साक्षर, शिक्षित और समझदार

सन् 1981 की जनगणना में मेरे कस्बे रतलाम को मध्य प्रदेश का ‘सर्वाधिक साक्षर नगर’ घोषित किया गया था। इस घोषणा को लोगों ने ‘पुरुस्कार अथवा आभूषण’ मान कर ‘जय घोष’ से आकाश छोटा कर दिया था। सम्बन्धित विभागों के कुछ अधिकारियों ने अघोषित तथा अनौपचारिक समारोह भी कर लिए थे। मेरे कस्बे के पेशेवर वक्‍ता और पत्रकार अभी भी कभी-कभार यह झुनझुना बजा कर खुश हो लेते हैं।


इस सब से आश्‍चर्यचकित हो मैं कस्बे में ‘समझदारी’ खोज रहा था। पग-पग पर अक्रिमण, गन्दगी का साम्राज्य, बैकों से लिए ऋण वापस न लौटाने के प्रकरण, नगर निगम की ‘बकाया कर राशि के आँकडों का पहाड़’, ‘जन’ से पीठ फेर कर बैठे जनप्रतिनिधि और इस पर ‘जन’ का चुप रहना जैसे कारक मुझे असहज कर रहे थे।


साक्षर होने, शिक्षित होने और समझदार होने में कोई अन्तर्सम्बन्ध मुझे न तब दृष्‍िटगोचर हो रहा था न, 28 वर्षों के बाद अब। मन्त्री पद की शपथ ले रही, शपथ पत्र पढ़ पाने में सर्वथा असमर्थ, निरक्षर गोलमा देवी की आवाज ‘मैं गोलमा देवी बोल री हूँ’ ने चेतना पर कब्जा कर रखा है।


ऐसे में, मध्य प्रदेश के एक जिला मुख्यालय स्थित, भारत शासन के एक प्रतिष्‍िठत उपक्रम के कार्यालय के ‘सुविधा स्थल’ पर प्रदर्शित इस निर्देश ने पता नहीं क्यों मुझे आत्मीय सुख दिया।निरक्षरों को साक्षर और साक्षरों को शिक्षित बनाने में भले ही हम कीर्तिमान स्थापित कर लें किन्तु निरक्षरों, साक्षरों और शिक्षितों को समझदार बनाने का भी कोई अभियान चलाया जाना चाहिए?


या, यह सब, मूक बन कर देखते रहने में ही समझदारी है?


‘सबसे भली चुप’ ही समझदारी का स्थायी भाव है?
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9 comments:

  1. निरक्षरों को साक्षर और साक्षरों को शिक्षित बनाने में भले ही हम कीर्तिमान स्थापित कर लें किन्तु निरक्षरों, साक्षरों और शिक्षितों को समझदार बनाने का भी कोई अभियान चलाया जाना चाहिए?

    बहुत सही कहा है।

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  2. आपका सहयोग चाहूँगा कि मेरे नये ब्लाग के बारे में आपके मित्र भी जाने,

    ब्लागिंग या अंतरजाल तकनीक से सम्बंधित कोई प्रश्न है अवश्य अवगत करायें
    तकनीक दृष्टा/Tech Prevue

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  3. "…‘सबसे भली चुप’ ही समझदारी का स्थायी भाव है?…" यही भाव तो देश की वाट लगाये दे रहा है… जिस दिन लोग "बोलने" लगेंगे, या बोलने के बाद जूते निकालने की क्रिया करने भी करने लगेंगे, उसी दिन से नौकरशाही और व्यवस्था में कुछ बदलाव होने की उम्मीद है, वरना "चुप भली" करके जैसे जनता 60 साल से बैठी है अगले 100 साल तक भी बैठी ही रहेगी…

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  4. या रब वो ना समझे हैं ना समझेंगे मेरी बात दे और दिल उनको जो ना दे ज़बां और । जिस संदर्भ में आपने ये बात कही है उसे शायद ही कोई समझ पाए ...। खैर पढे लिखे लोग अतिSSSSSSSSS.......समझदार होते है ं ये तो आप भी जानते हैं और मानते भी हैं । समझदार अपना और सिर्फ़ अपने परिवार का भला जानता है ।

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  5. बहुत रहे चुप
    अब न रहेंगे।
    अपना दुखड़ा
    अपनी बात
    पुरजोर कहेंगे।

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  6. दो नम्बर वाली जगहों में भी ऐसे बोर्ड लगाने पड़ेंगे.

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  7. वाह! बेबी को भी बाथ टब के साथ फैंक दिया है पेशाब में!
    साक्षर-अज्ञान की जै!

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  8. ' करि पुलेल को आचमन ' -- वाली बस्ती मे क्यूँ ' शू 'क्रिया के लिए झिंझोड़ने मे अपनी ऊर्जा
    का ..........श कर रहें हैं . हम नही सुधरेंगे , युग सुधारने का सपना गायत्री-परिवार वालों का
    है . सुश्री गोलमा देवी इसी समाज का प्रतिनिध्त्व कर रही हैं !

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