थकान, बिना काम

'धर्मयुग' में रामरिखजी मनहर का, चुटकुलों का स्तम्भ चला करता था । एक बार उन्होंने चुटकुला लिखा था - ‘कितना अच्छा हो कि करने को कोई काम न हो और थक कर आराम किया जाए ।’
आज मेरी दशा और मनःस्थिति बिलकुल वैसी ही है । अभी सवेरे के साढे आठ बजे हैं । आकाश बादलों से ढंका हुआ है और शरीर का पोर-पोर पीड़ा । ऐसे प्रत्येक अवसर पर स्वर्गीय पिताजी अनायास ही अत्यधिक तीव्रता से स्मरण हो आते हैं । बच्चों की पिटाई करना उनका सबसे प्रिय काम था । वे अपना काम कर गए, हम सब भाई-बहन उनके कामों को याद कर रहे हैं ।
सो, आज कोई पोस्ट नहीं । (वैसे भी नियमितता तो है नहीं ।)
‘काम के बीच आराम’ के लिए मेरे पास संयोगवश दो चित्र उपलब्ध हैं । आप भी उनका आनन्द लीजिए ।





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10 comments:

  1. आज कोई शादी वादी में भाग लेना है क्या?. लगता है आपको शादियों में जाकर बड़ा सुकून मिलता है.

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  2. " चित्र तो किसी शादी के ही लगतें हैं , सही है कभी कभी आराम का दिन भी तो हो.."

    regards

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  3. यह वही शादी तो नहीं , जिसको अटैंड करने के वक्‍त ही समीर लाल जी का फोन आ गया था।

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  4. aaram se aaram kijiye ..mujhe dekhiye kabhi-kabhi mahino gayab rahati hun .

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  5. चलो पिता जी मार के कारण उन को याद तो किया। लेकिन पिता जी की मार पड़ती क्यों थी क्या यह भी याद है?:)
    चित्र अच्छे लगाए हैं।

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  6. पूरा आराम कीजिए। रतलामी सेव के साथ गर्म कचोरी के साथ...

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  7. वाह! दीप्ति जी ने ऊपर रतलामी कचोरी की याद दिला दी!
    और काम की क्या कहें। इत्ता काम है, इत्ता काम है कि कोई काम नहीं हो पा रहा है! :)

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  8. विष्णु जी,
    किस-किस को देखें, किस-किस को रोयें।
    आराम बड़ी चीज है, मुंह ढक कर सोयें।

    पर सिर्फ आज भर।

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  9. शादी में पेट भर खाने के बाद तो आराम ही आराम.. तो पिताजी को इस बहाने याद कर लिया। अच्छा है...यदा-कदा बिछडों को याद कर लेना चाहिए।

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  10. परसों मिडल स्कूल के बच्चों के एक बैंड को सुनने का मौका मिला तो एक अरसे बाद भारत की हिन्दी बेल्ट की बरातों में बजने वाले ब्रास बैंड की याद आयी. और आज उसके काम - नहीं आराम की तस्वीर सामने है! सुबह उठकर दफ्तर भी जाना है और कार भी सालाना निरीक्षण के लिए देनी है मगर शून्य से १४ डिग्री नीचे के तापमान में मेरा भी सिर्फ़ आराम करने को दिल कर रहा है - कर नहीं सकता - नसीब अपना-अपना!

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