सुविधा और सुरक्षा की दृष्टि से एक व्यक्ति ने एक गधा और एक कुत्ता पाल रखा था। सामान ढोने का काम गधे के जिम्मे था और चौकीदारी करने का काम कुत्ते के जिम्मे। गधे को दिन भर कड़ा परिश्रम करना पड़ता जबकि कुत्ता दिन भर आराम से बैठा रहता।
एक शाम गधे ने कुत्ते से अपनी पीड़ा जताई और एक दूसरे का काम बदलने का प्रस्ताव किया। कुत्ते ने कहा कि वह जानता है कि इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे किन्तु दिन-रात साथ-साथ रहते हैं तो काम के बदलाव का यह प्रयोग आज रात से ही शुरु करके देख लिया जाए। कल की कल देखेंगे।
कुत्ते द्वारा अपना प्रस्ताव स्वीकार कर लिए जाने से गधा खुश हो गया। इतना खुश कि दिन भर की थकान भूल गया।
रात हुई। सब सो गए। योग-संयोग रहा कि उसी रात चोर आ गए। कुत्ते के कान खड़े हुए और वह भौंकना शुरु करने ही वाला था कि उसे मित्र से किए गए ‘काम के बदलाव’ का वादा याद आ गया। उसने गधे से कहा कि वह मालिक को चोरों के आने की सूचना दे। खुशी से झूमते गधे ने उत्साह के अतिरेक में जोर-जोर से रेंकना शुरु कर दिया। मालिक की नींद बाधित हुई। बिस्तर छोड़ कर बाहर आया और गधे को दो लात टिका कर सोने चला गया। गधे को अच्छा तो नहीं लगा किन्तु बात स्वामी भक्ति और कर्तव्यपरायणता की थी। सो, फिर जोर-जोर से रेंकने लगा। मालिक फिर बाहर आया और इस बार आठ-दस लातें टिका दी।गधे को मालिक का यह व्यवहार अच्छा तो नहीं लग रहा था किन्तु कर ही क्या सकता था? सो, उसने रेंकना जारी रखा। परेशान मालिक ने अन्ततः डण्डा उठाया और गधे की, अन्धाधुन्ध पिटाई शुरु कर दी। दिन भर की कड़ी मेहनत के कारण पहले से ही निढाल गधे के लिए यह ‘कोढ़ में खाज’ वाली बात थी। वह दुःखी होकर, हाँफता-कराहता, लस्त-पस्त हो, अपने खूँटे के पास लेट गया।
कुत्ते ने सहानुभूति जताते हुए कहा - मैंने तो पहले ही मना किया था। तुम ही नहीं माने। प्रकृति के प्रतिकूल व्यवहार करने पर यही होता है।
कुत्ते ने नसीहत दी -
जणी को काम वणी ने साजे।
और करे तो डिंगा बाजे।।
याने, सबको अपना-अपना काम ही शोभा देता है। ऐसा न करने पर डण्डे पड़ते हैं और डण्डों की आवाज सारी दुनिया सुनती है।
‘बजते डिंगे’ दसों दिशाओं में गूँज रहे हैं।
आपकी बात समझ में आ गयी. समझ में नहीं आता कि हज़ारों लाखों लोग (पढ़े लिखे/धनवान) क्यों और कैसे बेवकूफों की तरह और पागलपन की हद तक ऐसे कई बाबाओं को अपने साम्राज्य विस्तार में सहायक होते जा रहे हैं.
ReplyDeleteप्रेरक कथा।
ReplyDeleteरोचक और प्रत्यक्ष
ReplyDeleteअच्छी कहानी है. इससे यह भी शिक्षा मिलती है कि यदि मालिक मूर्ख हो तो चोरों को चोरी करने देना चाहिये.
ReplyDeleteयह भी एक भाष्य है।
Deleteअति प्रासंगिक
ReplyDeleteअच्छी सीख, बेहतर शिक्षा, खूब नसीहत.
ReplyDeleteमूर्ख मालिक के घर की दुर्दशा ....
ReplyDeleteआभार आपका !
beautiful current burning post .
ReplyDeletesamajhane wale samajha gaye
na samajhe wo anari hain.
KHUBSURAT WYANG.
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ReplyDeleteसच कहा आपने ...
जणी को काम वणी ने साजे।
और करे तो डिंगा बाजे।।
क्या बात है ...
वाह वाह !
बहुत खूब !