मैं उपस्थित हूँ यहाँ - समर्पण, कवि का आत्म-कथ्य, अनुक्रमणिका और संग्रह के ब्यौरे



श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ 

समर्पण, कवि का आत्म-कथ्य, अनुक्रमणिका और संग्रह के ब्यौरे 

 

समर्पण
अपनी निश्छल कृपा से भरपूर
सभी
आत्मीय पाठकों को
सविनय सादर।
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सर्वश्रेष्ठ का सच ‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’

जिस देश के पास वेद, उपनिषद्, गीता, आगम, मानस, महाभारत, कालिदास, तुलसी, सूर, कबीर, मीरा, रहीम, रसखान, गालिब, निराला, दिनकर, बच्चन, सुमन, भवानीभाई, महादेवी और सुब्रम्हण्यम भारती जैसे लौकिक-अलौकिक विश्वश्रुत वन्दनीय नक्षत्र हों उस देश में श्रेष्ठ से भी ऊपर सर्वश्रेष्ठ लेखन की अपेक्षा आज कोई करे तो मुझ जैसा
व्यक्ति गहरे सोच में डूब जाता है। श्रेष्ठ और सर्वश्रेष्ठ की आखिर हमारी अपनी कसौटी क्या है?

भारत मूलतः श्रुति का देश है। प्राणपूर्ण सम्प्रेषित काव्य को लोग सुनकर सहेजते हैं। सृजन यहाँ पहले श्रुत हुआ। लेखन, लेप और लिपि उसे बाद में मिली। श्रुति ने उसे सदियों तक कण्ठ में रखा। कर्ण (कान) और कण्ठ के बीच में होती है वाचा-वाणी-वाग्मिता। अक्षर की पदयात्रा शब्द पर पहला पड़ाव पाती है। अक्षर अनादि है। शब्द ब्रह्म। यहाँ अनादि और ब्रह्म मिलकर ही ‘नाद ब्रह्म’ का रूप लेते हैं। सारस्वत सृजन इसी में गूँजता है।

मैं इसी चपेट में आ गया। ‘डायमंड पाकेट बुक्स’ के श्री नरेन्द्र कुमार जी ने मुझसे ऐसा ही कुछ माँगा। मुझे आश्चर्य हुआ। मेरी आयु का 74वाँ वर्ष पूरा हो रहा है। 10 फरवरी 2005 को मैं 75वें वर्ष में दाखिल हो जाऊँगा। लिखते, पढ़ते, बोलते, डोलते घूमते, गाते, सुनते-सुनाते इस तरह से 66 वर्ष हो गए। 9 वर्ष की उम्र में मैंने-जिसे मेरे शिक्षक-गुरु ने कविता कहा था, अपना पहला गीत (कविता) लिख दिया था। अपने लिखे को मैं आज तक व्यवस्थित तौर पर सहेज नहीं पाया। खुद के बारे में अपनी लापरवाही पर कई बरसों तक मैंने गर्व किया, फिर सन्तोष करना शुरु किया और आज पछतावा कर रहा हूँ।

खैर, ‘बहुत कुछ’ मे से ‘कुछ’ आपके सामने हैं। जो गा सकें वे सस्वर हैं तो-गाएँ। जो पढ़ सकें वे पढ़ें। श्रुति के देश में श्रोता मेरा पहला परमात्मा है-पाठक उसके बाद वाला महात्मा। बीच की लकीर आप खींच लें। अपने समय की छाप इनमें से कई कविताओं पर स्पष्ट है।

मैं आभारी हूँ ‘डायमंड पाकेट बुक्स’ और उसके प्रमुख श्री नरेन्द्र कुमारजी का कि इन बहुश्रुत और पूर्व प्रकाशित कविताओं को यह आकार मिल सका। आपका कृतज्ञ तो हूँ ही। प्रणाम।

बालकवि बैरागी
10 फरवरी, 2005
(75वाँ जन्मदिन)




अनुक्रमणिका

001. सूर्य उवाच
002. हैं करोड़ों सूर्य
003. दीपनिष्ठा को जगाओ
004. दीप ने मुझसे कहा
005. नये सिरे से कोई
006. शुभकामना
007. शायद
008. रात भर में ही जला
009. प्रार्थना
010. रोम रोम करके हवन
011. आओ जुगनू ही बन जायें
012. धन्यवाद
013. पूत सपूत
014. 1996
015. अँधियार से भी दोस्ती
016. मैं उपस्थित हूँ यहाँ
017. जब गिरेंगी बिजलियाँ
018. बलिदानी की यही नियति है .
019. प्रतिबद्ध-प्रदीप 
020. निर्माण आखिर आपका हूँ
021. विश्व की शुभ कामना-माँ
022. आपका आदेश
023. समरांगण में शीश चढ़ाता
024. निमन्त्रण
025. सारा देश हमारा
026. छोटी सी विनती
027. एक एक अभिलाषा
028. हम हैं सिपहिया भारत के
029. आह्वान
030. दो दो बातें
031. गोरा-बादल
032. मेरे देश के लाल हठीले
033. हम बच्चों का है कश्मीर
034. नई चुनौती जिन्दाबाद
035. नये पसीने की नदियों को
036. अन्तर का विश्वास
037. मधुवन के माली से
038. देख ज़माने आँख खोल कर
039. छोटी सी चिनगारी ही तो
040. ऐसा मेरा मन कहता है
041. काफिला बना रहे
042. माँ ने तुम्हें बुलाया है
043. रूपम् से
044. उमड़ घुमड़ कर आओ रे
045. मेघ मल्हारें बन्द करो
046. एक गीत ज्वाला का
047. जो ये आग पियेगा
048. फिर चुपचाप अँधेरा
049. तरुणाई के तीरथ
050. अधूरी पूजा
051. अंगारों से
052. एक बार फिर करो प्रतिज्ञा
053. अग्नि-वंश का गीत
054. चिन्तन की लाचारी
055. कोई इन अंगारों से प्यार तो करे
056. इस वक्त
057. उनका पोस्टर
058. घर से बाहर आओ
059. मरण बेला आ गई त्यौहार हे
060. चलो चलें सीमा पर मरने
061. आई नई हिलोर
062. हौसला हमारा
063. युवा गीत
064. हिन्दी अपने घर की रानी
065. कितना और सहे माँ हिन्दी
066. ज्ञापन: अतिरिक्त योद्धा को
067. बन्द करो
068. क्रान्ति का मृत्यु-गीत
069. ठहरो
070. आस्था का आह्वान
071. समाजवाद
072. रात से प्रभात तक
073. सीधी सी बात
074. आत्म-निर्धारण
075. आलोक का अट्वहास 
076. माँ ने कहा
077. दीया मैं ही बनाऊँ
078. महाभोज की भूमिका
079. चिन्तक
080. गन्ने! मेरे भाई,!
081. जीवन की उत्तर-पुस्तिका
082. पर्यावरण प्रार्थना
083. एक दिन
084. एक और जन्मगाँठ
085. जन्मदिन पर-माँ की याद
086. पेड़ की प्रार्थना
087. रामबाण की पीड़ा
088. पर जो होता है सिद्ध-संकल्प
089. उठो मेरे चौतन्य
090. गान्धारी-व्रत
091. चौमासा इस बार (मत करो आवारागर्दी)
092. जो कुटिलता से जियेंगे
093. बेटियों का गीत
094. शाकाहार
095. श्रद्धांजलि-तीन पीढ़ियों को
096. ईश्वर का उपहार
097. अपने ही पिंजरों में रहना है
098. वंशज का वक्तव्य: दिनकर के प्रति
099. तुम पुनर्जन्म लेकर फिर आओगे
100. आज तुम होती
101. पहाड़ की प्रार्थना
102. सुलझ नहीं पाती है गुत्थी
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संग्रह के ब्यौरे -

मैं उपस्थित हूँ यहाँ: छन्द-स्वच्छन्द-मुक्तछन्द-लय-अलय-गीत-अगीत
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - डायमण्ड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि.
एक्स-30, ओखला इण्डस्ट्रियल एरिया, फेज-2, नई दिल्ली-110020
वर्ष - 2005
मूल्य - रुपये 95/-
सर्वाधिकार - लेखकाधीन
टाइप सेटिंग - आर. एस. प्रिण्ट्स, नई दिल्ली
मुद्रक - आदर्श प्रिण्टर्स, शाहदरा



रतलाम के सुपरिचित रंगकर्मी श्री कैलाश व्यास ने अत्यन्त कृपापूर्वक यह संग्रह उपलब्ध कराया। वे, मध्य प्रदेश सरकार के, उप संचालक अभियोजन  (गृह विभाग) जैसे प्रतिष्ठापूर्ण पद से सेवा निवृत्त हुए हैं। रतलाम में रहते हैं और मोबाइल नम्बर 94251 87102 पर उपलब्ध हैं।
 

 























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