‘विहिप’ का अधूरा विश्व

हिन्‍दुत्‍व और सारी दुनिया के हिन्दुओं की चिन्ता करने का दावा करने वाली ‘विश्व हिन्दू परिषद्’ को ऐसा सुनहरा मौका मिला है जिससे वह सारी दुनिया में अपनी ईमानदारी की मिसाल प्रस्तुत कर सके ।

‘जनसत्ता’ (दिल्ली) के, 28 जुलाई 2008 वाले अंक के दूसरे पृ’ठ पर, ‘पाकिस्तानी हिन्दू अपनी सुरक्षा को लेकर हैं’ शीर्षक समाचार, चार कालम में छपा है । इसे समाचार एजेंसी ‘भाषा’ ने प्रसारित किया है । समाचार के अनुसार, सिन्ध प्रान्त में हिन्दुओं को लगातार लूट और डकैती का निशाना बनाए जाने को लेकर, वहाँ के अल्पसंख्यक समुदाय की प्रतिनिधि संस्था, ‘पाकिस्तान हिन्दू परिषद्’ (पीएचसी) के प्रतिनिधिमण्डल ने चिन्ता जताते हुए, इस्लामाबाद की संघीय सरकार से इन घटनाओं को रोकने के लिए तुरन्त कड़े कदम उठाने और अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा करने की माँग की है । समाचार में, पीएचसी के सचिव हरी मोटवानी के हवाले से कहा गया है कि कुछ हथियारबन्द लोग जकोकाबाद स्थित एक मन्दिर में घुस गए और उन्होंने कोई 350 हिन्दू महिलाओं से लाखों रुपये की नगदी एवम् गहने लूट लिए । ऐसी विभिन्न घटनाओं में अब तक लगभग सात करोड़ रुपयों की लूट हो चुकी है । जकोकाबाद मन्दिर में हुई लूट की घटना के विरोध में, कराची में हुए प्रदर्शन में बड़ी संख्या में हिन्दुओं ने भाग लिया । मोटवानी के अनुसार, लूट की यह घटना दिन के समय हुई, इसके बावजूद पुलिस इसे रोक नहीं पाई । इस घटना के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के लोग, खास कर महिलाएँ धार्मिक स्थानों पर जाने से डरने लगे हैं । मोटवानी ने सरकार से माँग की कि डकैतों को तुरन्त पकड़ा जाए और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए ।

सिन्ध के पूर्व सांसद डाक्टर रमेश लाल ने पुलिस और अन्य कानूनी एजेसिंयों पर, नागरिकों, खास तौर पर अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में नाकाम होने का आरोप लगाया है ।

इस समाचार से पहले भी, इसी अखबार में पाकिस्तानी हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों के छिटपुट समाचार छपते रहे हैं । एक समाचार में उन गाँवों/ढाणियों का नामजद उल्लेख किया गया था जहाँ के हिन्दू परिवारों का बलात् धर्मान्तरण किया गया ।

‘विहिप’ ने भारत में अपनी जो पहचान और छवि बनाई है वह न तो सर्वमान्य है और न ही सर्वस्वीकार । उस पर, ‘संघ परिवार’ के निर्देश पर, भाजपा के लिए सत्ता का रास्ता सुगम बनाने के प्रयास करने के आरोप जगजाहिर हैं । कोई हिन्दू लड़की किसी मुस्लिम लड़के के साथ विवाह कर ले तो ‘विहिप’ के लोग ताण्डव मचा देते हैं । हिन्दुओं द्वारा बेची गई गायों से भरे ट्रकों को रोक कर, वाहन चालकों और खरीदी करने वालों की पिटाई करने को उतावले रहते हैं, किसी उपेक्षित-अनजान धार्मिक स्थल को अपवित्र करने के नाम पर छोटे-छोटे गाँवों में तूफान बरपा देते हैं । ‘विहिप’ कार्यकर्ताओं के ऐसे कामों को सम्पूर्ण हिन्दू समुदाय का सम्पूर्ण समर्थन भारत में तो आज तक कहीं भी नहीं मिला है । इसके विपरीत, इसे उपद्रवी संगठन की पहचान आसानी से मिलने लगी है ।

ऐसे में, पाकिस्तान से आया यह समाचार, ‘विहिप’ के लिए सुनहरा अवसर प्रस्तुत कर रहा है । यह ठीक प्रसंग और ठीक अवसर है कि ‘विहिप’ अपने नाम को और अपनी गतिविधियों को तार्किक जामा पहना कर उनका औचित्य साबित कर सके । भारत के हिन्दुओं के हिन्दुत्व को पहली नजर में कोई खतरा नहीं है । लेकिन पाकिस्तान में तो चूंकि हिन्दू प्रारम्भ से ही अल्पसंख्यक हैं और वह एक इस्लामी देश है, सो वहाँ तो हिन्दुत्व रक्षा के लिए निरन्तर और असमाप्त प्रयासों की जरूरत है । ‘विहिप’ को यह काम हाथ में लेने में एक पल का भी विलम्ब नहीं करना चाहिए ।

‘विहिप’ यदि ऐसा नहीं कर पाती है तो उसके नाम ‘विश्व हिन्दू परिषद्’ पर ही सवाल लग जाएगा । तब उसे अपना नाम बदल कर ‘हिन्दुत्व के लिए काम करने वाले गिनती के भारतीयों की हिन्दू परिषद्’ रखने पर विचार करना पड़ सकता है ।

8 comments:

  1. आप का सुझाव वाजिब है। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद माने तब।

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  2. वो कहते हैं ना, "गूदा है तो कर के दिखाओ। नहीं तो फट जायेगी" - कुछ यही हाल है विहिप का भी। बजरंग दल को भी मत भूलिये - विहिप तो सिर्फ इशारा करती है, उसे अंजाम देने वाले तो ये बजरंग-दली ही होते हैं।

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  3. मैं कुछ समझ नहीं पाया कि आप क्या कहना चाह रहे हैं. पाकिस्तान जैसे इस्लामिक मुल्कों में सिर्फ़ हिंदू ही नहीं सभी धार्मिक अल्पसंख्यक इसी दहशत में जीते हैं. लेकिन इस दुर्भाग्यपूर्ण ख़बर जिसमें कुछ महिलाओं को डरा धमका कर लूटा गया में आपको कुछ अपने काम का दिखा तो सिर्फ़ वी एच पी को उकसाने और मजे लेने का अवसर और अपनी कुंठा निकालने का सुनहरी मौका. विष्णु जी ये असभ्यता और निर्लज्जता की हद है.

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  4. बजरंग दल और 'विहिप' हिन्दुओं के गंदे चेहरे हैं। इन्होंने कुत्सित विचारों को अपना साथी बनाया है। कई बार मुझे अफसोस होता है कि ये मेरा प्रतिनिधित्व करते हैं।

    लेकिन विष्णु जी, आपका विश्लेषण ठीक है कि इनके पास पाकिस्तान में काम करके छवि सुधारने का अवसर है।

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  5. वैसे तो मैं आपसे बिल्कुल सहमत हूँ.
    हाँ लेकिन प्रेत विनाशक जी बात भी पते की है.
    अपन तो सिर्फ़ यही कहेंगे की सर्वमान्य और सर्वस्वीकार कोई भी नहीं होता.
    क्यों?

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  6. विहिप की अन्‍तरराष्‍ट़ीय गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल करने के मेरे प्रयत्‍न असफल रहे हैं । चूंकि मैं एक हिन्‍दू हूं और विहिप की गतिविधियां मुझ पर भी आरोपित होती हैं (भले ही मैं उससे सहमत न होऊं) इसलिए मेरी यह सहज इच्‍छा है कि विहिप का दामन पाक-साफ रहे, उसकी कथनी और करनी में कोई अन्‍तर न रहे ।
    घेस्‍ट बस्‍टरजी का यह कहना बिलकुल ठीक है कि पाकिस्‍तान जैसे तमाम इस्‍लामी देशों में तमाम अल्‍पसंख्‍यक दहशत में जीते हैं । लेकिन प्रतिवाद और प्रतिरोध की स्थिति भी तो इसी कारण बनती है । जहां अत्‍याचार है वहीं तो उसका प्रतिकार किया जाएगा । चूंकि विहिप अपने आप को दुनिया में भर फैले तमाम हिन्‍दुओं का रखवाला बताती है, इसीलिए उससे उम्‍मीद की जाती है कि वह जहां-जहा हिन्‍दुओं पर अत्‍याचार हो, वहां-वहां उनका बचाव करे और उनकी मदद करे । फिर, इस खबर में जो कुछ भी कहा गया, वह वहां की 'पाकिस्‍तान हिन्‍दू परिषद् के अध्‍यक्ष की ओर से कहा गया है । इसमें उल्‍लेखनीय बात यह है कि उन्‍होंने विहिप से मदद नहीं मांगी है, यह अपने आप में चौंकाने वाली बात है । ऐसे में, यदि मैं उम्‍मीद करूं कि 'विहप' खुद को अन्‍तरराष्‍टीय स्‍तर पर साबित करे तो इसमें असभ्‍यता और निर्लज्‍जता कहां से आ गई । विहिप यदि अन्‍तरराष्‍ट़ीय स्‍तर पर हिन्‍दुओं की प्रतिनिधि संस्‍था नहीं है तो उसने अपना नाम बदल कर 'भारतीय हिन्‍दू परिषद़' रख लेना चाहिए - हालांकि तब भी वह समस्‍त भारतीय हिन्‍दुओं की वास्‍तविक और सच्‍ची प्रतिनिधि नहीं होगी ।
    आपमें से कोई यदि विहिप की, अन्‍तरराष्‍़ट़ीय स्‍तर पर हिन्‍दुओं के लिए की गई या की जा रही गतिविधियों की जानकारी देंगे तो मेरी जानकारी बढेगी । जिस तेजी और आक्रामता से विहिप भारत में (और खासकर भाजपा शासित प्रदेशों में) सक्रिय होती है, वैसी सक्रियता उसने दुनिया के और किन-किन देशों में बरती - यह जानने की जिज्ञासा है । क़पया मेरी सहायता करें ।

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  7. बैरागी जी आपने लिखा है-

    विहिप यदि अन्‍तरराष्‍ट़ीय स्‍तर पर हिन्‍दुओं की प्रतिनिधि संस्‍था नहीं है तो उसने अपना नाम बदल कर 'भारतीय हिन्‍दू परिषद़' रख लेना चाहिए - हालांकि तब भी वह समस्‍त भारतीय हिन्‍दुओं की वास्‍तविक और सच्‍ची प्रतिनिधि नहीं होगी ।
    आपमें से कोई यदि विहिप की, अन्‍तरराष्‍़ट़ीय स्‍तर पर हिन्‍दुओं के लिए की गई या की जा रही गतिविधियों की जानकारी देंगे तो मेरी जानकारी बढेगी । जिस तेजी और आक्रामता से विहिप भारत में (और खासकर भाजपा शासित प्रदेशों में) सक्रिय होती है, वैसी सक्रियता उसने दुनिया के और किन-किन देशों में बरती - यह जानने की जिज्ञासा है । क़पया मेरी सहायता करें ।

    बैरागी जी, वाममार्गी दृष्टि से सोचना और लिखना छोडिए। वरना आप भी वामपंथियों की तरह हाशिए पर पडे रहेंगे। अरे थोडा तो विचार कर लेते। खुद कोई काम नहीं करना और कोई समाज की चिंता करे तो उसकी राह में रोडे अटकाओ। आप जैसे कलमघिस्‍सुओं के कारण ही मीडिया का दायित्‍व शक के घेरे में आता है। आज विश्‍व के दो दर्जन से अधिक देशों में विहिप सक्रिय है। गत पांच दशकों से विश्‍व हिन्‍दू परिषद के हजारों पूर्णकालिक कार्यकर्ता, जो उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त है और अपना सर्वस्‍व अर्पण कर हिन्‍दू समाज की सेवा में जुटे है, के कार्य को आप एक झटके में खारिज कर देते है। आप इसके सिवाय कर ही क्‍या सकते है। इंटरनेट का जमाना है जरा गूगल पर ही सर्च कर लेते। लेकिन आपको तो बस विहिप की छवि खराब करनी है। मेरा निवेदन है पूर्वाग्रहग्रसित लेखन से आप बचें। विहिप कहां-कहां सक्रिय हैं इसकी झलक मैं आपको दे रहा हूं।

    http://www.vhp-america.org
    http://www.vhp.org.uk
    http://www.vhp.org/HAamericaUsa.php
    http://www.vhp.org/HAamericacaribbeanTrinidadTobago.php
    http://www.vhp.org/HAeuropeUK.php
    http://www.vhp.org/HApacificAustralia.php
    http://www.vhp.org/HApacificNewzealandindex.php
    http://www.vhp.org/HApacificFiji.php
    http://www.vhp.org/HAasiaSrilanka.php
    http://www.vhp.org/HAasiaMalaysia.php

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  8. प्रिय संजीवजी,
    जानकारी उपलब्‍ध कराने के लिए हार्दिक धन्‍यवाद । आपने बिलकुल ठीक कहा, मैं ने गूगल खंगाल लेना चाहिए था । लेकिन आप मानें या न मानें (आपकी भाषा से विश्‍वास है कि आप बिलकुल ही नहीं मानेंगे) इण्‍टरनेट तकनीक की जानकारी मुझे शून्‍यवत है और अपनी इस दशा पर मुझे तनिक भी खेद नहीं है ।
    तनिक क़पा कीजिए और अपने (केवल आप अकेले नहीं, आप जैसे तमाम लोग) सिवाय बाकी सबको भी वतनपरस्‍त और खुली मानसिकता का मानने की कोशिश कीजिए । आप लोग उसे ही देशप्रेमी मानते हैं जो आपसे सहमत है ।
    आप मेरी चिन्‍ता बिलकुल मत कीजिए, मैं हाशिए पर रहूं या कहीं और यह न तो मेरे जीवन का लक्ष्‍य है और न ही लिप्‍सा । उम्र के जिस पडाव पर हूं वहां ऐसी तमाम बातें नहीं ललचातीं । यह आपको ही मुबारक हो । शुभ-कामनाएं ।
    आपका 'प्रोफाइल' देखने के बाद लगा कि आप 'संघ्‍ा' से जुडे रहने का मिथ्‍या दम्‍भ पाले बैठे हैं । संघ तो दावा करता है कि उसके अनुयायी विनम्र और शिष्‍ट होते हैं । लगता है, इतना सारा और व्‍यापक लेखन करने के बाद भी आपको भाषा के संस्‍कारों की आवश्‍यकता अभी भी है ।
    मुझे पूर्वाग्रह से ग्रस्‍त होकर न होकर लिखने की सलाह देना आपको शोभा नहीं देता - यह आपका प्रोफाइल देखने के बाद कहना पड रहा है ।
    क़पया असहमति को सम्‍मान देना सीखने की कोशिश कीजिएगा ।
    आप मेरे बेटे की उम्र के हैं । आपको मेरी आत्‍मीय शुभ-कामनाएं । ईश्‍वर सदैव आपके साथ रहे और आपको अपनी छृत्र-छाया उपलब्‍ध कराता रहे ।
    विहिप के बारे में जानकरी उपलब्‍ध कराने के लिए एक बार फिर धन्‍यवाद । मुझे इसकी जरूरत थी ।

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