रात से प्रभात तक



श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘कोई तो समझे’ 
की नौवी कविता 

यह कविता संग्रह
(स्व.) श्री संजय गाँधी को 
समर्पित किया गया है।


रात से प्रभात तक

रात से प्रभात
और प्रभात से रात
ले-देकर एक ही बात
कि उजाला जीतेगा
अँधेरा हारेगा
और इस विजय के बाद
उजाला हर दिशा को सँवारेगा
राम जाने यह सचाई
कब लेगी आकार।
पर
अनिश्चित भविष्य की आशा में
अब आ ही गया त्यौहार
तो उजाले को बधाई
और अँधेरे को नमस्कार।
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संग्रह के ब्यौरे

कोई तो समझे - कविताएँ
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन, भोपाल
एकमात्र वितरक - साँची प्रकाशन, भोपाल-आगरा
प्रथम संस्करण , नवम्बर 1980
मूल्य - पच्चीस रुपये मात्र
मुद्रक - चन्द्रा प्रिण्टर्स, भोपाल


 




















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