संजय तिवारी : ब्‍लाग से अखबार पर

ब्‍लागियों के लिए अच्‍छी खबर है । अब छापने वाले भी उन पर न केवल नजर रखने लगे हैं बल्कि उनके लिखे को अपने पन्‍नों पर छापने भी लगे हैं । पहले, तीन ब्‍लागियों के लेख 'बया' ने छापे थे । अब एक साप्‍ताहिक अखबार ने ब्‍लाग से लेकर एक लेख छापा है ।


'विस्‍फोट' वाले श्री संजय तिवारी का लेख 'रामसेतु और भाजपा' रतलाम से प्रकाशित हो रहे साप्‍ताहिक 'उपग्रह' ने अपने, 20 सितम्‍बर 2007 वाले अंक में प्रकाशित किया है । 'बया' का कलेवर, परिवेश और प्रसार पूरी तरह से साहित्यिक और अकादमिक है जबकि 'उपग्रह' पूरी तरह से स्‍थानीयता पर केन्द्रित है । 'रवि रतलामी' के शहर से प्रकाशित हो रहा यह अखबार अपनी शालीनता, सादगी और अव्‍यावसायिकता के लिए विशेष रूप से पहचाना जाता है । इसके संचालक सर्वश्री सुरेन्‍द्रजी छाजेड, सुशीलजी छाजेड और अनुजजी छाजेड इस अखबार को अपने स्‍वर्गीय पिताजी (श्री आनन्‍दसिंहजी छाजेड) की स्‍मृति को बनाए रखने के लिए इसे निरन्‍तर बनाए हुए हैं । स्‍वर्गीय आनन्‍दसिंहजी छाजेड पूरी तरह से जनोन्‍मुखी पत्रकार थे । पत्रकारों के बीच वे 'डैडी' के नाम से पहचाने और पुकारे जाते थे । समझौता शब्‍द उनके शब्‍दकोश में स्‍थान पाने को आजीवन तरसता रहा । इसी 'दुर्गुण' के कारण आपातकाल में उन्‍हें जेल जाना पडा और जेल में ही उनकी मृत्‍यु हुई । पत्रकार समुदाय में उनके लिए कहा जाता था - 'डैडी से डर कर रहो, वे खुद के खिलाफ भी छापने की हिम्‍मत और ताकत रखते हैं ।'


सन् 1963 से लगातार प्रकाशित हो रहे इस अखबार का आयतन भले ही जिज्ञासा का विषय बना हुआ हो लेकिन स्‍थानीय स्‍तर पर इसका घनत्‍व किसी भी राष्‍ट्रीय अखबार से टक्‍कर लेता है । इसमें छपने के लिए लोग शब्‍दश: पंक्तिबध्‍द रहते हैं और इसमें छपी बात पर आंख मूंद कर विश्‍वास करते हैं ।


इसी 'उपग्रह' ने श्री संजय तिवारी का उपरोल्‍लेखित लेख, उनके ब्‍लाग 'विस्‍फोट' के उल्‍लेख सहित अपने सम्‍पादकीय पृष्‍ठ पर छापा है । यह मेरा अभाग्‍य ही है कि मेरे गुरु श्री रवि रतलामी द्वारा सिखाये जाने के बावजूद मैं इस अखबार का वह पृष्‍ठ यहां चिपका नहीं पा रहा हूं । 'उपग्रह' का अंक देख कर कल सवेरे संजयजी को ई-मेल कर उनका पता पूछा । 'उपग्रह' की एक प्रति उन्‍हें भेज रहा हूं । वे ठीक समझें तो उसका सम्‍बन्धित पृष्‍ठ अपने ब्‍लाग पर दे दें । इस बीच मैं भी कोशिश करता रहूंगा ।



ब्‍लागियो के लिए यह खबर निश्‍चय ही प्रसन्‍नतादायक और उत्‍साहजनक होगी क्‍यों कि रतलाम बहुत ही छोटा शहर है - लगभग पौने तीन लाख की आबादी वाला । यहां ब्‍लाग लिखने वालों की संख्‍या पांच तक भी नहीं पहुंची है । इतनी छोटी जगह पर ब्‍लागियों का नोटिस लिया जाना सचमुच में सुखद आश्‍चर्य है ।

सबको लख-लख बधाइयां ।

6 comments:

  1. www.gwaliortimes.com पर स्‍थायी रूप से सारे ब्‍लॉग छप रहे हैं, देशी विदेशी करीब 350 अखबारों पर इसके समाचार व आलेख छप रहे हैं ।

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  2. धन्‍यवाद बैरागी जी,

    आपने एक अच्‍छी जानकारी उपलव्‍ध कराई । इसे ब्‍लाग पर डालने का प्रयास कीजिये ।

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  3. बढ़िया खबर!! शुक्रिया!!

    संजय तिवारी जी को एक बार फ़िर से बधाई!!उनके ले्ख समय-समय पर छपते ही रहते हैं!!

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  4. विष्णु जी हो सके तो लेख के साथ यह लिंक दें
    http://visfot.blogspot.com/2007/09/blog-post_16.html
    जानकारी के लिए धन्यवाद.

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  5. बहुत अच्छे। बधाई।

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