आप भी सहमत होंगे


अखबारों और पत्र/पत्रिकाओं में आए दिनों कभी ‘हिंगलिश’ के पक्ष में सीनाजोरी से दिए तर्क सामने आते हैं तो कभी हिन्दी के पक्ष में, गाँव-खेड़ों, कस्बों से उठते एकल स्वर सुनाई देते हैं। सीनाजोरी का विरोध करने और एकल स्वरों में अपना स्वर मिलाने को मैंने अपनी फितरत बना रखी है ताकि सीनाजोरों की निर्द्वन्द्वता, नाम मात्र को ही सही, बाधित हो और एकल स्वरों को अकेलापन न लगे। ऐसे सैंकड़ों पत्र मैंने लिखे किन्तु उनका कोई रेकार्ड नहीं रखा। 5 सितम्बर को अचानक ही विचार आया कि इन पत्रों का रेकार्ड रखा जाना चाहिए। इसीलिए इन पत्रों को 5 सितम्बर से अपने ब्लाॅग पर पोस्ट करना शुरु कर दियाँ। ये मेरे ब्लाॅग की पोस्टों में शरीक नहीं हैं। मैं जानता हूँ इनकी न तो कोई सार्वजनिक उपयोगिता है और न ही महत्व। यह जुगत मैंने केवल अपने लिए की है।

07 अक्टूबर 2010, गुरुवार
सर्वपितृमोक्ष अमावस्या, 2067

माननीय श्रीयुत गुप्ताजी,

सविनय सादर नमस्कार,

आशा है, 26 सितम्बर वाला मेरा पत्र आपको मिल गया होगा।

‘डिम्पल’ का, 01 अक्टूबर वाला अंक मुझे सोमवार, 04 अक्टूबर को ही मिल गया था और आपके संस्मरणों की तीसरी किश्त उसी दिन पढ़ भी ली थी। किन्तु आलस्य और नाम मात्र की व्यस्ततावश पत्र तनिक देर से लिख पा रहा हूँ।

तीसरी किश्त में भी आपने अंग्रेजी शब्दों को अंग्रेजी बहुवचनरूपों में प्रयुक्त किया है। आपने तीन बार ‘माल्स’ प्रयुक्त किया है। इसके अतिरिक्त ‘परफ्यूम्स’, ‘इंजिनियर्स’, ‘डाक्टर्स’, ‘बैग्स’ तथा ‘प्लेट्स’ प्रयुक्त किए हैं जो उचित नहीं है। आप इनके स्थान पर ‘माल’, ‘परफ्यूम/परफ्यूमें’, ‘इंजिनियरों’, ‘डॉक्टरों’, ‘बैग/बैगों’ और ‘प्लेटें’ प्रयुक्त कर सकते थे (और मेरे विचार से, यही किया भी जाना चाहिए था)।

आपने इस किश्त में एकाधिक बार ‘वेस्ट सामग्री’ प्रयुक्त किया है। इसके स्थान पर ‘कचरा’ अथवा ‘बेकार सामग्री’ प्रयुक्त किया जा सकता था। किन्तु मैं यह मान लेता हूँ कि ‘वेस्ट सामग्री’ के इन भावानुवादी पर्यायवाची शब्दों की जानकारी आपको सम्भवतः नहीं रही होगी।

इस किश्त में प्रयुक्त कुछ और शब्दों की ओर आपका ध्यानाकर्षित कर रहा हूँ। आपने ‘नान रेसिडेंसियल इण्डियन’ प्रयुक्त किया है जिसके स्थान पर आप ‘अनिवासी भारतीय’ प्रयुक्त कर सकते थे और सुविधा के लिए कोष्ठक में ‘नान रेसिडेंसियल इण्डियन’ अथवा ‘एनआरआई’ लिख सकते थे। इससे दो काम एक साथ होते। पहला - आपका मन्तव्य पूरी तरह स्पष्ट होता और दूसरा - लोगों को मालूम होता कि ‘नान रेसिडेंसियल इण्डियन’ अथवा ‘एनआरआई’ का हिन्दी पर्याय ‘अनिवासी भारतीय’ होता है। इसी प्रकार आप ‘सप्लाय’ के स्थान पर ‘प्रदाय’, ‘ड्राइव’ के स्थान पर ‘चालन’, ‘कोर्स’ के स्थान पर ‘पाठ्यक्रम’, ‘कव्हर्ड मैदान’ के स्थान पर ‘ढँके हुए मैदान’ प्रयुक्त कर सकते थे और चाहते तो कोष्ठक में इनके अंग्रेजी शब्द दे सकते थे। इस प्रकार आप हिन्दी शब्दों को प्रयुक्त करने के साथ ही साथ इन शब्दों को प्रचलन में लाने का श्रेयस्कर काम भी कर सकते थे।

मैं दुराग्रही शुद्धतावादी नहीं हूँ। ‘हिन्दी’ के नाम पर क्लिष्ट, शाब्दिक अनुवाद का पक्षधर नहीं हूँ। इसीलिए ‘केन’, ‘लाइसेंस’, ‘डिस्पोजल’, ‘इलेक्ट्रॉनिक’ को इनके इन्हीं मूल रूपों में प्रयुक्त करना ही उचित मानता हूँ। ‘लाइसेंस’ के लिए हिन्दी का ‘अनुज्ञप्ति’ मुझे भी सहज नहीं लगता। यह अलग बात है कि अपने लिखने में मैं ‘अनुज्ञप्ति’ का उपयोग करता हूँ किन्तु तब, कोष्ठक में ‘लाइसेंस’ भी लिख देता हूँ। इसमें थोड़ी मेहनत अवश्य लगती है किन्तु हिन्दी के एक शब्द के चलन में आने की सम्भावना बढ़ती है।

इस किश्त में आपने ‘परिसर’, ‘स्तर’, ‘भागीदारी’, ‘अन्तर्राष्ट्रीय मानक’ जैसे अनेक शब्दों का सुन्दर उपयोग किया है। भाई लोग इनके स्थान पर भी अकारण ही इनके अंग्रेजी पर्याय प्रयुक्त करते हैं। इसके लिए आपको साधुवाद और अभिनन्दन।
हिन्दी हमें रोटी, पहचान, प्रतिष्ठा दे रही है। बदले में हम हिन्दी को क्या दे रहे हैं - इस पर विचार अवश्य किया जाना चाहिए। यदि हम हिन्दी को समृद्ध न कर सकें, इसके सम्मान, गौरव में वृद्धि न कर सकें तो उस दशा में हमारी यह न्यूनतम जिम्मेदारी होती है कि इसे विकृत, विरूप न करें और इसके सम्मान, गौरव में कोई कमी न होने दें। मेरा विचार है कि इन बातों से आप भी असहमत नहीं होंगे।

मेरे पत्र में आपको यदि कुछ भी अन्यथा, अनुचित, आपत्तिजनक, अपमानजनक लगा हो तो उसके लिए मैं आपसे करबद्ध क्षमा-याचना करता हूँ। सम्भव है मेरी भाषा अनुचित हो किन्तु विश्वास करने की कृपा कीजिएगा कि यह सब मैंने अपनी सम्पूर्ण सदाशयता और आपके प्रति यथेष्ठ आदर भाव से ही लिखा है।

कृपा बनाए रखिएगा।

हार्दिक शुभ-कामनाओं सहित।

विनम्र,
विष्णु बैरागी


प्रतिष्ठा में,
श्रीयुत राम शंकरजी गुप्ता,
सेवा निवृत्त डिप्टी कलेक्टर,
द्वारा - साप्ताहिक डिम्पल,
डिम्पल चौराहा,
शामगढ़ - 458883
(जिला - मन्दसौर)

2 comments:

  1. मैं सहमत हूँ...और आपकी इस जुगत से मेरी हिन्दी में सुधार कर पाउंगी...आभार....

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