अलविदा बापू

आज मुझे अपनी ओर से कुछ भी नहीं कहना है। ‘नईदुनिया’ (इन्दौर) में, कल प्रकाशित समाचार की कतरन यहाँ प्रस्तुत है। सुविधा के लिए इस समाचार को जस का तस प्रस्तुत कर रहा हूँ -

गाँधीजी गुप्त रास्ते से विलायत गए थे
इन्दौर। चौंक गए न शीर्षक पढ़कर। इससे आपको हँसी भी आएगी और दुःख भी होगा। दरअसल यह एक साधारण से प्रश्न का जवाब है जो कॉलेज के विद्यार्थियों ने अपनी उत्तरपुस्तिका में लिखा है। सवाल के जवाब में एक छात्र ने बताया कि गाँधीजी गुप्त रास्ते से विलायत गए थे। हाल ही में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में बीए तथा बीएससी के हिन्दी के प्रश्न पत्र में एक प्रश्न किया गया था कि गाँधीजी किस रास्ते से विलायत गए थे। इस पर कई छात्रों ने हैरत में डालने वाले जवाब दिए हैं। कुछ जवाबों की बानगी देखिए - गाँधीजी पहाड़ी रास्ते से, गुप्त रास्ते से, कुमाऊँनी रास्ते से, सीधे तथा सत्य के रास्ते से विलायत गए थे।

एक सवाल और पूछा था कि स्वामी विवेकानंद ने भारत के सभी अनर्थों की जड़ किसे माना है? इस पर भाइयों ने लिखा है कि दिल्ली सरकार, भारत सरकार, भारत-माता, हिन्दू धर्म, आराम, राजनीति, फिल्में, राष्ट्रीय एकता और जनाब एकता कपूर हैं भारत के सभी अनर्थों की जड़।
दूध के पर्यायवाची साँची-अमूल
बीकॉम के छात्र भी कम नहीं हैं। वे तो महात्मा गाँधी का पूरा नाम तक नहीं बता पाए। इस तरह लिखा है उन्होंने पूरा नाम मोहनलाल गाँधी, क्रमचंद गाँधी, कर्मचंद्र गाँधी, श्रीचंद गाँधी, बापू, राष्ट्रपिता, मुरली, मुन्ना और न जाने क्या-क्या। कॉलेज में पढ़ रहे इन विद्यार्थियों का अगर यह स्तर है तो यह विचारणीय है कि इनका भविष्य कैसा होगा? हाँ, दूध के पर्यायवाची अमूल और साँची लिखे गए हैं।
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आपकी बीमा जिज्ञासाओं/समस्याओं का समाधान उपलब्ध कराने हेतु मैं प्रस्तुत हूँ। यदि अपनी जिज्ञासा/समस्या को सार्वजनिक न करना चाहें तो मुझे bairagivishnu@gmail.com पर मेल कर दें। आप चाहेंगे तो आपकी पहचान पूर्णतः गुप्त रखी जाएगी। यदि पालिसी नम्बर देंगे तो अधिकाधिक सुनिश्चित समाधान प्रस्तुत करने में सहायता मिलेगी।

यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें। यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें। मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर - 19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001.

10 comments:

  1. आपका कहना सही है ...आज के युवा अपने देश और संस्कृति के बारे में कितना जानते हैं ....अंदाजा लगया जा सकता है ...

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  2. कभी चलते -चलते ब्लॉग पर आकर अपना बहुमूल्य आशीर्वाद प्रदान करें ...आपका आभारी रहूँगा

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  3. sikcha ke girtey astar ki bangi hai. Chatro..vises kr bachon ko kamics puzzulid game se furst miley tabhi wah apne gyan ko badha skenge. College me bhi kewal dhma choukri munnibadnam hui...sheela ki jawani ke alawa kuch nahi hota hai. Han jo bacheey imandarri se padhtey hain wah kuch bnte bhi hai. aap ko dukhi hona jayaj hai. dhanywad.

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  4. निश्चित रूप से यह चिंता का विषय है। गांधी के जाने के रास्ते के बारे में तो हो सकता है कि छात्रों की दिलचस्पी न हो और उन्हें बेमतलब का सवाल लगता हो, अनुत्पादक सवाल लगता हो, लेकिन दूध के पर्यायवाची के बारे में तो कोई तर्क भी नहीं। आखिर में क्या और कैसा पढ़ना चाह रहे हैं युवक?

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  5. केवल राम जी आप कुछ ज्यादा ही अत्याचार कर रहे हैं। इन बेचारों को अगर सवालों के जवाब नहीं मिले तो आपने इन्हीं को आज के युवाओं का प्रतिनिधि मान लिया।

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  6. Vishnukant Mishra जी आप सौ प्रतिशत सही कह रहे हैं। अगर समाज में बदलाव हो रहे हैं तो उसी के मुताबिक शिक्षा में भी बदलाव लाने की जरूरत है, जिससे छात्र दिलचस्पी ले सकें। छात्रों के ऊपर तमाम माध्यमों से सूचनाओं की बमबारी हो रही है, वे सब कुछ कैच कर रहे हैं और पुराने लोगों की तुलना में कहीं ज्यादा। लेकिन कुछ ऐसा तो करना ही होगा, जिससे वे कचरा अलग कर सकें। स्कूलों को इतना सशक्त बनाना होगा, जिससे उसका प्रभाव बढ़े।

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  7. जय हो, यही सब कल देश के कर्णधार बनेंगे।

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  8. बहुत होनहार जवान हे यह तो, अब क्या करे रटे मार कर डिग्रियां ले ली,

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  9. सलाम है इन देश के आने वाले कर्णाधारों को ।

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