कुन्दन बनें गडकरी


ऐसा बहुत कम होता है जैसा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने किया है। राष्ट्रकुल खेलों में हुए आर्थिक घपलों और भ्रष्टाचार को लेकर जितने सुस्पष्ट और सुनिश्चित आरोप गडकरी ने लगाए हैं, भारतीय राजनीति में वह शायद पहली ही बार है।

गडकरी ने प्रधान मन्त्री और प्रधान मन्त्री कार्यालय का सुस्पष्ट नामोल्लेख करते हुए इन पर न केवल भ्रष्टाचार के सुस्पष्ट आरोप लगाए अपितु साफ-साफ कहा कि भाजपा के पास भ्रष्टाचार के प्रमाण भी हैं। गडकरी ने यह भी साफ-साफ कहा कि इन खेलों में हुए भ्रष्टाचार का पैसा मारीशस-मार्ग से देश के बाहर भेजा गया है।

मेरी अल्प जानकारी में ऐसी सुनिश्चितता और सुस्पष्टता तथा प्रमाण होने की बात, इतने आत्म विश्वास और इतनी जिम्मेदारी से इससे पहले किसी ने नहीं की है। कुछ ही दिनों पहले, लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने, भोपाल गैस काण्ड में किसी बिचौलिये के होने की बात कही थी। यह उल्लेख उन्होंने किसी पुस्तक के हवाले से किया था। जब उनसे बिचौलिये का नाम पूछा गया था तो उन्होंने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए, घुटे हुए राजनेताओं का पारम्परिक जवाब दिया था - आप किताब पढ लीजिए।

मुझे यह जवाब बिलकुल भी नहीं रुचा था। जिम्मेदारी से बच कर स्वराज ने अपने आरोप की गम्भीरता और गहनता ही नष्ट कर दी थी। बिचौलिये का उल्लेख उन्होंने अपने सूत्रों के हवाले से नहीं, किताब के हवाले से किया था। यदि वे नाम बता देतीं तो उन पर किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं आती। वे पहले ही किताब का हवाला दे चुकी थी। ऐसे में, बिचौलिए का नाम न बता कर उन्होंने उन तमाम लोंगों को जानकारी से (जानबूझकर) वंचित कर दिया जिन तक किताब नहीं पहुँची या नहीं पहुँच सकेगी। संक्षेप में, उन्होंने देश के करोड़ों नागरिकों को बिचौलिये का नाम जानने से वंचित कर दिया।

किन्तु गडकरी ने वैसा कुछ भी नहीं किया है। किन्तु उन्होंने घपले की रकम, व्यक्तियों के नाम तथा प्रकरणों की संख्या आदि का भी कोई उल्लेख नहीं किया। प्रथमदृष्टया यह सम्भव भी नहीं लगता। किन्तु गडकरी ने बात को यदि यहीं समाप्त कर दिया तो उनकी और भाजपा की विश्वसनीयता और सार्वजनिक प्रतिष्ठा दाँव पर लग जाएगी।

ऐसे में गडकरी से मुझ जैसे सड़कछाप लोगों की सहज अपेक्षा (और आग्रह, अनुरोध भी) है कि वे शुंगलु कमेटी के समक्ष अपने सारे प्रमाण, विस्तार से तथा असंदिग्ध स्पष्टता से प्रस्तुत कर दें। जैसा कि होता है, इसके बाद भी यह सन्देह बना ही रहेगा कि शुंगलु कमेटी इन प्रमाणों की अनदेखी या उपेक्षा कर दे और दोषियों को साफ बचा ले जाए जिसकी कि आशंका पूरे देश को है।

इसलिए, गडकरी को सावधानी बरतते हुए, शुंगलु कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किए जानेवाले सारे प्रमाण, सीलबन्द लिफाफों में, फौरन ही अपनी मनपसन्द समाचार चैनलों और अखबारों को भी सौंप देना चाहिए ताकि यदि शुंगलु कमेटी, गडकरी के प्रमाणों को हजम कर जाए तो वे समाचार चैनल और अखबार उन्हें सार्वजनिक कर सकें।

केवल आरोप लगाने भर से बात पूरी नहीं हो जाती। बात को मुकाम तक पहुँचाया जाना चाहिए। यदि गडकरी ऐसा नहीं करते हैं तो लोग, कांगे्रस प्रवक्ता मनीष तिवारी की उस बात पर सहजता से विश्वास कर लेंगे कि अपने समर्थक व्यापारी मित्तल पर पड़े छापों से ध्यान हटाने के लिए ही गडकरी ने ये आरोप लगाए हैं।

उम्मीद की जानी चाहिए कि गडकरी ने जो साहसभरी पहल की है, उसे बीच में ही नहीं छोड़ा जाएगा। 70 हजार करोड़ के इस घपले की कीमत देश के आम आदमी ने चुकाई और पैसेवालों ने मलाई खाई है।

गडकरी ने शानदार शिकंजा कसा है। सारे देश की निगाहें और आशाएँ अब गडकरी पर टिकी हैं। यह गडकरी की अग्नि परीक्षा है। उम्मीद करें कि वे कुन्दन बन कर सामने आएँगे।

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5 comments:

  1. बिचैलिए का नाम न बता कर उन्होंने उन तमाम लोंगों को जानकारी से (जानबूझकर) वंचित कर दिया
    किताब की बिक्री में उनका कोई निहित स्वार्थ है क्या - इसकी जांच भी होनी चाहिये।

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  2. यह तो सब राजनीतिक हथकंडे है। बाकी, हमाम में सब नंगे हैं:)

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  3. हमारे इमान दार प्राधन मत्री जी ने वादा किया हे देखे, केसा निभाते हे यह अपना वादा कि कोई दोषी नही बचेगा? देखे कितने दोषी पकडे जाते हे, या सिर्फ़ ठेके दार ओर अफ़सरो ओर कर्मचारियो को ही पकड कर इति श्री कर लेगे? या असली दोषी भी पकडेगे.....गडकरी या अन्य लोगो को अब बीच मे नही पडना चाहिये, कही यह बात बीच मे ही झगडे के कारण रुक ना जाये

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  4. राजनीतिज्ञों से आपकी अपेक्षाएं बड़ी मासूमियत भरी है, एक आम आदमी जैसी, काश हमें भी कोई गिनती में. लाए !

    कमाई में शामिल 'विपक्षी' रहे,
    'करोड़ों' का ठेका ! क्या कम हो गया?

    निकल आया टॉयलेट से पेपर का रोल*,
    यह वी.आई.पी. 'हगना' सितम हो गया.

    [*एक रोल ४१०० में खरीदा गया?]
    -- mansoorali hashmi
    http://aatm-manthan.com

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  5. ji chahta hai ki aapke is baktabya ke liye aap ki kalm choom loon . nisandeh aap ka vishlesan aaron se htke tatha nispach hota hai. aapme kissi vichardhara ya vad..yaki kisi khas rajnitik party ki or hukav kabhi nahai dikhta hai. mai aap ke jajbe ko salam karta hoon.

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