आप बस गुमनाम




श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘ओ अमलतास’ की इक्कीसवीं कविता 

यह संग्रह श्री दुष्यन्त कुमार को
समर्पित किया गया है।




आप बस गुमनाम

आप बस गुमनाम मरना चाहते हैं
कौन सा शुभ काम करना चाहते हैं

जिन्दगी से प्यार तो करते नहीं
बस उसे बदनाम करना चाहते हैं

साँस भर का फासला तय नहीं हुआ
उम्र भर आराम करना चाहते हैं

एक ही तो दोस्त मिला दर्द नाम का
दोस्त को नीलाम करना चाहते हैं

कर रहे हैं आपसे वो खास इशारा
आप बस सलाम करना चाहते हैं

ख्वाब-ऐ-फरिश्ता है इन्साँ की जिन्दगी
आप बस नाकाम करना चाहते हैं
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‘ओ अमलतास’ की बीसवीं कविता ‘मन्दिर जिसे समझ रहे है’ यहाँ पढ़िए

‘ओ अमलतास’ की बाईसवीं कविता ‘फिर भी गा रहा हूँ’ यहाँ पढ़िए 

 


संग्रह के ब्यौरे
ओ अमलतास (कविताएँ)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - किशोर समिति, सागर।
प्रथम संस्करण 1981
आवरण - दीपक परसाई/पंचायती राज मुद्रणालय, उज्जैन
सर्वाधिकार - बालकवि बैरागी
मूल्य - दस रुपये
मुद्रण - कोठारी प्रिण्टर्स, उज्जैन।
मुख्य विक्रेता - अनीता प्रकाशन, उज्जैन
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8 comments:

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    1. टिप्‍पणी के लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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  2. बहुत सुन्दर ग़ज़ल । श्री बालकवि बैरागी जी के सृजन को साझा करने के लिए सादर आभार सर ।

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    1. टिप्‍पणी के लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

      दादा श्री बालकवि बैरागी के बीस से अधिक संग्रह मेरे ब्‍लॉग पर उपलब्‍ध हैं। कोशिश कर रहा हूँ उनका लिखा, अधिक से अधिक ब्‍लॉग पर दे दूँ।

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    2. आप बहुत बड़ा व नेक काम कर रहे है उनके संग्रहों को ब्लॉग पर उपलब्ध करवा कर..सादर आभार सर 🙏

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    3. आपकी टिप्‍पणी ने मेरा हौसला बढाया। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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  3. बहुत ही बढ़िया कहा है बैरागी जी ने । उम्दा प्रस्तुति ।

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    1. टिप्‍पणी के लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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आपकी टिप्पणी मुझे सुधारेगी और समृद्ध करेगी. अग्रिम धन्यवाद एवं आभार.