अपने निवेश को अनिश्चितता की जोखिम से बचाने और सुनिश्चित लाभ की प्राप्ति की तलाश करनेवाले लोग अब आराम की साँस ले लें। 01 मार्च 2012 से बाजार में आई, भारतीय जीवन बीमा निगम की ‘जीवन वृद्धि’ पॉलिसी ने उनकी तलाश खत्म कर दी है। किन्तु सावधान! यह पॉलिसी 120 दिनों के लिए (अर्थात्, 30 जून 2012 तक) ही उपलब्ध है।
देखने-सुनने और समझने में इससे अधिक आसान और सीध-सादी पॉलिसी शायद ही कोई और हो। इसमें ‘किन्तु-परन्तु’ अपवादस्वरूप ही हैं।
यह पॉलिसी 8 वर्ष (पूर्ण) से लेकर 50 वर्ष की निकटतम आयुवालों के लिए उपलब्ध है।
पॉलिसी की अवधि 10 वर्ष है और इसकी प्रीमीयम दस वर्षों में एक ही बार देनी है। अर्थात् यह एकल (सिंगल) प्रीमीयम पॉलिसी है।
निवेश की न्यूनतम रकम 30,000/- (तीस हजार) रुपये है जबकि अधिकतम निवेश राशि की कोई सीमा नहीं है। तीस हजार के बाद एक हजार रुपयों के गुणक में राशि निवेश की जा सकती है। किन्तु याद रखिए! इस प्रीमीमय राशि पर सेवा शुल्क (सर्विस टैक्स) अतिरिक्त रूप से चुकाना पड़ेगा।
इसमें बीमा धन की गणना दो स्तर पर की गई है - आधारभूत बीमा राशि (बेसिक सम अश्योर्ड) तथा सुनिश्चित परिवक्वता बीमा राशि (ग्यारण्टीड मेच्यूरिटी सम अश्योर्ड)।
आधार भूत बीमा राशि (बेसिक सम अश्योर्ड) की गणना बहुत ही आसान है - प्रीमीयम का पाँच गुना। अर्थात् यदि किसी ने एक लाख रुपये प्रीमीयम जमा की है तो उसे पाँच लाख की बीमा सुरक्षा मिलेगी। याने, किसी भी आयु के व्यक्ति ने यदि 1,00,000/- रुपये निवेश किए हैं और पॉलिसी अवधि (10 वर्ष) के दौरान उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसके नामित व्यक्ति को 5,00,000/- रुपयों की बीमा राशि का भुगतान किया जाएगा जो सुनिश्चित परिवक्वता बीमा राशि (ग्यारण्टीड मेच्यूरिटी सम अश्योर्ड) की रकम से कहीं अधिक होगी।
सुनिश्चित परिवक्वता बीमा राशि (ग्यारण्टीड मेच्यूरिटी सम अश्योर्ड) की रकम आयु के आधार पर निर्धारित की गई है जो प्रत्येक आयु के अनुसार सुनिश्चित है। कम आयुवाले व्यक्ति चूँकि ‘जोखिम क्षेत्र’ (रिस्क झोन) में कम समय तक रहेंगे इसलिए उन्हें अधिक राशि मिलेगी जबकि अधिक आयुवाले को कम राशि मिलेगी क्योंकि वे ‘जोखिम क्षेत्र’ (रिस्क झोन) में जल्दी प्रवेश करेंगे (मुमकिन है, पॉलिसी लेते समय ही) और कम आयुवालों की अपेक्षा अधिक समय तक ‘जोखिम क्षेत्र’ (रिस्क झोन) में बने रहेंगे। उदाहरण के लिए - एक लाख रुपयों के निवेश पर 8 वर्ष की आयुवाले व्यक्ति को 1,98,460/- रुपये, 20 वर्ष की आयुवाले व्यक्ति को 1,95,550/- रुपये, 30 वर्ष की आयुवाले व्यक्ति को 1,94,160/- रुपये, 40 वर्ष की आयुवाले व्यक्ति को 1,85,710/- रुपये और 50 वर्ष की आयुवाले व्यक्ति को 1,58,225/- रुपये सुनिश्चित रूप से भुगतान किए जाएँगे।
उपरोक्त राशि के अतिरिक्त, (यदि योजना का अर्थशास्त्र अनुकूल रहा, जिसकी की शत प्रतिशत सम्भावना है) तो ‘निष्ठा आधिक्य राशि’ (लॉयल्टी एडीशन अमाउण्ट) के भुगतान की सम्भावना भी प्रकट की गई है। इस रकम का निर्धारण इसके भुगतान के समय ही हो सकेगा।
उल्लेखनीय बात यह है कि ‘निष्ठा आधिक्य राशि’ (लॉयल्टी एडीशन अमाउण्ट) के भुगतान का प्रावधान दोनों ही स्थितियों (मृत्यु दावा और परिपक्वता दावा) के लिए किया गया है।
याने, जैसा कि ऊपर बताया गया है - कम आयुवाले व्यक्ति को निवेशित राशि के दुगुने से भी अधिक का भुगतान मिलता दिखाई दे रहा है जबकि अधिक आयुवालों को कम से कम डेढ़ गुना भुगतान तो निश्चित रूप से मिलना ही है।
50,000/- रुपयों से अधिक रकम निवेश करनेवालों को अतिरिक्त लाभ दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
50,000/- रुपयों से 99,000/- रुपये तक निवेश करनेवालों को, सुनिश्चित परिवक्वता बीमा राशि (ग्यारण्टीड मेच्यूरिटी सम अश्योर्ड) की रकम की 1.25 प्रतिशत रकम तथा 1,00,000/- रुपयों से अधिक की रकम निवेश करनेवालों को सुनिश्चित परिवक्वता बीमा राशि (ग्यारण्टीड मेच्यूरिटी सम अश्योर्ड) की रकम की 3 प्रतिशत रकम अतिरिक्त रूप से भुगतान की जाएगी। याने, अधिक निवेश कीजिए और अधिक प्राप्तियाँ लीजिए।
पॉलिसी का एक वर्ष पूरा होने के इसे अभ्यर्पित (सरेण्डर या बन्द) भी किया जा सकता है। उस दशा में, निवेशित प्रीमीयम की 90 प्रतिशत रकम, अभ्यर्पित मूल्य (सरेण्डर वेल्यू) के रूप में मिलेगी।
इसी प्रकार इस पॉलिसी पर ऋण (पॉलिसी लोन) भी लिया जा सकता है। इस ऋण की अधिकतम रकम, उपरोल्लेखित अभ्यर्पण मूल्य (सरेण्डर वेल्यू) की 70 प्रतिशत होगी। इस ऋण राशि पर 10.25 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज लिया जाएगा जिसकी गणना अर्ध्दवार्षिक आधार पर होगी और यदि निर्धारति अवधि में ब्याज की रकम का भुगतान नहीं किया गया तो, उस ब्याज राशि पर इसी दर से चक्रवृद्धि ब्याज लगेगा।
इस पॉलिसी को, चालू वित्तीय वर्ष की सीमा में, पिछली तारीखों से भी शुरु किया जा सकता है। अर्थात्, यदि कोई व्यक्ति 31 मार्च 2012 को यह पॉलिसी ले रहा है तो वह इसका प्रारम्भ दिनांक 01 अप्रेल 2011 निर्धारित कर सकता है। किन्तु, ऐसा करने पर उसे, प्रीमीयम की रकम पर, 10 प्रतिशत वार्षिक की साधारण दर से ब्याज भुगतान करना पड़ेगा। किन्तु तब, 09 वर्षों में ही पॉलिसी के 10 वर्ष पूरे हो जाएँगे और पॉलिसीधारक एक वर्ष पूर्व ही सुनिश्चित परिवक्वता बीमा राशि (ग्यारण्टीड मेच्यूरिटी सम अश्योर्ड) तथा निष्ठा आधिक्य (लॉयल्टी एडीशन) की रकम प्राप्त कर लेगा। किन्तु ऐसा करने पर हानि यह होगी कि प्रीमीयम तो 10 वर्षों की चुकाई जाएगी जबकि जोखिम सुरक्षा 9 वर्षों तक ही उपलब्ध होगी।
आवश्यकता होने पर पॉलिसीधारक, विधिवत सूचना देकर अपनी इस पॉलिसी को, किसी संस्था के पक्ष में समनुदेशित (असाइन) भी कर सकेगा। अर्थात् किसी संस्था से वित्तीय सुविधा लेने के लिए इसे गिरवी भी रखा जा सकेगा।
कर छूट - इस पॉलिसी के लिए निवेशित रकम पर, आय कर की धारा 80 सी के अन्तर्गत कर-छूट प्राप्त होगी और इससे मिलनेवाली पूरी रकम, आय कर से मुक्त होगी। अर्थात्, यदि कोई व्यक्ति 30 प्रतिशत की दर से आय कर चुका रहा है तो उसे, दोनों बार मिलनेवाली आयकर छूट की गणना के बाद, निवेशित रकम का ढाई गुना तक लाभ होता नजर आता है।
पहली नजर में यह पॉलिसी, निवेशकों को समग्र रूप से न केवल लाभदायक अपितु कर नियोजन हेतु अपनाए जानेवाले अन्य माध्यमों की अपेक्षा अधिक आकर्षक अनुभव होती है।
मैंने अपने स्तर पर इसे सरलता से प्रस्तुत करने की भरसक कोशिश की है। इसके बाद भी यदि आपकी कोई जिज्ञासा हो तो आपके लिए सहायक और उपयोगी होकर मुझे आत्मीय प्रसन्नता होगी। मैं ई-मेल तथा मोबाइल नम्बर 098270 61799 पर समान रूप से, सहजता से उपलब्ध हूँ।