बाल-गीत : किरणों से जगमगाएँ




श्री बालकवि बैरागी के बाल-गीत संग्रह
‘गाओ बच्चों’ का आठवाँ बाल गीत 




किरणों से जगमगाएँ

किरणों से जगमगाएँ खुशबू से फैल जाएँ
बच्चों! हमारी दुनिया हम ही नई बनाएँ

हैं फूल इक चमन के, हैं इक गगन के तारे
खोटे हैं सब मुखौटे, नकली हैं सब दीवारें
तोड़ें हर एक बन्धन ये ये दूरियाँ मिटाएँ
बच्चों! हमारी दुनिया हम ही नई बनाएँ

घरती है माँ सभी की इस को न भूल जाएँ
माखन सा मन है इसका उसको नहीं दुखाएँ
पैगाम ये अमन का हर एक को सुनाएँ
बच्चों! हमारी दुनिया हम ही नई बनाएँ

माता-पिता हमारे आपस में लड़ रहे हैं
देते हैं दोष हमको के हम बिगड़ रहे हैं
इल्जाम ये बड़ों के मुसका के भूल जाएँ
बच्चों! हमारी दुनिया हम ही नई बनाएँ

बँटता नहीं है सागर लहरों को बाँटने से
कटता नहीं है अम्बर किरनों को काटने से
लायें नया उजाला सूरज नया उगाएँ
बच्चों! हमारी दुनिया हम ही नई बनाएँ

इंसानियत का मतलब समझा नहीं जिन्होंने
वे सब बना रहे हैं बारूद के खिलौने
लाखों गुलाब जलती बारूद में खिलाएँ
बच्चों! हमारी दुनिया हम ही नई बनाएँ
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संग्रह के ब्यौरे 

गाओ बच्चों: बाल-गीत
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - राष्ट्रीय प्रकाशन मन्दिर 
पटना, भोपाल, लखनऊ-226018
चित्रकार: कांजीलाल एवं गोपेश्वर, वाराणसी
कवर: चड्ढा चित्रकार, दिल्ली
संस्करण: प्रथम  26 जनवरी 1984
मूल्य: पाँच रुपये पच्चास पैसे
मुद्रक: देश सेवा प्रेस
10, सम्मेलन मार्ग, इलाहाबाद



बाल-गीतों का यह संग्रह
दादा श्री बालकवि बैरागी के छोटे बहू-बेटे
नीरजा बैरागी और गोर्की बैरागी
ने उपलब्ध कराया।

 























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