ननदी का गीत

 

श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘दो टूक’ की पैंतीसवीं कविता 

यह संग्रह दा’ साहब श्री माणक भाई अग्रवाल को समर्पित किया गया है।



ननदी का गीत
(परिवार नियोजन पर, लोक-धुन और लोक शैली पर आधारित एक गीत। इस गीत पर डाक्यूमेण्टरी भी बनी थी। नृत्यांगना मीना टी. ने ननदी की भूमिका निभाई थी।)

ओ भाभी! ओ भाभी!!
ओ भाभी मेरी ओ......!! 
तू चौथा पलना मत बाँध अँगना
बिक जाएगा भाभी तेरा कँगना
चौथा पलना मत बाँध अँगना...
     
                -1-

भैया तो मेरा दीवाना है भाभी
किसने कहा वो सयाना है भाभी
मेरे भैया के सपनों की रानी है तू
उससे तो ज्यादा सयानी है तू
उस पगले की बातों में मत लगना
बिक जाएगा भाभी तेरा कँगना
चौथा पलना मत बाँध अँगना..... 

                -2-

एक कहे बुआ, औ’ एक फूफी,
तीसरे का झगड़ा बाकी है यूँ भी
चौथा लड़ेगा तो मर जाऊँगी
मैं रूठ भी गई तो किधर जाऊँगी
मुश्किल है मेरे ही हाथ रंगना
बिक जाएगा भाभी तेरा कँगना
चौथा पलना मत बाँध अँगना..... 
 
                -3-

आई तो चन्दा सी गोरी थी तू
दूध धुली रेशम की डोरी थी तू
यूँ डोरी में गाँठें न डाल भाभी
तेरे दरपन को होगा मलाल भाभी
बड़ा मुश्किल है दरपन से रूप ठगना
बिक जाएगा भाभी तेरा कँगना
चौथा पलना मत बाँध अँगना....

                -4-

एक दो या ज्यादा से ज्यादा भाभी तीन
काहे बसाती है अँगना में चीन
तू भी सुखी और वे भी सुखी
कुम्हलाए ना मेरी सूरज-मुखी
तेरी बगिया को पतझर से दूर रखना
बिक जाएगा भाभी तेरा कँगना
चौथा पलना मत बाँध अँगना.....

                -5- 

भाभी तेरी ननदी की सीख मान ले
मानी नहीं तो ये ठीक जान ले
जी भर के तुझको सताऊँगी मैं
तेरे कमरे में बिस्तर लगाऊँगी मैं
फिर रोना-तड़पना और खूब बकना
बिक जाएगा भाभी तेरा कँगना
चौथा पलना मत बाँध अँगना.....
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संग्रह के ब्यौरे
दो टूक (कविताएँ)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - राजपाल एण्ड सन्ज, कश्मीरी गेट, दिल्ली।
पहला संस्करण 1971
सर्वाधिकार - बालकवि बैरागी
मूल्य - छः रुपये
मुद्रक - रूपाभ प्रिंटर्स, शाहदरा, दिल्ली।
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यह संग्रह हम सबकी रूना ने उपलब्ध कराया है। रूना याने रौनक बैरागी। दादा स्व. श्री बालकवि बैरागी की पोती। राजस्थान प्रशासकीय सेवा की सदस्य रूना, यह कविता यहाँ प्रकाशित होने के दिनांक को उदयपुर में, सहायक आबकारी आयुक्त के पद पर कार्यरत है।























 


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