हाँ, हाँ वे ही तुतले-तुतले

श्री बालकवि बैरागी
के प्रथम काव्य संग्रह ‘दरद दीवानी’ की सोलहवीं कविता



हाँ, हाँ वे ही, तुतले-तुतले, हकले-हकले शरमीले

प्राण! तुम्हारा यश गा-गा कर, मेरे गीत वाचाल हो गये।


बात-बात में जो शरमा कर, लाल सुर्ख पड़ जाते थे

ओठों पर आते-आते ही, साँसों में गड़ जाते थे,

सकुचे-सकुचे, सहमे-सहमे रहते थे अकुलाहट से

खड़े हिमालय फाँद गये जो, आलोचक की आहट से


तुम नायक बन कर के जब से, इनके अँगना में आये

उस बेचारे आलोचक के जीवन का जंजाल हो गये

गीत मेरे वाचाल हो गये.....


दो कौड़ी का मोल नहीं था, कल इनका बाजारों में

अपमानित होना पड़ता था इनको, मठ दरबारों में

इनकी छाया पड़ने भर से, ब्राह्मण (?) गंगा न्हाते थे

इनसे, मुझसे लाख तरह के प्रायश्चित करवाते थे,


इनको कण्ठ लगा कर तुमने, ये क्या जादू कर डाला

पिसते-पिसते लो एकाएक, परिवर्तक भूचाल हो गए

गीत मेरे वाचाल हो गये.....


धन्वन्तरी (?) ने घोष किया था, इनमें कोई जान नहीं है

जीवित मानव के महलों में, इनका कोई स्थान नहीं है,

जात बुला कर अपनी उनने, इनकी ठठरी बँधवा दी

मेरे हाथों हाँडी देकर, कफन बिना ही उठवा दी,


(पर) नाम तुम्हारा लेकर मैंने, अन्तिम चुम्बन दिया उन्हें

(तो) कन्धों ही कन्धों पर ये तो, साँसों भरा सवाल हो गये

गीत मेरे वाचाल हो गये.....


आज जिधर भी जाते हैं ये, वातायन खुल जाते हैं

अट्टाएँ भर जाती हैं औ’ मधु कलशे ढुल जाते हैं,

परवशता की परिभाषाएँ ही, परवश हो जाती हैं

घर-घर में लछमन रेखाएँ, खुद को विधवा पाती हैं,


लोक-लाज की पूर चिनावें, लजा-लजा कर उतर गईं

तुमने क्या मुँह इन्हें लगाया, लाखों के महिवाल हो गये

गीत मेरे वाचाल हो गये.....


तुमसे इनको शब्द मिले हैं, तुमसे इनने स्वर पाये

तुमको नायक पाकर इनने, लाखों जीवन भर पाये,

इनके, मेरे और तुम्हारे, जो भी रिश्ते-नाते हैं

बिलकुल सच है, ईश्वर को भी नहीं बताये जाते हैं


तुमने भी कितना समझाया, मैंने भी कितना रोका

किन्तु भरे मजमे में ये तो, सब कुछ ही इकबाल हो गये।

गीत मेरे वाचाल हो गये.....

-----


दरद दीवानी
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - निकुंज निलय, बालाघाट
प्रथम संस्करण - 1100 प्रतियाँ
मूल्य - दो रुपये
आवरण पृष्ठ - मोहन झाला, उज्जैन
मुद्रक - लोकमत प्रिंटरी, इन्दौर
प्रकाशन वर्ष - (मार्च/अप्रेल) 1963




सत्रहवीं कविता: ‘चारों ओर तुम्हारी भाषा’ यहाँ पढ़िए










No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी मुझे सुधारेगी और समृद्ध करेगी. अग्रिम धन्यवाद एवं आभार.