात हजार रुपये जमा कराने पड़ेंगे।” इसके बाद कुछ भी हो सकता है। क्या होगा? यह आप पर ही निर्भर है।

कभी कुछ दूसरे किस्म का सवाल आता है - “मैं आईआरडीए से बाल रहा/रही हूँ। आपने किसी प्रायवेट बीमा कम्पनी से कोई बीमा पॉलिसी ले रखी है?” आपका जवाब “हाँ” भी हो सकता है और “प्रायवेट कम्पनी से तो नहीं लेकिन एलआईसी से ले रखी है।” भी हो सकता है। उधर से आपकी चिन्ता की जाती है - “आपको इस बीमा कम्पनी से सर्विसिंग बराबर मिल रही है?” आप “हाँ” कहें या “नहीं”, उधर से अगला सवाल तो आना ही आना है जिसकी परिणति वही होती है - “आपको इतने रुपये जमा कराने पड़ेंगे।” 

यह सचमुच में सुखद है कि मेरे सारे के सारे ग्राहक सुरक्षित हैं। किसी का कोई नुकसान नहीं हुआ। किन्तु “पता नहीं कब, किसके साथ क्या हो जाए?” - यह आशंका मुझे बराबर घेरे रहती है। मैं अपनी ओर से यथासम्भव प्रत्येक ग्राहक से सम्पर्क कर, ऐसे फोनों से बचने के लिए कहता रहता हूँ।

निजी बीमा कम्पनियों की तो मुझे नहीं पता किन्तु आप खातरी रखिए कि एलआईसी ऐसी कोई पूछताछ इस तरह से बिलकुल नहीं करती। न तो अब तक की है और न ही भविष्य में कभी करेगी। आपकी पॉलिसियों पर अर्जित बोनस की जानकारी, इस तरह तो कभी नहीं देगी।एलआईसी अपने ग्राहकों से “अधिकृत और औपचारिक रूप से” सम्पर्क करती है। आपके किसी भी भुगतान के बारे में वह आपको पत्र द्वारा सूचित करेगी। यह सूचना भी केवल सूचना देने के लिए नहीं होगी - निश्चय ही कोई कागजी खानापूर्ति करने के लिए होगी। उस दशा में, पत्र के साथ सम्बन्धित/आवश्यक कागज आपको भेजेगी। जरूरी हुआ तो यह पत्र ‘रजिस्टर्ड’ या ‘स्पीड पोस्ट’ से भेजा जाएगा। आपकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला तो सबसे पहले उस एजेण्ट को निर्देशित करेगी जिसने  आपको सम्बन्धित पॉलिसी बेची है। यदि उस एजेण्ट ने काम करना बन्द कर दिया है तो ही किसी अन्य एजेण्ट के जरिये आपसे सम्पर्क करेगी। लेकिन, आपका भुगतान करने के लिए आपसे किसी भी दशा में, किसी भी प्रकार का कोई भुगतान नहीं लिया जाएगा। इसके विपरीत, यदि आपका भुगतान समय पर न करने की चूक एलआईसी से हुई तो इस विलम्बित अवधि के लिए आप एलआईसी की निर्धारित दर से ब्याज प्राप्त करने के अधिकारी होंगे। किन्तु इसके लिए आपको लिखित (पत्र अथवा ई-मेल द्वारा) अनुरोध करना पड़ेगा। लेकिन भुगतान में विलम्ब यदि आपके कारण हुआ है तो यह आपको ही भुगतना पड़ेगा। ग्राहकों को उनके हक का भुगतान समय पर मिले, यह एलआईसी की पहली चिन्ता और पहली कोशिश होती है। इस सम्बन्ध में मेरी यह पोस्ट मेरी बात को अधिक प्रभावशीलता से स्पष्ट करती है।

एलआईसी या इरडा (आईआरडीए अर्थात् भारतीय बीमा विकास एवम् विनियामक प्राधिकरण), इस तरह से ग्राहकों से सम्पर्क नहीं करते। इरडा तो मेरे विचार से किसी भी ग्राहक से सीधा सम्पर्क नहीं करता। वह या तो बीमा कम्पनियों से सम्पर्क करता है या फिर विज्ञापनों के जरिए बीमाधारकों को अपना सन्देश पहुँचाता है। व्यक्तिगत रूप से वह उन्हीं ग्राहकों से सम्पर्क करता है जो अपनी किसी शिकायत या समस्या के निदान के लिए उससे सम्पर्क करता है।

ऐसे टेलिफोन प्रायः ही दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद से आते हैं। इन नम्बरों पर आप पलट कर फोन करें तो वे ‘नो रिप्लाय’ होंगे।

ऐसे टेलिफोनों से खुद भी बचें और अपने परिजनों, परिचितों, मित्रों को भी बचाएँ। अपनी कोई सूचना, कोई आँकड़ा, कोई नम्बर, कोई तारीख बिलकुल ही नहीं बताएँ - अपनी जन्म तारीख भी नहीं। अपना समय नष्ट न करें। हाँ, गृहिणियाँ इनकी सबसे आसान शिकार होती हैं। शायद, ‘अपनी गृहस्थी’ को आर्थिक रूप से अधिकाधिक शक्तिशाली और खुशहाल देखने के मोह में वे जल्दी लालच में आ जाती हैं। इसलिए अपनी-अपनी गृहिणी-उत्तमार्द्धों को विस्तार से समझा कर आगाह कर दें। अधिक अच्छा होगा कि आप खुद और आपकी उत्तमार्द्ध, ऐसे फोनों के जवाब में धमकी दें कि आपने सामनेवाले का नम्बर देख लिया है और आप पुलिस में रिपोर्ट करने जा रहे हैं।

एक कहावत है - “जब तक एक भी मूर्ख मौजूद है, हजार धूर्त भूखे नहीं मरेंगे।”

मैं, एलआईसी का एक बहुत ही छोटा अभिकर्ता हूँ। एलआईसी की ओर से बात करने के लिए अधिकृत बिलकुल ही नहीं हूँ। फिर भी यदि आपको लगे कि मैं आपके लिए उपयोगी हो सकता हूँ तो मुझे निस्संकोच और साधिकार मेरे मोबाइल नम्बर 098270 61799 पर सम्पर्क करें। आप मुझे मेरे ई-मेल bairagivishnu@gmail.com पर भी सन्देश दे सकते हैं। मैं अपनी सूझ-समझ और क्षमतानुसार आपकी सहायता करने की कोशिश करूँगा। 

5 comments:

  1. धन्यवाद. बहुत-2.

    इस सुझाव नुमा चेतावनी को वाट्सएप्प आदि पर वायरल करने की जरूरत है. परंतु जनता थर्डग्रेड के जोक्स फारवर्ड मारती रहती है, और इस तरह फ़िशिंग जाल में फंसती रहती है.

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  2. आभार आपका ! श्रीरविशंकर जी की टिपण्णी से प्रेरित होकर इसे व्हाट्सअप पे अग्रेषित कर दिया हैं।

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    1. यह फोन एलआईसी ने नहीं किया है

      अचानक ही आपके फोन की घण्टी बजती है। एक अनजान/अपरिचित आवाज आपसे आपका नाम पूछती है। आप अपना नाम बताते हैं। उधर से सवाल आता है - “मैं एलआईसी कस्टमर केअर सेण्टर से बोल रहा/रही हूँ। आपने एलआईसी से जो पॉलिसी ले रखी है उस पर आपका पैंसठ हजार का (यह आँकड़ा कुछ भी हो सकता है) बोनस आपको भुगतान होने के लिए पेण्डिंग पड़ा है। आपको पता है?” आप मना करते हैं क्यों कि आपको सचमुच में पता नहीं। उसके बाद सामनेवाला शुरु हो जाता है - “आपकी फाइल मेरे सामने पड़ी है लेकिन कृपया अपना पॉलिसी नम्बर बताएँ ताकि कन्फर्म हो सके कि मैं सही आदमी से बात कर रहा/रही हूँ।” बस! यहीं से गड़बड़ होने की आशंका शुरु होती है। सामनेवाला/वाली लम्बी-चौड़ी बात करता/करती है और अन्ततः आपसे कहा जाता है - “अपना यह बोनस प्राप्त करने के लिए आपको सात हजार रुपये जमा कराने पड़ेंगे।” इसके बाद कुछ भी हो सकता है। क्या होगा? यह आप पर ही निर्भर है।


      कभी कुछ दूसरे किस्म का सवाल आता है - “मैं आईआरडीए से बाल रहा/रही हूँ। आपने किसी प्रायवेट बीमा कम्पनी से कोई बीमा पॉलिसी ले रखी है?” आपका जवाब “हाँ” भी हो सकता है और “प्रायवेट कम्पनी से तो नहीं लेकिन एलआईसी से ले रखी है।” भी हो सकता है। उधर से आपकी चिन्ता की जाती है - “आपको इस बीमा कम्पनी से सर्विसिंग बराबर मिल रही है?” आप “हाँ” कहें या “नहीं”, उधर से अगला सवाल तो आना ही आना है जिसकी परिणति वही होती है - “आपको इतने रुपये जमा कराने पड़ेंगे।” 


      यह सचमुच में सुखद है कि मेरे सारे के सारे ग्राहक सुरक्षित हैं। किसी का कोई नुकसान नहीं हुआ। किन्तु “पता नहीं कब, किसके साथ क्या हो जाए?” - यह आशंका मुझे बराबर घेरे रहती है। मैं अपनी ओर से यथासम्भव प्रत्येक ग्राहक से सम्पर्क कर, ऐसे फोनों से बचने के लिए कहता रहता हूँ।


      निजी बीमा कम्पनियों की तो मुझे नहीं पता किन्तु आप खातरी रखिए कि एलआईसी ऐसी कोई पूछताछ इस तरह से बिलकुल नहीं करती। न तो अब तक की है और न ही भविष्य में कभी करेगी। आपकी पॉलिसियों पर अर्जित बोनस की जानकारी, इस तरह तो कभी नहीं देगी।एलआईसी अपने ग्राहकों से “अधिकृत और औपचारिक रूप से” सम्पर्क करती है। आपके किसी भी भुगतान के बारे में वह आपको पत्र द्वारा सूचित करेगी। यह सूचना भी केवल सूचना देने के लिए नहीं होगी - निश्चय ही कोई कागजी खानापूर्ति करने के लिए होगी। उस दशा में, पत्र के साथ सम्बन्धित/आवश्यक कागज आपको भेजेगी। जरूरी हुआ तो यह पत्र ‘रजिस्टर्ड’ या ‘स्पीड पोस्ट’ से भेजा जाएगा। आपकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला तो सबसे पहले उस एजेण्ट को निर्देशित करेगी जिसने  आपको सम्बन्धित पॉलिसी बेची है। यदि उस एजेण्ट ने काम करना बन्द कर दिया है तो ही किसी अन्य एजेण्ट के जरिये आपसे सम्पर्क करेगी। लेकिन, आपका भुगतान करने के लिए आपसे किसी भी दशा में, किसी भी प्रकार का कोई भुगतान नहीं लिया जाएगा। इसके विपरीत, यदि आपका भुगतान समय पर न करने की चूक एलआईसी से हुई तो इस विलम्बित अवधि के लिए आप एलआईसी की निर्धारित दर से ब्याज प्राप्त करने के अधिकारी होंगे। किन्तु इसके लिए आपको लिखित (पत्र अथवा ई-मेल द्वारा) अनुरोध करना पड़ेगा। लेकिन भुगतान में विलम्ब यदि आपके कारण हुआ है तो यह आपको ही भुगतना पड़ेगा। ग्राहकों को उनके हक का भुगतान समय पर मिले, यह एलआईसी की पहली चिन्ता और पहली कोशिश होती है।


      एलआईसी या इरडा (आईआरडीए अर्थात् भारतीय बीमा विकास एवम् विनियामक प्राधिकरण), इस तरह से ग्राहकों से सम्पर्क नहीं करते। इरडा तो मेरे विचार से किसी भी ग्राहक से सीधा सम्पर्क नहीं करता। वह या तो बीमा कम्पनियों से सम्पर्क करता है या फिर विज्ञापनों के जरिए बीमाधारकों को अपना सन्देश पहुँचाता है। व्यक्तिगत रूप से वह उन्हीं ग्राहकों से सम्पर्क करता है जो अपनी किसी शिकायत या समस्या के निदान के लिए उससे सम्पर्क करता है।


      ऐसे टेलिफोन प्रायः ही दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद से आते हैं। इन नम्बरों पर आप पलट कर फोन करें तो वे ‘नो रिप्लाय’ होंगे।


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    2. ऐसे टेलिफोनों से खुद भी बचें और अपने परिजनों, परिचितों, मित्रों को भी बचाएँ। अपनी कोई सूचना, कोई आँकड़ा, कोई नम्बर, कोई तारीख बिलकुल ही नहीं बताएँ - अपनी जन्म तारीख भी नहीं। अपना समय नष्ट न करें। हाँ, गृहिणियाँ इनकी सबसे आसान शिकार होती हैं। शायद, ‘अपनी गृहस्थी’ को आर्थिक रूप से अधिकाधिक शक्तिशाली और खुशहाल देखने के मोह में वे जल्दी लालच में आ जाती हैं। इसलिए अपनी-अपनी गृहिणी-उत्तमार्द्धों को विस्तार से समझा कर आगाह कर दें। अधिक अच्छा होगा कि आप खुद और आपकी उत्तमार्द्ध, ऐसे फोनों के जवाब में धमकी दें कि आपने सामनेवाले का नम्बर देख लिया है और आप पुलिस में रिपोर्ट करने जा रहे हैं।


      एक कहावत है - “जब तक एक भी मूर्ख मौजूद है, हजार धूर्त भूखे नहीं मरेंगे।”


      मैं, एलआईसी का एक बहुत ही छोटा अभिकर्ता हूँ। एलआईसी की ओर से बात करने के लिए अधिकृत बिलकुल ही नहीं हूँ। फिर भी यदि आपको लगे कि मैं आपके लिए उपयोगी हो सकता हूँ तो मुझे निस्संकोच और साधिकार मेरे ई-मेल bairagivishnu@gmail.com पर सन्देश दे सकते हैं। मैं अपनी सूझ-समझ और क्षमतानुसार आपकी सहायता करने की कोशिश करूँगा। 

      http://akoham.blogspot.in/2014/08/blog-post_20.html?spref=fb&m=1

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    3. कोटिश: धन्‍यवाद अमितजी। यह कला मुझे नहीं आती। आपने सचमुच में बहुत बडा काम किया। एक बार फिर आभार - अन्‍तर्मन से।

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