फिर भी गा रहा हूँ





श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘ओ अमलतास’ की बाईसवीं कविता 

यह संग्रह श्री दुष्यन्त कुमार को
समर्पित किया गया है।




मैं फिर भी गा रहा हूँ

कितना उदास मौसम, मैं फिर भी गा रहा हूँ
सरगम नहीं है सरगम, मैं फिर भी गा रहा हूँ

ये दर्द का समन्दर, ये डूबता सफीना
चारों तरफ है मातम, मैं फिर भी गा रहा हूँ

सपनों का आसरा था, वे भी सहम गये है
सहमा हुआ है आलम, मैं फिर भी गा रहा हूँ

कहते हैं जिनको आँसू, अब वे भी थम गये हैं
कोई नहीं है हमदम, मैं फिर भी गा रहा हूँ

जलता हुआ नशेमन, इसके सिवा कहे क्या
वह जुल्म है बहुत कम, मैं फिर भी गा रहा हूँ

अहसान है कि उनने, हर गम दिया सुरीला
बेजार है तरन्नुम, मैं फिर भी गा रहा हूँ
-----


‘ओ अमलतास’ की इक्कीसवीं कविता ‘आप बस गुमनाम’ यहाँ पढ़िए

‘ओ अमलतास’ की तेईसवीं/अन्तिम कविता ‘चाँद से’ यहाँ पढ़िए 

 


संग्रह के ब्यौरे
ओ अमलतास (कविताएँ)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - किशोर समिति, सागर।
प्रथम संस्करण 1981
आवरण - दीपक परसाई/पंचायती राज मुद्रणालय, उज्जैन
सर्वाधिकार - बालकवि बैरागी
मूल्य - दस रुपये
मुद्रण - कोठारी प्रिण्टर्स, उज्जैन।
मुख्य विक्रेता - अनीता प्रकाशन, उज्जैन
-----
























 


No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी मुझे सुधारेगी और समृद्ध करेगी. अग्रिम धन्यवाद एवं आभार.