हम भारत के मतवाले हैं




श्री बालकवि बैरागी के पाँचवें काव्य संग्रह 
       ‘गौरव गीत’ का ग्यारहवाँ गीत

.....मैं काँग्रेस के मंच से हिन्दी मंच पर आया हूँ। सो, मैंने उस महान् संस्था के उपकार को नहीं भूलना चाहिये। मेरी नैतिकता मुझे इसके लिये हमेशा आगाह करती रहती है। .....मुझे लोकप्रियता देने में इन गीतों का बहुत बड़ा योगदान है। पूरे देश के आर-पार मेरा एक विशाल परिवार इन गीतों ने तैयार किया है। .......न इनका कोई साहित्यिक मूल्य है न इनमें कोई साहित्यिक बात ही है। फिर भी ये पुस्तकाकार छपे हैं। .....मेरे लिये यह जरूरी था कि इनको छपा कर आप तक पहुँचाऊँ। 

                        हम भारत के मतवाले हैं

                                हम भारत के मतवाले हैं
                                हम अमर तिरंगे वाले हैं

                                            - 1 -

                                जब हिंसा आग उगलती है
                                धरती की चुनरी जलती है
                                हम बनते बादल काले हैं
                                हम अमर तिरंगे वाले हैं
                                हम भारत के.....

                                            - 2 -

                                जो बम से बाजी मार गया
                                जो मानवता को तार गया
                                हम उस बापू के पाले हैं
                                हम अमर तिरंगे वाले हैं
                                हम भारत के.....

                                            - 3 -

                                हम बलिदानी बाना पहिने
                                हम वीर जवाहर के गहने
                                हम दुनिया के रखवाले हैं
                                हम अमर तिरंगे वाले हैं
                                हम भारत के.....

                                            - 4 -

                                हम बिछड़े देश मिलाते हैं
                                हम जालिम दिल पिघलाते हैं
                                हम शान्ति-सुधा के प्याले हैं
                                हम अमर तिरंगे वाले हैं
                                हम भारत के.....
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‘गौरव गीत’ - भूमिका, सन्देश, कवि-कथन, जानकारियाँ यहाँ पढ़िए।

‘गौरव गीत’ का दसवाँ गीत ‘आई नई हिलोर’ यहाँ पढ़िए

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गौरव गीत - काँग्रेस सेवादल के लिए रचित गीतों का संग्रह
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - पिया प्रकाशन, मनासा (म. प्र.)
आवरण - मोहन झाला, उज्जैन
कॉपी राइट - ‘कवि’ (बालकवि बैरागी)
प्रथम संस्करण - 1100 प्रतियाँ,
प्रकाशन वर्ष - 1966
मूल्य - 1.50 रुपये
मुद्रक - रतनलाल जैन,
पंचशील प्रिण्टिंग प्रेस, मनासा (म. प्र.) 
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यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। 
‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा की पोती। 
रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।



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