5 छोटी-छोटी कविताएँ - (1) ‘अन्त तक जीवित रखो’, (2) ‘निरीह’, (3) ‘आश्चर्य’, (4) ‘प्रमाद’ तथा (5) ‘बेहतर’



श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘रेत के रिश्ते’ 
की 5 छोटी-छोटी कविताएँ  


यह कविता संग्रह
श्री पं. भवानी प्रसादजी मिश्र को 
समर्पित किया गया है।


पहली कविता
अन्त तक जीवित रखो

अन्त तक जीवित रखो, प्रतिकार के अधिकार को
एक धक्का और दो, ठिठके खड़े अँधियार को
घेर कर घर से निकाला, अब निकालो प्राण से
प्राथनाएँ मत करो, इसके लिए पाषाण से
कष्ट, मत दो सूर्य को, सूर्य से पहले चलो
दीप या बाती जले, इससे प्रथम तुम खुद जलो
आग की खेती कहीं, होती नहीं संसार में,
रोशनी मिलती नहीं है, हाट या बाजार में।
-----
 
छठवीं कविता
निरीह

वे करते रहे दमन
ये करते रहे वमन
इन दमन और वमनकारियों को
निरीह का नमन।
----


सातवीं कविता
आश्चर्य

टूटते ही चुप्पी
खुलते ही मुँह
वे उतर आये गालियों पर,
लगा,
गंगा नहाने बैठ गई हो
नगरपालिका की नालियों पर।
-----


आठवीं कविता
प्रमाद

प्रमाद
कभी रह ही नहीं सकता खड़ा
इसलिये
इनके सिर से उतरा
तो उनके सिर पर चढ़ा।
-----


नौवीं कविता
बेहतर

सदियों के लिये पिछड़ जाना
याने कि
अपने आप से बिछड़ जाना
कोई नहीं चाहता
पर अनचाहा हो जाता है।
वर्तमान की काली गुफा में
कभी-कभी उज्ज्वल भविष्य
खो जाता है।
तब चकित होकर चीखने से बेहतर है
चुप हो जाना।
भविष्य को रोने से बेहतर है
अतीत में खो जाना!
-----


संग्रह के ब्यौरे

रेत के रिश्ते - कविता संग्रह
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - साँची प्रकाशन, बाल विहार, हमीदिया रोड़, भोपाल
प्रथम संस्करण - नवम्बर 1980
मूल्य - बीस रुपये
मुद्रक - चन्द्रा प्रिण्टर्स, भोपाल
-----
 
 

 




















9 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा 16.09.2021 को चर्चा मंच पर होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

    ReplyDelete
  2. बेहतरीन प्रस्तुति

    ReplyDelete
  3. सराहनीय सृजन।
    सादर आभार सर पढ़वाने हेतु।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्‍यवाद। ऐसी टिप्‍पणियों से, ऐसा काम करते रहने की हिम्‍मत बढती है।

      Delete
  4. सुंदर संकलन, शानदार भाव समेटे अभिनव कविताएं।

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मुझे सुधारेगी और समृद्ध करेगी. अग्रिम धन्यवाद एवं आभार.