यदि यह नया साल है तो........

पटाखे छूटने की आवाजें आने लगी हैं। मेरे मोहल्ले में भी एक घर के सामने दो बच्चे पटाखे छोड़ रहे हैं। गोया, ‘नया साल’ आ गया।

‘उत्सव प्रेमी’ होने के नाम पर हम एक वर्ष में कितने नव वर्ष मनाते हैं? कम से कम तीन तो मनाते ही हैं। एक - दीपावली पर, दो - चैत्र प्रतिपदा पर (नव सम्वत्सर) और तीन - पहली जनवरी पर। मैं इनमें से दूसरेवाला नव वर्ष मनाता हूँ और अपने अन्नदाताओं, मित्रों, परिचितों को दीपावली पर अभिनन्दन पत्र भेजता हूँ। जो जानते हैं वे मुझे पहली जनवरी पर बधाइयाँ नहीं देते। जो नहीं जानते और बधाइयाँ देते हैं, उन्हें पलट-बधाइयाँ और शुभ-कामनाएँ अर्पित कर देता हूँ। नितान्त औपचारिक।

लगता है, मेरे आसपासवालों को मेरी मानसिकता की जानकारी अब अधिक होने लगी है। इसीलिए इस बार मुझे गए साल की अपेक्षा कम एसएमएस आए हैं। अब तक एक को भी जवाब नहीं दिया। कल (घड़ी में भले ही पहली जनवरी हो गई हो किन्तु मैं तो ‘उदय तिथि’ में विश्वास करता हूँ सो कल), पहली जनवरी को ही सबसे बात करूँगा और पलट बधाइयाँ दूँगा। मुझे एसएमएस लिखना अब तक नहीं आ पाया है।

एक पत्रकार ने जानना चाहा कि वह कौन सा काम था जिसे मैं गत वर्ष करना चाह रहा था किन्तु कर नहीं पाया। यह भी जानना चाहा कि सन् 2012 में कौन सा काम करने का इरादा किया है। मैंने कहा कि मैं तो खुद को मजदूर ही मानता हूँ जिसकी कोई छुट्टी नहीं होती और हर दिन काम करना ही त्यौहार होता है। किन्तु पत्रकार मित्र ने कहा कि इस जवाब से उनका काम नहीं चलेगा।जवाब देने में मुझे तनिक कठिनाई हुई, सोचना पड़ा। अचानक ही मुझे अपना सबसे बड़ा संकट याद आ गया। मुझे बीमा अभिकर्ता बनानेवाले नितिन भाई वैद्य मुझे, 1991 से बराबर कहते चले आ रहे हैं कि मैं बोल कर अपने लिए दुश्मन बना लेता हूँ इसलिए मैंने चुप रहने का अभ्यास करना चाहिए। नितिन भाई की यह बात मुझे हर बार सच अनुभव हुई है। स्थिति यह है कि मेरे प्रशंसक तो असंख्य है किन्तु अपने पास बैठाने को कोई तैयार नहीं होता। सब बिदकते हैं।


कहने के लिए यही बात मुझे ठीक लगी। मैंने कहा कि मेरी नीयत भली और नेक होने के बावजूद अपनी साफगोई के कारण मैं अनेक लोगों का दिल दुखाने का अपराध करता हूँ। इस बात की पीड़ा मुझे गत वर्ष ही नहीं, कई बरसों से बराबर बनी रहती है। इस वर्ष मैं कोशिश करूँगा कि लोगों का दिल दुखाए बिना अपनी स्पष्टवादिता बनाए रख सकूँ।

पत्रकार मित्र को कहते समय तो मैंने सचमुच में कहने के लिए कहा था। किन्तु अब लग रहा है कि यह तो मुझे वाकई में करना चाहिए। ‘करना चाहिए नहीं’, करना ‘ही’ चाहिए और केवल एक वर्ष के लिए नहीं, हमेशा के लिए ही करना चाहिए।

पहली जनवरी से नया साल माननेवाले तमाम कृपालुओं को हार्दिक बधाइयाँ, अभिनन्दन और शुभ-कामनाएँ।


सबसे विनम्र अनुरोध कि ईश्वर से मेरे लिए प्रार्थना करें कि मैं वैसा ही कर सकूँ जैसा करने के जिए मैंने पत्रकार मित्र को कहा था। और यदि वैसा न कर सकूँ तो कृपया ईश्वर से मेरे लिए प्रार्थना करें कि मैं चुप रहना सीख सकूँ।

10 comments:

  1. @स्पष्टवादिता!
    डरा रहे हैं क्या?

    @पहली जनवरी से नया साल माननेवाले तमाम कृपालुओं को हार्दिक बधाइयाँ, अभिनन्दन और शुभ-कामनाएँ।
    धन्यवाद, और आपको भी बधाइयाँ, अभिनन्दन और शुभ-कामनाएँ!

    ReplyDelete
  2. सांच को आंच क्‍या, लेकिन सत्‍यं ब्रुयात, प्रियं ब्रुयात (यह चापलूसी या मुंहदेखी नहीं होगी, बल्कि वाक्-शक्ति का, जिह्वा का, सरस्‍वती का सच्‍चा सम्‍मान है).

    ReplyDelete
  3. हमारा तो हर दिन एक नया साल ही तो होता है:)

    ReplyDelete
  4. हर क्षण में नया ढूढ़ने की ओर बढ़ रही है हमारी पीढ़ी

    ReplyDelete
  5. ई-मेल से प्राप्‍त श्रीसुरेशजी करमरकर की टिप्‍पणी -

    विष्णुजी, आप साफ बोलने और साफ लिखने की आदत बनाये रखें कारण की इस प्रजाति के लोग कम ही बचें हैं. यह प्रजाति तो लुप्त हो रही है. आपने यदि अपना मौलिक गुण त्याग दिया तो बीमार पड़ जायेंगे. आज ही आपको पत्र लिखा है. किन्तु डिब्बे में से और वह भी डाक के कल ही बाहर आ पायेगा.

    ReplyDelete
  6. औपचारिकता का निर्वहन हम भी किये देते हैं.

    ReplyDelete
  7. जब हर दिन नया वर्ष नया उत्सव है तो शुभकामनाएँ आज क्यों नहीं

    हार्दिक बधाइयाँ, अभिनन्दन और शुभ-कामनाएँ।

    ReplyDelete
  8. इसलिए मैंने चुप रहने का अभ्यास करना चाहिए। नितिन भाई की यह बात मुझे हर बार सच अनुभव हुई है। स्थिति यह है कि मेरे प्रशंसक तो असंख्य है किन्तु अपने पास बैठाने को कोई तैयार नहीं होता। सब बिदकते हैं।
    ...sach bolne walon se door rahane walon ko koi kami nahi..lekin main samjhti baat baat par jhoot bolne wale 50 logon par ek sach bolne wala bhari hota hai.. koi n mane lekin apni aatma mein santushiti to rahti hi hai....
    bahut badiya aalekh..
    yah prachalan bhi ek oupcharikta hai.. ab yahi calender office se lekar daftar mein sab chal raha hai..isliye navrash kee shubhkamna kahne mein koi harz nahi..
    saadar

    ReplyDelete
  9. 'मैं अपने घर का स्वामी हूं लकिन यह कहने के लिए मुझे मेरी पत्नी की अनुमति की आवश्यकता होती है' -..yah jaankar man ko bahut achha laga..tab to nishchit hi aapke ghar mein shanti hogi...

    ReplyDelete
  10. आप को भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

    शुभकामनओं के साथ
    संजय भास्कर

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मुझे सुधारेगी और समृद्ध करेगी. अग्रिम धन्यवाद एवं आभार.