श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘कोई तो समझे’
की तीसरी कविता
‘कोई तो समझे’
की तीसरी कविता
यह कविता संग्रह
(स्व.) श्री संजय गाँधी को
समर्पित किया गया है।
दो सूत्र
पिता से अधिक पवित्र
माँ से अधिक दिव्य
और पत्नी से अधिक खूबसूरत
मुझे कोई नहीं लगा।
यही कारण है कि
मैं नहीं दे सका
अपनी मिट्टी को दगा।
निम्न वर्ग को रोटी
मध्यम वर्ग को प्रतिष्ठा
और उच्च वर्ग को आदर
देते रहो।
और इनसे चाहे जब
वोट लेते रहो ।
-----
संग्रह के ब्यौरे
कोई तो समझे - कविताएँ
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन, भोपाल
एकमात्र वितरक - साँची प्रकाशन, भोपाल-आगरा
प्रथम संस्करण , नवम्बर 1980
मूल्य - पच्चीस रुपये मात्र
मुद्रक - चन्द्रा प्रिण्टर्स, भोपाल
No comments:
Post a Comment
आपकी टिप्पणी मुझे सुधारेगी और समृद्ध करेगी. अग्रिम धन्यवाद एवं आभार.