चौमासा इस बार (मत करो आवारागर्दी )



श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ 
की इकानब्बेवी कविता


यह कविता संग्रह
पाठकों को समर्पित किया गया है।


चौमासा इस बार
(मत करो आवारागर्दी )

बरसों बाद आये हो मेरे सावन!
भादों भरे मेरे पाहुन पावन!!
तो आओ बैठो
क्षितिज से क्षितिज तक
खुला है सारा आँगन।

खुले मन से मन की बात करो
बेशक दिन और रात करो
बरसना चाहो तो
मुक्त बरसो-उन्मुक्त बरसो
पर मत करो आवारागर्दी
मत कोई उत्पात करो।

डराओ मत
पहले से ही सहमे बैठे
धरती माँ के घर-परिवार को
समझो प्यास से तड़फती
दर-ब-दर दरकती
एक-एक दरार को।

मैं समझ गया कि
राह नहीं भूले 
पर कहीं भटक गये
हो न हो 
किसी रामटेक पर
यक्षप्रिया के गवाक्षों में
अटक गये थे।
देखो न?
जब तक तुम नहीं आये
तुम पर हँसता रहा अकाल
खुले नहीं मेरे बाजार
हाँ, दूकानें खुलती जरूर थीं
पर चलती नहीं थी।

चलती भी कैसे?
लाचार था, आकाश पर
आश्रित धरती का बेटा
उसके सिक्के सारे थे
तुम्हारे पागल बादलों की जेबों में।

बदल गये उन सिक्कों के
सन्- सम्वत्
जेबों की जेबों में मर गये।
पता नहीं
तुम्हारे होते हुए
तुम्हारे बादल बच्चे
ऐसा कैसे कर गये?

पर अब तुम आये हो तो
स्वागत है तुम्हारा
लेकिन अब ऐसा मत करना
दुबारा।

अब अतिथि की शालीनता को पालो
और अपनी गैर हाजिरी की
कसर यूँ मत निकालो
कि तुम्हारा मेजबान
मेरा हलधर डर जाये
और तुम्हारे बिना भी
जिन्दा रह सकने वाला
तुम्हारी खातिरदारी में ही
मर जाये।
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जैसा कि दादा श्री बालकवि बैरागी ने ‘आत्म-कथ्य’ में कहा है, इस संग्रह ‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की कई रचनाएँ अन्य संग्रहों में पूर्व प्रकाशित हैं। इसलिए यहाँ, उन सब कविताओं को एक बार फिर से देने के बजाय उनकी लिंक यहाँ दी जा रही हैं। सम्बन्धित कविता की लिंक क्लिक करने पर कविता पढ़ी जा सकती है।

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की अट्ठाईसवी कविता ‘हम हैं सिपहिया भारत के’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की उनतीसवी कविता ‘आह्वान’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की तीसवी कविता ‘दो-दो बातें’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की इकतीसवी कविता ‘गोरा-बादल’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की बत्तीसवी कविता ‘मेरे देश के लाल हठीले’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की तैंतीसवी कविता ‘हम बच्चों का है कश्मीर’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की चौंतीसवी कविता ‘नई चुनौती जिन्दाबाद’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की पैंतीसवी कविता ‘नये पसीने की नदियों को’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की छत्तीसवी कविता ‘अन्तर का विश्वास’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की सैंतीसवी कविता ‘मधुवन के माली से’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की अड़तीसवी कविता ‘देख ज़माने आँख खोल कर’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की उनचालीसवी कविता ‘छोटी सी चिनगारी ही तो’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की चालीसवी कविता ‘ऐसा मेरा मन कहता है’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की इकतालीसवी कविता ‘काफिला बना रहे’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की बयालीसवी कविता ‘माँ ने तुम्हें बुलाया है’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की तरालीसवी कविता ‘रूपम् से’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की चव्वालीसवी कविता ‘उमड़ घुमड़ कर आओ रे’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की पैंतालीसवी कविता ‘मेघ मल्हारें बन्द करो’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की छियालीसवी कविता ‘एक गीत ज्वाला का’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की सैंतालीसवी कविता ‘जो ये आग पियेगा’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की अड़तालीसवी कविता ‘फिर चुपचाप अँधेरा’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की उनपचासवी कविता ‘तरुणाई के तीरथ’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की पचासवी कविता ‘अधूरी पूजा’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की इक्यावनवी कविता ‘अंगारों से’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की बावनवी कविता ‘एक बार फिर करो प्रतिज्ञा’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की तरेपनवी कविता ‘अग्नि-वंश का गीत’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की चौपनवी कविता ‘चिन्तन की लाचारी’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की पचपनवी कविता ‘कोई इन अंगारों से प्यार तो करे’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की छप्पनवी कविता ‘इस वक्त’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की सत्तावनवी कविता ‘उनका पोस्टर’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की अट्ठावनवी कविता ‘घर से बाहर आओ’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की उनसाठवी कविता ‘मरण बेला आ गई त्यौहार है’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की साठवी कविता ‘चलो चलें सीमा पर मरने’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की इसठवी कविता ‘आई नई हिलोर’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की बासठवी कविता ‘हौसला हमारा’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की तिरसठवी कविता ‘युवा गीत’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की चौंसठवी कविता ‘हिन्दी अपने घर की रानी’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की छियासठवी कविता ‘ज्ञापन: अतिरिक्त योद्धा को’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की सड़सठवी कविता ‘बन्द करो’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की अड़सठवी कविता ‘क्रान्ति का मृत्यु-गीत’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की उनसत्तरवी कविता ‘ठहरो’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की सत्तरवी कविता ‘आस्था का आह्वान’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की इकहत्तरवी कविता ‘समाजवाद’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की बहत्तरवी कविता ‘रात से प्रभात तक’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की तिहत्तरवी कविता ‘सीधी सी बात’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की चौहत्तरवी कविता ‘आत्म-निर्धारण’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की पचहत्तरवी कविता ‘आलोक का अट्टहास’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की छियोत्तरवी कविता ‘माँ ने कहा’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की अठहत्तरवी कविता ‘महाभोज की भूमिका’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की उन्यासीवी कविता ‘चिन्तक’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की अस्सीवी कविता ‘गन्ने! मेरे भाई!’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की इक्यासीवी कविता ‘जीवन की उत्तर-पुस्तिका’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की बयासीवी कविता ‘पर्यावरण प्रार्थना’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की तिरयासीवी कविता ‘एक दिन’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की चौरियासीवी कविता ‘एक और जन्मगाँठ’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की पिच्यासीवी कविता ‘जन्मदिन पर-माँ की याद’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की छियासीवी कविता ‘पेड़ की प्रार्थना’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की सित्यासीवी कविता ‘रामबाण की पीड़ा’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की इट्ठ्यासीवी कविता ‘पर जो होता है सिद्ध-संकल्प’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की उन्नब्बेवी कविता ‘उठो मेरे चैतन्य’ यहाँ पढ़िए

‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की इठ्यानबेवी कविता ‘वंशज का वक्तव्य: दिनकर के प्रति’ यहाँ पढ़िए






संग्रह के ब्यौरे -
मैं उपस्थित हूँ यहाँ: छन्द-स्वच्छन्द-मुक्तछन्द-लय-अलय-गीत-अगीत
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - डायमण्ड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि.
एक्स-30, ओखला इण्डस्ट्रियल एरिया, फेज-2, नई दिल्ली-110020
वर्ष - 2005
मूल्य - रुपये 95/-
सर्वाधिकार - लेखकाधीन
टाइप सेटिंग - आर. एस. प्रिण्ट्स, नई दिल्ली
मुद्रक - आदर्श प्रिण्टर्स, शाहदरा



रतलाम के सुपरिचित रंगकर्मी श्री कैलाश व्यास ने अत्यन्त कृपापूर्वक यह संग्रह उपलब्ध कराया। वे, मध्य प्रदेश सरकार के, उप संचालक अभियोजन  (गृह विभाग) जैसे प्रतिष्ठापूर्ण पद से सेवा निवृत्त हुए हैं। रतलाम में रहते हैं और मोबाइल नम्बर 94251 87102 पर उपलब्ध हैं।
 



























2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-10-2021) को चर्चा मंच         "जैसी दृष्टि होगी यह जगत वैसा ही दिखेगा"    (चर्चा अंक-4204)     पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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  2. चयन के लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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