माताओं-पिताओं से



श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘कोई तो समझे’ 
की बीसवी कविता 

यह कविता संग्रह
(स्व.) श्री संजय गाँधी को 
समर्पित किया गया है।


माताओं-पिताओं से

बीमार बीज को भी देखो
कुछ उस पर भी सन्धान करो।
कोंपल को अपराधी कह कर
मत कोंपल का अपमान करो।

धरती कैसी, पानी कैसा?
उसको कैसा आकाश मिला?
(फिर) माली की नीयत क्या थी?
कितना मादक मधुमास मिला?

क्या करते थे तितली-भँवरे?
पंछी ने क्या व्यापार किया?
क्या चाल-चलन था मौसम का?
किसने कैसा व्यवहार किया?

इल्जाम लगाने से पहिले
कुछ अपनी भी पहचान करो।
कोंपल को अपराधी कहकर
मत कोंपल का अपमान करो।

हर एक बिषमता से लड़ कर
वह लाली लेकर आई है।
न्यौछावर जिस पर सौ सावन
हरियाली लेकर आई है।

इस लाली का, हरियाली का
इसके उजले संघर्षों का।
मूल्यांकन थोड़ा ठीक करो
इसके अभिनव उत्कर्षों का।

मत परखो गलत कसौटी पर
कुछ गुण का भी गुणगान करो।
कोंपल को अपराधी कहकर
मत कोंपल का अपमान करो।

यह वंश-बेल है, गौरव है
है पुनर्जन्म यह खुद अपना।
झाँको तो इसकी आँखों में
शायद हो अपना ही सपना।

संस्कार तुम्हारा खुद का है
यह चरम सत्य स्वीकार करो।
मत देखो इसको नफरत से
आजीवन इसको प्यार करो।

पावन प्रभुता है प्रभु की
इस प्रभुता का सम्मान करो।
कोंपल को अपराधी कहकर
मत कोंपल का अपमान करो।

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संग्रह के ब्यौरे

कोई तो समझे - कविताएँ
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन, भोपाल
एकमात्र वितरक - साँची प्रकाशन, भोपाल-आगरा
प्रथम संस्करण , नवम्बर 1980
मूल्य - पच्चीस रुपये मात्र
मुद्रक - चन्द्रा प्रिण्टर्स, भोपाल



 





















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