छोटा बेटा तथागत होली पर घर आया। उसने मुझे एक निमन्त्रण-पत्र दिखाया। आप भी देखिए और अब ऐसे ही निमन्त्रण-पत्रों की आदत डाल लीजिए। मेरे कस्बे में ऐसे निमन्त्रण-पत्र चलन में आ गए हैं।
वैवाहिक आयोजन के इस निमन्त्रण-पत्र में तीन दिनों के चार प्रसंगों का निमन्त्रण है। चारों प्रसंगों के सामने, किसी वस्तुपरक-प्रश्नावली (आब्जेक्टिव क्वेश्चनायर) की तरह, खाली वर्गाकार खाने दिए गए हैं। सामनेवाले को जिस प्रसंग के लिए निमन्त्रित किया जाना है, उसके सामनेवाले खाली वर्गाकार खाने में सही का निशान लगा दिया जाता है।
यदि किसी को सपरिवार आमन्त्रित करना है तो इसी निमन्त्रण-पत्र पर ‘सपरिवार’ लिख दिया जाता है और यदि केवल दम्पति को निमन्त्रित करना है तो ‘जोड़े से’ लिख दिया जाता है।
जिस प्रसंग के सामने खाली वर्गाकार खाना नहीं है, उस प्रसंग पर तो आप आमन्त्रित हैं ही।
इस निमन्त्रण-पत्र का सबसे अन्तिम वाक्य अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसमें लिखा है - ‘कृपया सेवक के न्यौते का इन्तजार न करें।’ याने, आपको निमन्त्रण भेज दिया गया है, अब आप किसी व्यक्तिगत आग्रह की अपेक्षा और प्रतीक्षा न करें। तनिक परिहास की इजाजत दें तो आपसे कहा जा रहा है - ‘आओ तो वेलकम, वर्ना भीड़ कम।’
थोड़े लिखे को बहुत समझिएगा और आपको छूट है कि जैसा आपका मन चाहे वैसा समझिएगा।
अच्छा ही है, कई तरह के कार्ड बनवाने का खर्चा बच जाता है..
ReplyDelete@‘कृपया सेवक के न्यौते का इन्तजार न करें।’
ReplyDelete:) वस्तुतः यह निमन्त्रण पत्र उस समाज का है जहाँ अपने ही समुदाय में भोज के समय न्योतने के लिए 'सेवक' नाम के न्योतेदार को भेजने प्रथा है। यह व्यक्तिगत आग्रह के इन्तजार की बात नहीं है बल्कि उस 'सेवक' द्वारा न्योता न किया जाएगा यह भावार्थ है। :)
बाकि वस्तुपरक-प्रश्नावली मजेदार है।
नई परिस्थितियाँ नए रूप प्रदान करती हैं।
ReplyDelete.
ReplyDeleteआदरणीय विष्णु बैरागी जी,
प्रणाम !
मजेदार है … पोस्ट भी और कार्ड भी …
'तेड़ा' शब्द मालवी या निमाड़ी का होना चाहिए … हमारी राजस्थानी में भी निमंत्रण-आमंत्रण के लिए 'नूंता/न्यौता' शब्द के अलावा 'तेड़ा'प्रचलन में है …
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♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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जब ऐसे न्योते चलन में आएंगे तो शायद लोगों की सोच भी बदल जाएगी ... और पहुँच जाया करेंगे ऐसे निमंत्रण पा कर
ReplyDeleteयह तो बड़ा ही धांसू आइडिया है. बिना निशान लगाए भेज दो तो लगेगा कि बुलाया भी, और नहीं भी!
ReplyDeleteया फिर चाहे जिसमें निशान लगा लो, और चले आओ.
नहीं तो चाहे जिसमें क्रास बना लो और फिर शिकायत करो कि तुमने तो बुलाया ही नहीं!
आवश्यकता आविष्कार की बहुत बड़ी जननी है :)
जिन आयोजनों में निशान नहीं लगे हैं अगर उनमें भी पहुंच गये तो वे क्या वे वापस भगा देंगे
ReplyDeleteबदलते समय की बदलती परम्पराओं के गवाह हैं हम। मेरा अनुभव इसके उलट रहा। पिछले हफ़्ते भारत से एक शादी का कार्ड आया, पूरा संस्कृत में छपा हुआ, और कुछ लोग शायद यक़ीन नहीं करेंगे कि दाम्पत्य-सूत्र में बन्धने वाले दोनों परिवार तमिळ हैं।
ReplyDeleteमेरो नाम केभिन एडम्स, बंधक ऋण उधारो एडम्स तिर्ने कम्पनी को एक प्रतिनिधि, म 2% ब्याज मा ऋण दिनेछ छ। हामी विभिन्न को सबै प्रकार प्रदान
ReplyDeleteऋण। तपाईं यस इमेल मा अब हामीलाई सम्पर्क गर्न आवश्यक छ भने: adams.credi@gmail.com