अच्छा हो कि ऐसा यह इकलौता समर्थन हो

प्रबुध्‍दजी बहुत दु:खी मिले। पूछा तो उन्‍होंने जो किस्‍सा सुनाया वह जस का तस पेश है -

''मुझे आशंका थी कि भाई लोग ऐसा करेंगे। मुझसे पूछना तो दूर, मुझे बताएँगे भी नहीं, मेरा नाम शामिल कर देंगे और अखबारों में छपवा देंगे। मेरी आशंका सौ टका सच हुई। नतीजा यह हुआ कि आज (शनिवार, 9 अप्रेल को) मैंने खुद को घर में ही बन्द रखा और तभी निकला जब निकलना मजबूरी बना। जब-जब भी घर से बाहर निकला, तब-तब लगा, लोग मुझे ही घूर रहे हैं और मुझ पर हँस रहे हैं।

''हमारे एक समृद्ध मित्र इन दिनों चेतन भगत से अत्यधिक प्रभावित हैं। चाह रहे हैं कि अनुचित के प्रतिकार और विरोध के लिए, स्थानीय स्तर पर हमने भी ‘कुछ’ करना चाहिए। सो, वे और उनके साथ-साथ हम कुछ लोग एक संस्था गठित करने में लगे हुए हैं। नाम तय हो गया है और पदाधिकारियों के नाम भी। परामर्शदाताओं से लिखित मंजूरी ले ली गई है। मैं यथा सम्भव इस कोशिश को निरुत्साहित कर रहा हूँ क्योंकि मुझे लग रहा है कि ‘कुछ’ करने के नाम पर हम सब अन्ततः आत्म प्रचार वाली प्रेस विज्ञप्तियाँ जारी करने में ही लग जाएँगे।

''ये तमाम मित्र चाह रहे थे कि अण्णा हजारे के समर्थन में, हमारी गठित होनेवाली संस्था के नाम से ‘कुछ’ किया जाए। ‘कुछ’ का मतलब किसी को नहीं पता था। बस, ‘कुछ’ किया जाना चाहिए। मुझे गन्ध लगी तो मैंने ऐसा ‘कुछ’ भी न करने के संकेत दिए और कहा कि यदि अण्णा का समर्थन करना ही है तो हम सब बिना किसी पूर्व सूचना/प्रचार के, किसी चौराहे पर खड़े हो जाएँ और अपनी-अपनी आत्मा के साक्ष्य में खुद से वचनबद्ध हों कि व्यक्तिगत स्तर पर हम भ्रष्टाचार नहीं करेंगे। हमें एक वाक्य की शपथ लेनी है - ‘मैं भ्रष्टाचार नहीं करूँगा।’ मेरा मानना था (जो इस क्षण भी है) कि अण्णा को यही सबसे अच्छा और सबसे सच्चा समर्थन होगा। किन्तु (जैसा कि मुझे आकण्ठ विश्वास था) मित्रगण इस पर सहमत और तत्पर नहीं हुए। मैंने बात खत्म कर दी किन्तु अखबार ध्यान से देखता रहा।

''कल, 8 अप्रेल तक किसी अखबार में कुछ भी नजर नहीं आया तो खुश होता रहा। लगा, भाई लोगों ने मेरी बात मान ली है।

''किन्तु आज, 9 अप्रेल की सवेरे यह खुशी काफूर हो गई। हमारी (अब तक अस्तित्व में नहीं आई) संस्था की ओर से अण्णा के समर्थन में विज्ञप्ति जारी की गई थी जिसमें मेरा नाम भी शामिल था। मुझे अच्छा नहीं लगा, किसी से कुछ कहा भी नहीं किन्तु बात के इस मुकाम तक पहुँचने का किस्सा जानने की उत्सुकता पैदा हो गई। मालूम हुआ कि 7 अप्रेल तक तो सब चुप रहे किन्तु 8 अप्रेल को भाई लोगों का धैर्य जवाब दे गया। 5 अप्रेल को अण्णा अनशन पर बैठे थे और टेलीविजन बता रहा था कि सात की अपराह्न तक सारा देश ‘अण्णामय’ हो गया था। पानी सरकार की नाक तक आ पहुँचा था। सोनिया गाँधी चल कर प्रधानमन्त्री मनमोहनसिंह के निवास पर पहुँची थीं और उनके जाने के बाद मनमोहनसिंह, राष्ट्रपति से मिलने गए थे। लग रहा था कि रीछ से हाथ छुड़ाने के लिए सराकर किसी भी क्षण हथियार डाल सकती है। भाई लोगों को साफ लग गया कि आज (8 अप्रेल को) सरकार और अण्णा में समझौता हो सकता है। याने, समर्थन की प्रेस विज्ञप्ति जारी करनी है तो आज ही करनी पड़ेगी वर्ना कल तो चिड़िया खेत चुग जाएगी। सो, भाई लोगों ने ताबड़तोड़ प्रेस विज्ञप्ति तैयार की। आपस में एक दूसरे को दिखाई और शाम होते-होते हमारी, गर्भस्थ संस्था की विज्ञप्ति अखबारों के स्थानीय कार्यालयों में पहुँच गई और आज छप भी गई।

''मुझे बिलकुल ही अच्छा नहीं लग रहा है। मैं खुद से नजरें नहीं मिला पा रहा हूँ। यह अण्णा के साथ नहीं, देश के साथ, उद्विग्न जन भावनाओं के साथ, अपनी आत्मा के साथ और ईश्वर के साथ धोखा है।

''भगवान करे, अण्णा को ऐसा समर्थन, यह इकलौता हो।''

प्रबुध्‍दजी नीची नजरें किए, चुप हो गए। मुझे प्रबुध्‍दजी पर गुमान हो आया। उनकी इस आत्‍म स्‍वीकृती की ईमानदारी में भी अण्‍णा का भरपूर समर्थन लगा मुझे।


-----

8 comments:

  1. ऐसे ही समर्थन बहुत से उठ खड़े हुए हैं किन्तु मुख्य मुद्दा बलशाली है अतः यह साथ की खरपतवार तो आनी ही थी, सो आ रही है.

    ReplyDelete
  2. ईमानदार सोच !

    ReplyDelete
  3. सब चाहते हैं कि देश सुन्दर बने।

    ReplyDelete
  4. सब चाहते हैं कि देश सुन्दर बने।

    ReplyDelete
  5. खुद को गिनती से बाहर ही रखना चाहता है हर कोई.

    ReplyDelete
  6. iss tarah ki muhim me judna ek fashion ho gaya hai. yaha aise log to hai hi jo khud bhrasht ho kar bhrashtaachar ke khilaf khade hai. balki aise bhi hai jinhone kabhi vote nahi dala aur kahte phir rahe hai Mera Neta Chor hai...

    ReplyDelete
  7. सब सियारी खेल रहे हैं - एक सियार हुंकारी लगा रहा है तो सभी हुआं हुआं कर रहे हैं! अण्णा से प्रतिबद्धता कोई देख नहीं रहा अपनी!

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मुझे सुधारेगी और समृद्ध करेगी. अग्रिम धन्यवाद एवं आभार.