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श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘दो टूक’ की नौवीं कविता 

यह संग्रह दा’ साहब श्री माणक भाई अग्रवाल को समर्पित किया गया है।



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ब्रह्माजी से
अनायास कल भेंट हो गई
पूछा, ‘बाबा, क्या करते हो?’
बोले, ‘बेटा, बहुत व्यस्त हूँ।
चुप बैठो दो मिनिट, बात फिर कर लेंगे।’
और फटी आँखों से देखा किया वहीं मैं बैठा-बैठा
बुढऊ मैटर बना रहे थे
एक बड़े-से पोस्टर का।
मैटर लिखकर मेरी ओर बढ़ाकर बोले,
‘लो! ले जाओ
इसे छपाकर सब राष्ट्रों की सीमाओं पर चिपका देना
और विश्व के राजनयों के
राजमुकुट पर सम्भव हो तो लगवा देना।’
देखा मैंने जब मैटर तो
हक्का-बक्का खड़ा रह गया
बहुत बड़ा कागज था
लेकिन शब्द सात थे,
‘हायली इन्फ्लेमेबल
नाट टू बी लूज शण्टेड।’
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संग्रह के ब्यौरे
दो टूक (कविताएँ)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - राजपाल एण्ड सन्ज, कश्मीरी गेट, दिल्ली।
पहला संस्करण 1971
सर्वाधिकार - बालकवि बैरागी
मूल्य - छः रुपये
मुद्रक - रूपाभ प्रिंटर्स, शाहदरा, दिल्ली।
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यह संग्रह हम सबकी रूना ने उपलब्ध कराया है। रूना याने रौनक बैरागी। दादा स्व. श्री बालकवि बैरागी की पोती। राजस्थान प्रशासकीय सेवा की सदस्य रूना, यह कविता यहाँ प्रकाशित होने के दिनांक को उदयपुर में, सहायक आबकारी आयुक्त के पद पर कार्यरत है।






















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