काम याने काम, छुट्टी याने छुट्टी


बर्लिन से बब्‍बू को
पहला पत्र - पाँचवाँ हिस्सा

बड़े बालों का फैशन यहाँ भी आया था। तब एक नियम बनाया गया - चाहे जितने बड़े बाल रखो पर उन्हें साफ रखो और उनके कारण काम में बाधा नहीं पड़नी चाहिए। बस! बाल एक ही झटके में कट गए। गर्दन तक आ गये। सारे रोस्टोक में एक अकेले हमारे साथी श्री गुप्ता ही बेलबाटम पहने घूम रहे थे। यहाँ पतलून न चुस्त है न ढीला। बिल्कुल करीने से है। पुरुष भी भरपूर कद्दावर कद वाले हैं पर खुले बटन और नंगी छातियों का प्रदर्शन नहीं करते। उनके कुरतों के बटन सलीके से बन्द होते हैं।

दवाई की दुकानें यहाँ बाजार और गलियों में नहीं हैं कि चाहे जहाँ से, चाहे जो, चाहे जैसी दवाई खरीद ले। डॉक्टर हर एक के लिए पूरी मुस्तैदी से तैयार बैठा है। पश्चिम से एल. एस. डी. और मादक दवाइयों का रोग यहाँ नहीं आया। ऐसी दवाईयों का सेवन करने वाला सीधा सख्त कैद पाता है। शराब पीने पर प्रतिबन्ध नहीं है, पर पी कर बेवकूफी करने पर तत्काल जेल दे दी जाती है।

परिवार और पारिवारिक खर्च
बच्चे पैदा करने पर कोई रोक नहीं है। कम आबादी की यहाँ समस्या है। पर दो बच्चों से अधिक के माँ-बाप स्वयं ही लज्जा महसूस करते हैं। यदि 5 बच्चों से अधिक का परिवार हो तो मकान किराये में सरकार सबसीडी देती है। परिवार का हर सदस्य कमाता है। 450 मार्क याने भारतीय 1800 रुपयों से कम किसी की तनख्वाह नहीं है। किन्तु ऊपर वालों की तनख्वाह 2600 मार्क अर्थात 10400 भारतीय रुपयों तक है। तनख्वाहों में दुगुना और तिगुना तक फर्क है। शनिवार और रविवार को शहर और सड़कें इस तरह सुनसान मिलेंगी मानो कर्फ्यू लग गया हो। सब छुट्टियाँ मनाने कहीं न कहीं चले जाएँगे। पर सोमवार से शुक्रवार तक सारा देश तन तोड़ मेहनत करता है। 

कपड़ा बहुत मँहगा है। ओव्हरकोट भारतीय 1000 रुपये तक, मौजे 80 रुपये तक, टाई भारतीय 300 रुपये तक और पूरा सूट भारतीय 3000 रुपये तक पड़ता है। रेडियो, टीवी और कैमरे भी खूब मँहगे हैं। सामान्य कलम तक मँहगा है। सब्जियाँ और फल सस्ते हैं। 

रोटी नहीं खाई जाती। डबल रोटी और मांस डटकर खाया जाता है। एक ही जहाज हमें दिखाया गया जो प्रतिदिन भारतीय 20 लाख रुपयों की मछलियाँ पकड़ता है। बहुत बड़ा जहाज था। 6 करोड़ रुपये प्रतिमाह मूल्य की मछली एक ही जहाज पकड़ता है। ऐसे 72 जहाज अकेले रोस्तोक काउन्टी (प्रान्त) के पास हैं। हर कारखाने में शानदार केण्टीनें। हिन्द महासागर के सिवाय बाकी सब समुद्रों में रोस्तोक के जहाज मछली का शिकार करते हैं।

बिना सोवियत संघ के इस देश का काम एक दिन भी नहीं चल सकता है। इस बात को यह देश स्वीकार करता है। किसी भी विदेशी पर कोई नजर भीतर घूमने पर रखी जाने का कोई उदाहरण नहीं मिला। हम लोग बेरोकटोक हमारी मर्जी से भी खूब घूमते हैं- अकेले ही। हर तरह के प्रश्न उत्तरित होते हैं। कोई पुलिस दिखाई नहीं देती। हाँ, सोवियत सैनिक और ऑफिसर अवश्य दिखाई दे जाते हैं।


3 comments:

  1. बर्लिन से बब्बू को यह पुस्तक बहुत पहले पढ़ी थी,स्मृति ताज़ा हो गई ।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (01-07-2018) को "करना मत विश्राम" (चर्चा अंक-3018) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. रोचक जानकारी

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