यहाँ शहीद आपस में बतिया रहे हैं

यहाँ शहीद आपस में बतिया रहे हैं
- आशीष दशोत्तर
 
‘‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशाँ होगा।’’ शहीदों की शहादत का मान ही देश के सम्मान को बढ़ाता रहा है और आज भी उनकी प्रेरणा से ही आजाद भारत में अमन चैन और सुकून कायम है। शहीदों के प्रति सम्मान व्यक्त करना, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों के प्रति आदर भाव व्यक्त करना हमारा कर्तव्य भी है और धर्म भी। सही अर्थो में इन सेनानियों के प्रति मन में सम्मान का भाव बना रहे, वही अपना धर्म है, वही अपनी परम्परा है, वही अपनी रीति है।
 
शहीदों के सम्मान में देशभर में अनेक स्मारक स्थापित हैं मगर धार जिले की बदनावर तहसील में ‘भारतमाता मन्दिर’ एवम् ‘शहीद गैलेरी’ ऐसा प्रयास है जो पूरे प्रदेश में अनूठा और अद्भुत है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह स्थल पूर्णतः जनसहयोग द्वारा विकसित किया गया है। बदनवार तहसील से पाँच किलोमीटर दूर स्थित नागेश्वर को यूँ तो धार्मिक एवं अन्तिम स्थल के रूप में जाना जाता है। मगर इसे एक व्यक्ति के प्रयासों ने शहीदों के तीर्थ  स्थल के रूप में पहचान दिला दी है। भारतमाता मन्दिर एवम् शहीद गैलेरी की स्थापना का प्रयास श्री शेखर यादव ने किया जो शहीदों के प्रति अगाध श्रद्धाभाव रखते है। श्री यादव ने बताया कि शहीदों की मूर्तियाँ जगह-जगह स्थापित तो की जाती हैं, किन्तु देखरेख के अभाव में उपेक्षा का शिकार हो जाती हैं। इससे शहीदों का अपमान होता है। ऐसी कई उपेक्षित मूर्तियों को देखकर मन व्यथित हुआ और विचार आया कि क्यों न एक ऐसे स्थान बनाया जाए जहाँ भारतमाता भी हों और उनके सपूत भी। इस विचार को श्री यादव ने अपने साथियों को बताया तो किसी ने भी इससे असहमति नहीं जताई। सभी ने आश्वासन दिया कि यदि ऐसा कोई प्रयास किया जाता है तो वे अपनी क्षमता अनुसार सहयोग करेंगे। यहीं श्री यादव का विश्वास मजबूत हुआ और इन्होंने यह ठाना कि इस स्थान का विकास जनसहयोग से ही किया जाएगा।
 
गैलरी परिसर के प्रवेश द्वार पर लगा संकेत शिलालेख
 
 
 
गैलरी का प्रवेश द्वार
 
किसने अपने कौन से नायक की मूर्ति लगवाई
 
जनसहयोग एवम् स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से प्रथम तल पर एक सभाकक्ष और द्वितीय तल पर प्रतिमाओं हेतु एक कक्ष निर्मित किया गया। इस कक्ष में मूर्तियाँ किस तरह स्थापित हो सकती हैं, इस पर विचार हुआ। श्री यादव ने सभी साथियों से कहा कि अपनी श्रद्धा के अनुसार अपने आदर्श महापुरुष की प्रतिमा गैलेरी में स्थापित की जाए। देखते ही देखते सभी ने अपने-अपने प्रिय महापुरुष की प्रतिमा इस गैलेरी को भेंट कर दी।
भारतमाता की प्रतिमा सहित इस गैलेरी में 21 शहीदों-महापुरुषों की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। इनमें शहीद मंगल पाण्डे, शहीद-ए-आजम भगतसिंह, चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु, वीरांगना लक्ष्मीबाई, स्वामी विवेकानन्द, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, खुदीराम बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, तात्याटोपे, रामप्रसाद बिस्मिल, लाला लाजपतराय, गणेश शंकर विद्यार्थी, वीरांगना उदादेवी, नानाजी पेशवा, राजा बख्तावरसिंह, वीर सावरकर, सुभाषचन्द्र बोस की प्रतिमाएँ शामिल हैं। आमने-सामने पंक्तिबद्ध स्थापित ये मूर्तियाँ आपस में बातें करती अनुभव होती हैं।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
आमने-सामने पंक्तियों  में स्‍थापित, शहीदों की मूर्तियॉं
 
 
अज्ञात/अनजान प्रायः वीरांगना उदादेवी की प्रतिमा सहसा ही ध्यानाकर्षित करती है। वनवासी समाज की इस महिला ने, संघर्ष करते हुए अकेले ही यूरोपीय सेना के 36 अंग्रेज अधिकारियों को यमलोक भेज दिया था। इनका बलिदान 16 नवम्बर 1857 को हुआ।
 
प्रत्येक मूर्ति के साथ उस महापुरुष के प्रमुख कार्यों का विवरण तथा जन्म एवं अवसान तिथि के साथ उसका प्रसिद्ध सूत्र वाक्य भी लिखा गया है। इससे अनजान व्यक्ति को भी इन शहीदों से परिचित होने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है। श्री यादव ने बताया कि गैलेरी में स्थापित सभी मूर्तियों को दानदाताओं ने स्वेच्छा से प्रदान किया।

इस गैलेरी का औपचारिक लोकार्पण 1857 के स्वाधीनता संग्राम की डेढ़ सौंवी वर्षगाँठ के अवसर पर 4 जून 2008 को किया गया था। अपने आप में महत्वपूर्ण होने के साथ गैलेरी की कुछ विशेषताएँ भी हैं। श्री यादव एवम् उनके समस्त साथी सभी महापुरुषों के बलिदान दिवस एवम् जयन्ती पर इसी स्थान पर संगोष्ठी का आयोजन करते हैं। शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ ही उनके विचारों पर चर्चा की जाती है जिसमें युवाओं की भागीदारी पर बल दिया जाता है ताकि युवावर्ग भी इन महापुरुषों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से परिचित हों। इसके अतिरिक्त प्रतिवर्ष सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या को यहाँ तर्पण कर शहीदों की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।
 
प्रतिमाओं को पानी, हवा एवं धूप से बचाने के लिए गैलेरी के ऊपर शेड निर्मित किया हुआ है। प्रतिदिन इन मूर्तियों की सफाई औरभारतमाता की पूजा की जाती है। यहाँ की मूर्तियों को देखकर ही शहीदों के प्रति मन में श्रद्धाभाव उत्पन्न हो जाता है। मूर्तियों को एक समान आकार में बनवाया गया है और एक समान ऊँचाई पर ही स्थापित किया गया है। इससे इस स्थान की भव्यता में वृद्धि हो गई है। एक बात और भी कि इस स्थल पर आने वाले लोगों की संख्या प्रतिदिन बनी रहती है। चूँकि यह स्थान धार्मिक क्षेत्र में ही शामिल है इसलिए दर्शनार्थ आने वाला व्यक्ति शहीदों के दर्शन करना नहीं भूलता है।
 
भारतमाता मन्दिर एवं शहीद गैलेरी का सपना संजोने वाले श्री शेखर यादव की योजना है कि इसका और विस्तार किया जाए। अपने-अपने आदर्श महापुरुषों की प्रतिमाएँ स्थापित करने के लिए वे और लोगों को निरन्तर प्रेरित-प्रत्साहित कर रहे हैं और उम्मीद है कि शहीदों-महापुरुषों की प्रतिमाओं की संख्या में जल्दी ही वृद्धि होगी। इसके साथ ही वे चाहते हैं कि विद्यार्थियों, युवाओं को इस स्थान पर लाने के लिये विद्यालय स्तर पर प्रयास होने चाहिए। इससे नई पीढ़ी हमारे महापुरुषों का जीवन चरित्र सिर्फ याद ही नहीं रखेगी अपितु उन्हें महसूस भी करेगी। आज जब शहीदों की शहादत को भुलाने का दौर सा चल पड़ा है, ऐसे में शहीद गैलेरी जैसे प्रयास मन में एक उम्मीद जगाते हैं। शहीदों के प्रति मन में सम्मान बना रहे और नई पीढ़ी शहीदों के प्रति आकर्षित हो, अपने आदर्श गढ़ सके, उनको पहचान सके, उनके कार्यों से प्रेरणा ले सके, इसलिए ऐसे प्रयास आवश्यक हैं। एक छोटे से गाँव में बहुत ही छोटे स्तर पर किये गए इस प्रयास ने बहुत बड़ा सन्देश दिया है कि यदि भावना पवित्र हो, कर्म में कुनीति नहीं हो, कोशिशों मे कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो हर राह आसान बन जाती है। एक छोटे स्थान पर जनसहयोग से निर्मित यह गैलेरी देश प्रेम की ऐसी ही राह दिखा रही है।
                                                        --------
 
 
गजलों के जरिये अपनी बात पुख्‍तगी और बेहद खूबी से कहनेवाले, आनेवाले वक्‍त के मकबूल शायर आशीष दशोत्‍तर रतलाम में रहते हैं। कुछ महीनों पहले, साप्‍ताहिक 'उपग्रह' में प्रकाशित उनका यह लेख सम्‍पादित रूप में देने की अनुमति उन्‍होंने सहर्ष प्रदान की। उनकी कई गजलें आप यहॉं पढ सकते हैं। मोबाइल नम्‍बर 098270 84966  पर उनसे गुफ्तगू की जा सकती है।

5 comments:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (19-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | अवश्य पधारें |सूचनार्थ |

    ReplyDelete
  2. शहीदों को याद करना हम कृत्यों का कर्तव्य है।

    ReplyDelete
  3. AAPAKO KOTISHAH BADHAI .JANBUJHAKAR COMMENT ENGLISH MEN KIYA JA RAHA HAI.

    ReplyDelete
  4. यह कार्य वंदनीय है । मेरी भी उत्कंठा बढ़ रही है ये शहीद गैलरी देखने की । सभी को बहुत बधाई ।

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मुझे सुधारेगी और समृद्ध करेगी. अग्रिम धन्यवाद एवं आभार.