पता नहीं



श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘कोई तो समझे’ 
की तैंतीसवी कविता  

यह कविता संग्रह
(स्व.) श्री संजय गाँधी को 
समर्पित किया गया है।


पता नहीं

बद से बदतर दिन बीतेगा, अब सारा का सारा
सूरज उनका भी निकला है अन्धा औ’ आवारा।

मौसम में कुछ फर्क नहीं है, ऋतुओं में बदलाव नहीं
मधुमासों की आवभगत का, कोई भी प्रस्ताव नहीं
वैसा का वैसा है पतझर, वही हवा की मक्कारी
तापमान का तर्क वही है, वही घुटन है हत्यारी
बड़े मजे से नाच रहा है, फिर वो ही अँधियारा
सूरज उनका भी निकला है अन्धा औ’ आवारा।

शोक-गीत में बदल रही है, धीरे-धीरे लोरी
उनने तो फन्दा डाला था, ये खींचेंगे डोरी
अब जीवन की शर्त यही है, जैसे-तैसे जी लो
आँख मूँदकर सारा गुस्सा, एक साँस में पी लो
नभ-गंगा निस्तेज पड़ी है, रोता है ध्रुवतारा
सूरज उनका भी निकला है, अन्धा औ’ आवारा।

किरन-किरन आरोप लगाती, दिशा-दिशा है रोती
पछतावे का पार नहीं है, असफल हुई मनौती
लगता है परिवेश समूचा, खुद को हार गया है
लगता है गर्भस्थ स्वप्न को, लकवा मार गया है
पिण्ड न जाने कब छोड़ेगा, ये दुर्भाग्य हमारा
सूरज उनका भी निकला है, अन्धा औ’ आवारा।

अगर यही है मुक्त हवा तो, इससे मुक्ति दिलाओ
मुक्ति व्यर्थ बदनाम नहीं हो, अपनों को समझाओ
‘इससे तो बन्धन अच्छा था’, कहने लगीं हवाएँ
जी करता है इस जीने से, बेहतर है मर जाएँ
पता नहीं कल को क्या होगा, मेरा और तुम्हारा
सूरज उनका भी निकला है अन्धा औ’ आवारा।

आधा जीवन कटा रेत में, शेष कटे कीचड़ में
और पीढ़ियाँ रहें भटकती, नारों के बीहड़ में
दुश्चरित्र हो जाएँ अगर, नैया के खेवनहारे
(ता) गंगा हो या हो वैतरणी, प्रभु ही पार उतारे
नया फैसला करना होगा, शायद हमें दुबारा
सूरज उनका भी निकला है अन्धा औ’ आवारा।
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संग्रह के ब्यौरे

कोई तो समझे - कविताएँ
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन, भोपाल
एकमात्र वितरक - साँची प्रकाशन, भोपाल-आगरा
प्रथम संस्करण , नवम्बर 1980
मूल्य - पच्चीस रुपये मात्र
मुद्रक - चन्द्रा प्रिण्टर्स, भोपाल


 




















4 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (11 -10-2021 ) को 'धान्य से भरपूर, खेतों में झुकी हैं डालियाँ' (चर्चा अंक 4211) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. चयन के लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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  3. सुंदर, सार्थक रचना !........
    Mere Blog Par Aapka Swagat Hai.

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    1. टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

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