वैज्ञानिक के प्रति



श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘कोई तो समझे’ 
की इक्कीसवी कविता 

यह कविता संग्रह
(स्व.) श्री संजय गाँधी को 
समर्पित किया गया है।


वैज्ञानिक के प्रति

जिन हाथों ने
किया पोकरण में प्रस्थापन
अणु ऊर्जा का,
उनको मेरे शत अभिनन्दन,
न्यौछावर उन पर मेरे
अनगाये वन्दन।

जिन हाथों ने आर्यभट्ट को
प्रस्थापित कर दिया शून्य में,
उनको मेरे सौ-सौ चुम्बन,
न्यौछावर उन पर मेरी
अनलिखी पंक्तियाँ।

परम ऋणी हूँ मैं अपने उस वैज्ञानिक का
जिससे मुझको नव गरिमा दी,
नवल प्रभा दी, नई कथा दी,
जिसने मुझको नया दर्प दे
झुका हुआ मेरा मृत मस्तक
तान दिया ढलते कन्धों पर।

तने हुए चैतन्य शीश को आज
झुकाता हूँ मैं फिर से
उन चरणों में
जिनकी पदचापों के नीचे
शायद मेरे लिये कहीं कोई यश-गंगा
नव सुरसरि, यश-गाथा कोई
प्रवल वेग से बह आने को
अकुला कर
कसमसा रही हो।
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संग्रह के ब्यौरे

कोई तो समझे - कविताएँ
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन, भोपाल
एकमात्र वितरक - साँची प्रकाशन, भोपाल-आगरा
प्रथम संस्करण , नवम्बर 1980
मूल्य - पच्चीस रुपये मात्र
मुद्रक - चन्द्रा प्रिण्टर्स, भोपाल


 




















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