बाल-गीत : साँप, मेंढक और बाढ़



श्री बालकवि बैरागी के बाल-गीत संग्रह
‘गाओ बच्चों’ का बारहवाँ/अन्तिम बाल गीत 




साँप, मेंढक और बाढ़ 

ऐसा कुछ बरसा आषाढ़ 
गाँव-गाँव में घुस गईं बाढ़
नदियों ने तट तोड़ दिये
अपने आँगन छोड़ दिये

छिछले नाले बिना शऊर
इतराये होकर मगरूर
गाँव, गली और खेत, पहाड़
निगल गई थी सबको बाढ़

इसी बाढ़ का एक प्रसंग
ये भी है किस्मत का रंग
मणिघर काला एक भुजंग
बहता था लहरों के संग

सहता था हर कोप-कहर
फन फैलाये लहर-लहर
चला तैरता पानी में
फँसा हुआ हैरानी में

तभी खेल कुछ अजब हुआ
या कुदरत का गजब हुआ
भीषण एक लहर-आई
खींच एक मेढक लाई

घबराहट में चिल्लाता
कुछ भी समझ नहीं पाता
कैसे जान बचे भगवन्
शायद खतम हुआ जीवन

लगा मौत का फिर धक्का
भूल गया पंजा-छक्का
टर्राना तक भूल गया
मेंढक का दम फूल गया

लगा थपेड़ा तूफानी
सिर से गुजर गया पानी
तभी भाग्य के चक्कर से
तूफानों की टक्कर से

उछला ऊपर ठेठ गया
फैले फन पर बैठ गया
अजब तमाशा क्या कहिये?
चुप भी अब कैसे रहिये?

बात समझ के बाहर थी
लेकिन साफ उजागर थी
मेंढक को कुछ होश हुआ
पल भर तो खामोश हुआ

फिर खँखार का इतराया
बड़ी जोर से टर्राया
साँप दुखी था मन-ही-मन
ऊपर मेंढक, नीचे फन!

इधर बाढ़ का जोर बढ़ा
मेघ और घनघोर चढ़ा
साँप् लहरता जाता था
सतत् तैरता जाता था

दर्शक क्षड़े किनारे थे
सभी बाढ़ के मारे थे
तभी किसी ने व्यंग्य किया
नागराज को तंग किया

नागराज! क्या दिन आए?
दिन भी क्या अनगिन आए
जा के देखो दर्पण में
आग लगा दो इस फन में

मेंढक माथे चढ़ बैठा!
इतना आगे बढ़ बैठा!
तुम और ऐसी लाचारी!
बलिहारी है बलिहारी!

तभी नागने कहा निडर
ताना मत दो मित्र प्रवर
अभी बाढ़ है, पानी है
मौसम कुछ तूफानी है

मौसम उजला आने दो
उतर बाढ़ को जाने दो
तब फिर इसका टर्राना
टर्र-टर्र कर इतराना

भूल न जाए तो कहना
अभी मुझे है सब सहना
जब यह नीचे आएगा
दूर नहीं जा पाएगा

भक्ष्य है मेरा, मैं खाऊँगा
खाकर इसे पचाऊँगा
अभी बाढ़ से बचना है
यही भग्य की रचना है

अपमानों को पीना है
कुछ दिन यूँ ही जीना है
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संग्रह के ब्यौरे 

गाओ बच्चों: बाल-गीत
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - राष्ट्रीय प्रकाशन मन्दिर 
पटना, भोपाल, लखनऊ-226018
चित्रकार: कांजीलाल एवं गोपेश्वर, वाराणसी
कवर: चड्ढा चित्रकार, दिल्ली
संस्करण: प्रथम  26 जनवरी 1984
मूल्य: पाँच रुपये पच्चास पैसे
मुद्रक: देश सेवा प्रेस
10, सम्मेलन मार्ग, इलाहाबाद



बाल-गीतों का यह संग्रह
दादा श्री बालकवि बैरागी के छोटे बहू-बेटे
नीरजा बैरागी और गोर्की बैरागी
ने उपलब्ध कराया।


 






















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