बड़ी ताकत है फूलों में




श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘आलोक का अट्टहास’ की उन्नीसवीं कविता 




बड़ी ताकत है फूलों में

उन्होंने
आपके कदमों में
सोच-समझकर
पहला फूल रखा
और अपनी चतुरंग चौसर
की चतुराई का
पहला स्वाद चखा।
आपने किया
फूल का लिहाज
उसे रौंदा नहीं
कुचला नहीं
ठिठक गए आप
बाएँ के बाद
दायाँ पाँव चला नहीं।
और वे समझ गए
कि वे बदल सकते हैं
आपकी चाल
महज दस-बीस फूलों से
उन्हें क्या लेना-देना है
आपके उसूलों से।
बस
उन्होंने लगा दिए 
आपके रास्ते में
मेले फूलों के
देखते-देखते
बदल दिए उन्होंने
पाल आपके मस्तूलों के।
बेशक आप
चल जरूर रहे हैं
पर चुपचाप
बदल दिए हैं उन्होंने
आपके रास्ते।
अब उनके रास्ते ही हैं
रास्ते आपके वास्ते।
कल तक फूल उनके थे
पर रास्ते आपके थे
आज रास्ते भी उनके
फूल भी उनके
दरिया भी उनका
दुकूल भी उनके।
आप इन फूलों को
मसलें-न-मसलें
वे आपके चरित्र को
मसल देते हैं
बड़ी ताकत है फूलों में
वे आपका
चाल-चलन सब
बदल देते हैं।
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संग्रह के ब्यौरे
आलोक का अट्टहास (कविताएँ)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - सत्साहित्य प्रकाशन,
          205-बी, चावड़ी बाजार, 
          दिल्ली-110006
सर्वाधिकार - सुरक्षित
संस्करण - प्रथम 2003
मूल्य - एक सौ पच्चीस रुपये
मुद्रक - नरुला प्रिण्टर्स, दिल्ली



















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